Mandi: बूढ़ी दीवाली में दिखी देव परंपराओं की दिव्य आभा, देवगुरु ने दहकते अंगारों पर किया नृत्य

punjabkesari.in Thursday, Nov 20, 2025 - 07:25 PM (IST)

सुंदरनगर (सोढ़ी): हिमाचल की देव संस्कृति और लोक आस्था का अद्भुत संगम करसोग उपमंडल के ममेल स्थित ऐतिहासिक ममलेश्वर महादेव मंदिर में उस समय दिखाई दिया जब बूढ़ी दीवाली पर्व पारंपरिक उत्साह, शुद्ध अनुष्ठानों और दिव्य रीतियों के साथ सम्पन्न हुआ। पर्व का सबसे खास दृश्य तब सामने आया जब देवगुरु ने दहकते अंगारों पर नृत्य किया। मार्गशीर्ष अमावस्या की रात्रि को मनाई जाने वाली यह बूढ़ी दीवाली, मुख्य दीवाली से एक माह बाद आयोजित होती है। इस बार हजारों श्रद्धालु देर रात तक मंदिर परिसर में मौजूद रहे। मंदिर पुजारी अरविंद और स्नातकोत्तर नीतू भारद्वाज ने बताया कि यह पर्व हिमाचली देव संस्कृति की उन जड़ों से जुड़ा है, जिसकी परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है। स्थानीय परंपरा के अनुसार बूढ़ी दीवाली का प्रथम निमंत्रण देव अलैड़ी/डैढ़ी को दिया गया था।

बुधवार रात को देव-खुंबलियों के मंदिर आगमन के साथ मुख्य अनुष्ठान प्रारंभ हुआ। हलयाड/अलैड मंदिर से पहुंची पहली खुंबली के साथ चलते कारदार ढोल-नगाड़ों व शहनाई बजाते जबकि ग्रामीणों की टोलियां नृत्य करती हुईं मंदिर पहुंचीं। इसके अलावा हाथों में उठी विशाल मशालें आयोजन की भव्यता को और बढ़ाती रहीं। दूसरी खुंबली काणी मंदलाह से पहुंची। बुजुर्गों के अनुसार, प्राचीन काल में जोगठी/जगणी की मशालें ही मार्गदर्शन का माध्यम होती थीं और वही परंपरा आज भी जीवंत है। लोक मान्यता है कि नाग कजौणी के आभूषणों का निर्माण और संरक्षण कभी काणी मंदलाह में होता था, जिन्हें देव रथयात्रा के दौरान विशेष किलटे में रखकर ममेल लाया जाता था। रात्रि के मुख्य क्षण में देव अलैड़ी और नाग कजौणी की देवशक्तियों का पवित्र मिलन मंदिर के पीछे सड़क पर हुआ। इसी के बाद वह दिव्य दृश्य सामने आया जब देव गुरु ने आग के अंगारों पर नृत्य कर आस्था की अद्भुत शक्ति को साकार रूप दिया। श्रद्धालु इस दृश्य के साक्षी बनने के लिए देर रात तक डटे रहे।


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Vijay

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