हिमाचल में इस दिन तक मौसम साफ रहने के आसार, जानिए अपडेट

punjabkesari.in Thursday, Nov 20, 2025 - 10:38 AM (IST)

हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश, जिसे अक्सर 'देवभूमि' कहा जाता है, इस साल एक गंभीर पर्यावरणीय संकट का सामना कर रहा है। लगातार दूसरे वर्ष, नवंबर का महीना लगभग सूखा रहा है। प्रकृति की यह बेरुखी राज्य के जीवन स्रोतों पर सीधा असर डाल रही है।

सूखे का बढ़ता दायरा: जल संकट की आहट

मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस माह हिमाचल प्रदेश में सामान्य से लगभग 90 प्रतिशत कम वर्षा दर्ज की गई है। यह स्थिति पिछले साल से थोड़ी ही बेहतर है, जब इस दौरान 99 प्रतिशत की रिकॉर्ड कमी दर्ज हुई थी, और 2021 में भी 95 प्रतिशत कम बारिश हुई थी।

लगातार तीसरे वर्ष बादलों का न बरसना एक बड़ा चिंता का विषय है। इस सूखे का सीधा असर राज्य के जल स्रोतों पर पड़ेगा, जो धीरे-धीरे सूख सकते हैं। इसका सबसे भयानक प्रभाव कृषि, बागवानी और आम जनता के लिए पेयजल आपूर्ति पर पड़ना तय है। पूरे प्रदेश के सभी जिलों में इस माह वर्षा की कमी रही है, और मौसम विभाग ने 25 नवंबर तक मौसम साफ रहने का अनुमान लगाया है, जिससे तत्काल राहत की कोई उम्मीद नहीं है।

शुष्क ठंड का कहर: पारा शून्य से नीचे

एक तरफ जहां बारिश की कमी ने सूखे की चुनौती खड़ी कर दी है, वहीं दूसरी तरफ कड़ाके की ठंड का प्रकोप जारी है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तापमान तेजी से गिर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि पश्चिमी विक्षोभों की अनुपस्थिति और शुष्क, ठंडी हवाओं के कारण यह गिरावट दर्ज की जा रही है।

सुबह और शाम के समय ठिठुरन इतनी बढ़ गई है कि कई स्थानों पर तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला गया है। मंगलवार रात से बुधवार सुबह के बीच, राज्य के 24 स्थानों पर पारा काफी नीचे रिकॉर्ड किया गया। लाहौल-स्पीति के कुकुमसेरी और ताबो में न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे दर्ज हुआ है, जबकि केलांग भी लगभग शून्य पर है। निचले क्षेत्रों जैसे सुंदरनगर और बिलासपुर में सुबह के समय मध्यम कोहरा भी दिखाई दे रहा है, जो बढ़ती सर्दी का संकेत है।

हिमाचल प्रदेश इस समय सूखे और सर्दी, दोनों की दोहरी मार झेल रहा है, जिससे राज्य के किसानों और निवासियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।


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Content Editor

Jyoti M

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