मोदी के ड्रीम प्रोजैक्ट को अमलीजामा पहनाने के लिए HFRI ने शुरू की कदमताल

punjabkesari.in Tuesday, Aug 20, 2019 - 10:03 AM (IST)

धर्मशाला(नितिन) : नमामि गंगे प्रोजैक्ट की तर्ज पर देश की अन्य सभी नदियों के बेसिन के जीर्णोद्धार, संरक्षण और समग्र एवं संतुलित विकास के लिए डी.पी.आर. तैयार की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजैक्ट के तहत हिमाचल व जम्मू कश्मीर में बहने वाली 5 नदियों समेत ब्यास नदी के लिए अरबों रूपए की लागत से मार्च, 2020 तक डी.पी.आर. बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए हिमालयन वन अनुसंधान, शिमला ने आवश्यक कदमताल शुरू कर दी है। इसी प्रक्रिया के तहत एच.एफ.आर.आई. ने सोमवार को धर्मशाला में मिड हिमालयन परियोजना के क्षेत्रीय कार्यालय के सभागार में एक कार्यशाला का आयोजन किया।
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वन्य प्राणी वृत धर्मशाला के अरण्यपाल प्रदीप ठाकुर की अध्यक्षता में हुई बैठक में विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया। इस अवसर पर हिमालयन वन अनुंसधान शिमला के अरण्यपाल सत्य प्रकाश नेगी ने बताया कि नदियों की बेसिन की डी.पी.आर. बनाने के लिए एच.एफ.आर.आई को नोडल एजेंसी जबकि वन विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है। इसके अलावा विभिन्न विभागों, स्थानीय निकायों और स्थानीय लोगों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी।

उन्होंने कहा कि डी.पी.आर. में पर्यावरण व जल संरक्षण, बाढ़ नियंत्रण, पौधारोपण, कृषि बागबानी, स्थानीय लोगों की आजीविका और समग्र विकास के पहलूओं को भी शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नदियों को सिर्फ एक जलधारा के रूप में ही नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि इनके साथ पूरी सभ्यता जुड़ी होती है। वहीं वन्य प्राणी वृत धर्मशाला के वन मंडलाधिकारी सुशील डढवाल ने कहा कि ब्यास बेसिन की डी.पी.आर बनाने के महत्वपूर्ण कार्य में सभी विभागों को अपने सुझाव व विस्तृत डाटा प्रस्तुत करें ताकि ब्यास बेसिन के जीर्णोद्धार, संरक्षण व समग्र विकास के सभी पहलूओं को शामिल किया जा सके। इस मौके पर हिमालयन बचाओ समिति के अध्यक्ष कुलभूषण उपमन्यू, वन वृत धर्मशाला के अरण्यपाल डी.आर. कौशल समेत अन्य अधिकारियों ने अपने सुझाव रखे।

वैब पोर्टल को विशेष रूप से बनाया जाएगा आकर्षित 

डी.पी.आर. के समन्वयक सत्यपाल नेगी ने बताया कि हिमाचल की प्रमुख नदियों की रिपोर्ट तैैयार करने के लिए एच.एफ.आर.आई. वैब पोर्टल को विशेष रूप से आकर्षित बनाया जाएगा और इसमें सभी लोगों के सुझाव स्वीकार किए जाएंगे। जिसमें कि ब्यास नदी के कैचमैंट एरियोंं के अनुरूप क्षेत्र की परिस्थितियों के अनुरूप स्थानीय लोगों की उपेक्षाओं को पूरा करने के सभी पहलुओं को ध्यान में रखा जाएगा। 


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Edited By

Simpy Khanna

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