Solan: साऊथ जोन जीएसटी विंग ने नकली और धोखेबाज टैक्सपेयर्स को पकड़ा

punjabkesari.in Thursday, Dec 11, 2025 - 10:15 PM (IST)

सोलन (ब्यूरो) : साऊथ जोन जीएसटी विंग परवाणू ने नकली और धोखेबाज टैक्सपेयर्स को पकड़ने में बड़ी सफलता हासिल की है। इन नकली टैक्सपेयर्स ने एआई टूल्स से छेड़छाड़ किए गए डॉक्यूमैंट्स जैसे बिजली के बिल, आधार कार्ड, पैन कार्ड, रैंट डीड, सहमति डॉक्यूमैंट्स व मोबाइल नंबर अपलोड करके बिना पहचान के जीएसटी आईएन रजिस्ट्रेशन करवाया था। हैरानी की बात यह है कि एफिडैविट के लिए इस्तेमाल किए गए ई-स्टैंप पेपर जिनका इस्तेमाल असली प्रोफैशनल्स जैसे टीचर, सरकारी कर्मचारी और डाक्टर्स ने रैंट डीड के लिए किया था, उन्हें एआई से छेड़छाड़ करके अपने मकसद के लिए इस्तेमाल किया, ताकि उन्हें बिजनैस के लिए इस्तेमाल किया जा सके। जीएसटी अधिकारियों की जांच में ये मकान मालिक जिनके डाॅक्यूमैंट इस्तेमाल किए गए थे, पिछले 6 महीनों में अपनी जगहों पर किए गए ऐसे बिजनैस टर्नओवर के बारे में अनजान पाए गए। आधार कार्ड और मोबाइल नंबर सफाई कर्मचारियों, माली और घरेलू नौकरों के पाए गए हैं, जिन्हें उनके आईडी प्रूफ पर किए जा रहे इतने बड़े बिजनैस टर्नओवर के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। ऐसे 9 टैक्सपेयर्स में से 5 शिमला जिले से, 3 सोलन जिला से और 1 ऊना जिला से पाए गए। ये सभी नकली और धोखेबाज़ टैक्सपेयर्स तेलंगाना, राजस्थान और कर्नाटक से दक्षिणी राज्यों के बैंक खातों का इस्तेमाल करके बिजनैस करते पाए गए और 90 फीसदी बिक्री भी हिमाचल प्रदेश से इन राज्यों को दिखाई गई थी।

विभाग ने अब तक 9 ऐसे करदाताओं को पकड़ा है, जिन्होंने जीएसटी को चूना लगाकर 941.39 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी वाला कारोबार किया, जिसका जीएसटी 170 करोड़ रुपए बनता है। विभाग ने एचप एसजीएसटी अधिनियम-2017 के तहत कार्रवाई करके इन करदाताओं के जीएसटी आईएन तत्काल रद्द कर दिए गए हैं। जिला शिमला और सोलन के आंतरिक क्षेत्रों में और इनमें से एक टैक्सपेयर की चेन जिला ऊना के हरोली में मिली है। आईटीसी ने दावा किया कि उनके क्रैडिट बही खाते में जो कुछ भी उपलब्ध था, उसे ब्लॉक कर दिया गया है और इन करदाताओं का सामान्य तौर पर पता नहीं चल पा रहा है। आम नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे अपने बिजली बिल, आधार कार्ड, पैन कार्ड, किराया विलेख, सहमति दस्तावेज, मोबाइल नंबर, ई-स्टाम्प पेपर सुरक्षित रखें और उन्हें खोने न दें। ऐसे आपराधिक तत्वों के हाथों में आने से फर्जी बिल/फर्जी रजिस्ट्रेशन का कारोबार हो रहा है। सभी मंडलाधिकारियों एवं एएसटीईओएस व एसटीईओएस को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि अनुदान देने से पहले जीएसटीआईएन आवेदकों की वास्तविकता को सत्यापित करना सुनिश्चित करें।

संयुक्त आयुक्त जीएसटी विंग दक्षिण क्षेत्र हिमाचल प्रदेश परवाणू जीडी ठाकुर ने बताया कि डीसीएस, एसीएस और एएसटीईओएस व एसटीईओएस की टीमों व आईटी स्टाफ ने इन घोटालों को उजागर करने में बेहतर कार्य किया है। इन करदाताओं द्वारा 170 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी को रोका गया। इस तरह की कार्रवाई भविष्य में भी जारी रहेगी।


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Kuldeep

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