हिमाचल के इस जिला में कई मंदिर ऐसे जहां कई तरह की पाबंदियां

punjabkesari.in Monday, Nov 27, 2017 - 12:59 AM (IST)

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश की देव घाटी कुल्लू में कई मंदिर ऐसे हैं जहां कई तरह की पाबंदियां हैं। इन मंदिरों में प्रवेश करते ही लोग कई नियमों में बंध जाते हैं। कुल्लू में लोग देव आदेशों का भी पालन करते हैं। देवी-देवताओं के आदेशों को न मानने पर कई बार अनिष्ट का भी सामना करना पड़ा है। जिला कुल्लू में कई जगह ऐसे प्राचीन मंदिर हैं जो त्रेता, द्वापर युग से जुड़े हुए हैं। इन मंदिरों में आज भी आस्था का सैलाब उमड़ रहा है। लगघाटी के भल्याणी गांव में भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर है। इस मंदिर में प्रवेश करते समय करीब 300 मीटर दूर ही जूते उतारने के साथ-साथ चमड़े की बैल्ट आदि भी उतारनी पड़ती है। इसी तरह लगघाटी के कई गांव भी ऐसे हैं जिनमें चमड़े का सामान यहां तक कि पर्स ले जाना भी मान्य नहीं है। बीड़ी-सिगरेट तक गांव से बाहर रखने पड़ते हैं।

मंगलेश्वर महादेव मंदिर परिसर में नहीं लगती कुर्सियां
 इसी तरह छेऊंर गांव में मंगलेश्वर महादेव मंदिर परिसर में कभी भी कुर्सियां नहीं लगाई जाती। मंदिर परिसर में जो भी बैठेगा वह भूमि आसन लगाकर ही बैठेगा। मंदिर के आसपास के घरों में भी कुॢसयां और पलंग आदि नहीं हैं। माघ मास में मंगलेश्वर महादेव, गागाचार्य, देवी भागासिद्ध, बड़ोगी नारायण, बिजली महादेव, देवी महिषासुर मर्दनी, देवी चामुंडा, देवी पटंती व देवी त्रिपुरा सुंदरी सहित अन्य मंदिरों के कपाट बंद होने के बाद मंदिर परिसर में शोर आदि मचाने की भी मनाही है।

झूठी कसम खाने पर तत्काल मिलता है दंड 
कशु नारायण देवता का मंदिर एक ऐसा देवालय है जहां कभी भी किसी बात को लेकर झूठी कसम नहीं खाई जाती। झूठी कसम खाने पर देवता तत्काल परिणाम देते हैं और अनिष्ट की भी आशंका 
रहती है। कुल्लू की खराहल घाटी से देव कारकून हंस राज शर्मा, चुनी लाल व मोहन लाल शर्मा, पार्वती घाटी से नानक चंद नेगी, मेहर चंद, रोशन लाल, चमन लाल, हीरा लाल, जगदीश चंद, रमेश कुमार, केहर चंद व राम कृष्ण, ऊझी घाटी से लाल सिंह, चुनी लाल आचार्य, पुरुषोत्तम शर्मा, नील कंठ शर्मा व मस्त राम आचार्य, गड़सा घाटी राम लाल, कमल चंद, राकेश कुमार व देव राज आदि ने कहा कि देवी-देवताओं के मंदिरों में प्रवेश के साथ ही कई नियमों से बंध जाते हैं। यहां लोगों के लिए देव आदेश ही सर्वोपरि है। 

सूर्यास्त के बाद निकाले जाते हैं देवी के रथ 
कई मंदिरों के गर्भ गृह में सिर्फ पुजारी को ही जाने की इजाजत है। अन्य कोई भी व्यक्ति गर्भ गृह में प्रवेश नहीं कर सकते। मलाणा गांव में भी ऋषि जमलू के मंदिर के इर्द-गिर्द भी विदेशी सैलानियों को जाने नहीं दिया जाता। इन मंदिरों को यदि विदेशी सैलानियों ने छुआ भी तो जुर्माने का भुगतान करना पड़ता है। मलाणा गांव में देवता के भंडार में सिर्फ देवता के मुख्य कारकून को ही जाने की अनुमति है। भेखली और पूईद में स्थित देवी जगन्नाथी के देव रथों को कभी भी सूर्य अस्त होने से पहले नहीं निकाला जाता। इन दोनों देवियों के देवरथों को सूर्य अस्त होने के बाद निकाला जाता है। अंतर्राष्ट्रीय दशहरा उत्सव में भी देवी जगन्नाथी का इशारा मिलने के बाद ही रथ यात्रा शुरू होती है। रथ यात्रा शुरू होने का समय सूर्य अस्त के बाद का ही होता है। 

मंगल कार्य के लिए लेते हैं देवता से आदेश 
इसी प्रकार देवी चामुंडा का एक मंदिर ऐसा है जहां देवी के सामने खड़े होकर पूजा नहीं की जाती। देवभूमि कुल्लू के लोग देव आदेशों से बंधे हुए हैं और देव आदेशों के अनुसार ही तमाम कार्य निपटाते हैं। किसी भी मंगल कार्य के लिए पहले देवी-देवताओं की इजाजत ली जाती है। यहां तक कि कई बार लोग लंबी यात्रा पर निकलने से पहले भी देवी-देवताओं से अनुमति लेते हैं। यदि देवी-देवताओं ने यात्रा स्थगित करने को कहा तो लोग यात्रा स्थगित भी कर देते हैं। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Related News