औषधीय गुणों से भरपूर है यह जंगली फल, जानिए क्या हैं इसके फायदे

punjabkesari.in Sunday, May 26, 2019 - 03:42 PM (IST)

राजगढ़ (गोपाल शर्मा): हिमालय की गोद मे बसे हिमाचल के जंगलों में अनेक प्राकृतिक फल पाए जाते हैं जो हमें स्वाद के साथ-साथ औषधीय गुणों का भी लाभ देते हैं। इन फलों के पकने का समय भी अलग-अलग होता है। यहां मई व जून महीने में जंगलों में एक ऐसा फल पक कर तैयार होता है, जिसका नाम काफल है। यह काफी लोकप्रिय पहाड़ी फल है। यह मध्य हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाला सदाबहार वृक्ष है। गर्मी के मौसम में काफल के पेड़ पर अति स्वादिष्ट फल लगता है, जो देखने में शहतूत की तरह लगता है लेकिन यह शहतूत से बहुत अलग है।
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4000 से 6000 फुट तक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पैदा होता है काफल

काफल का यह पौधा (4000 से 6000 फुट तक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पैदा होता है। यह अधिकतर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय और नेपाल में पाया जाता है। इसका अंग्रेजी या वैज्ञानिक नाम बॉक्स मर्टल और बेबेरी भी कहा जाता है। यह स्वाद में खट्टा-मीठा मिश्रण लिए होता है। यहां राजगढ़ के साथ लगते क्षेत्र में भी काफल की पैदावार होती है। यह लोगों के लिए आय का स्त्रोत भी है। बाजार में काफल लगभग 50/60 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब में बिक जाता है।
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काफल खाने के फायदे

यह जंगली फल एंटी-ऑक्सीडैंट गुणों के कारण हमारे शरीर के लिए फायदेमंद है। इसका फल अत्यधिक रसयुक्त और पाचक होता है। फल के ऊपर मोम के प्रकार के पदार्थ की परत होती है जो कि पारगम्य एवं भूरे व काले धब्बों से युक्त होती है। यह मोम मोर्टिल मोम कहलाता है तथा फल को गर्म पानी में उबालकर आसानी से अलग किया जा सकता है। यह मोम अल्सर की बीमारी में प्रभावी होता है। इस फल को खाने से पेट के कई प्रकार के विकार दूर होते हैं।

मानसिक बीमारियों सहित कई प्रकार के रोगों को दूर करने में आता है काम

1. इसके तने की छाल का सार, अदरक तथा दालचीनी का मिश्रण अस्थमा, डायरिया, बुखार, टायफाइड, पेचिस तथा फेफड़े ग्रस्त बीमारियों के लिए अत्यधिक उपयोगी है।
2. इसके पेड़ की छाल का पाऊडर जुकाम, आंख की बीमारी तथा सरदर्द में सूंधनी के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।
3. इसके पेड़ की छाल तथा अन्य औषधीय पौधों के मिश्रण से निर्मित काफलड़ी चूर्ण को अदरक के जूस तथा शहद के साथ मिलाकर उपयोग करने से गले की बीमारी, खांसी तथा अस्थमा जैसे रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
4. दांत दर्द के लिए छाल तथा कान दर्द के लिए छाल का तेल अत्यधिक उपयोगी है।
5. काफल के फूल का तेल कान दर्द, डायरिया तथा लकवे की बीमारी में उपयोग में लाया जाता है।  इस फल का उपयोग औषधि तथा पेट दर्द निवारक के रूप में होता है।


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Vijay

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