सदन में गूंजा टैक्नोमैक कंपनी का घोटाला, जानिए क्या बोले उद्योग मंत्री

punjabkesari.in Wednesday, Apr 04, 2018 - 12:29 AM (IST)

शिमला: हिमाचल में इंडियन टैक्नोमैक कंपनी द्वारा किए गए करोड़ों रुपए के टैक्स घोटाले की गूंज मंगलवार को सदन में भी सुनाई दी। विधायक राकेश सिंघा ने नियम-62 के तहत जिला सिरमौर के तहत पांवटा साहिब में उक्त कंपनी द्वारा किए गए 3,000 करोड़ रुपए के टैक्स घोटाले का मामला सदन में उठाया। इसके जवाब में उद्योग मंत्री विक्रम सिंह ठाकुर ने कहा कि कंपनी से बकाया राशि को वापस लेने के लिए सरकार गंभीर है। उन्होंने कहा कि सहायक आबकारी और कराधान आयुक्त सिरमौर को ये निर्देश दिए हैं कि वह इस मामले को दूसरे राज्यों के उन जिलाधीशों के साथ उठाएं, जहां इंडियन टैक्नोमैक लिमिटेड व कंपनी के निदेशकों से संबंधित कार्यालय की संपत्ति स्थित है। इस मामले में केंद्रीय एजैंसियों द्वारा जांच की जानी जरूरी है। 


हाईकोर्ट में सिविल रिट दायर करेगी सरकार 
उद्योग मंत्री ने कहा कि विभिन्न वित्तीय संस्थाओं और अन्य दावेदारों ने इसको लेकर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में मामला दायर किया है। आई.सी.आई.सी. बैंक द्वारा दाखिल किए गए वसूली प्रमाण पत्र में ऋण वसूली ट्रिब्यूनल दिल्ली ने विभाग द्वारा हस्तक्षेप के बावजूद बैंक को कंपनी की 2 जे.सी.बी. बेचने की अनुमति दी है। इसके अलावा डी.बी.एस. बैंक द्वारा दर्ज वसूली प्रमाण पत्र में विभाग ने भी हस्तक्षेप किया था। उन्होंने कहा कि डी.आर.टी. दिल्ली ने बैंक को कंपनी की संपत्ति पर कब्जा करने की अनुमति दी है। राज्य सरकार जल्द ही इस संबंध में प्रदेश हाईकोर्ट में सिविल रिट दायर करने जा रही है। उद्योग मंत्री ने कहा कि इस मामले में किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि कंपनी के बिजली बिल घोटाले की जांच पूरी हो चुकी है और अदालत में चालान पेश किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि इस मामले में जांच एजैंसी ने एक गिरफ्तारी भी की थी।


घोटाले के लिए कार्पोरेट, राजनीतिज्ञ और अफसरशाही जिम्मेदार 
माकपा के राकेश सिंघा ने नियम-62 के तहत मामला उठाते हुए इंडियन टैक्नोमैक कंपनी में हुए घोटाले को बहुत गंभीर मामला बताया और कहा कि सरकार तथा सदन को इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अभी तक कंपनी का केवल 3,000 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है जबकि वास्तव में यह घोटाला 6,000 करोड़ रुपए से अधिक का है। उन्होंने कहा कि इस कंपनी ने 16 बैंकों से ऋण लिए  जिनकी अदायगी नहीं की गई है। उन्होंने इस घोटाले को कार्पोरेट, राजनीतिज्ञों और अफसरशाही की मिलीभगत करार दिया। उन्होंने कहा कि इस घोटाले के लिए पूरी तरह से आबकारी एवं कराधान विभाग जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि घोटाले के सामने आने के बावजूद विभाग ने कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए। उन्होंने कहा कि इस घोटाले की केवल छानबीन ही नहीं होनी चाहिए बल्कि इसमें शामिल लोगों के खिलाफ  कड़ी कार्रवाई की भी जरूरत है अन्यथा इसकी देखादेखी में इस तरह के और घोटाले होंगे।


देश छोड़ दुबई फरार हो चुका निदेशक
विधायक ने कहा कि इस मामले की जांच में विलंब हुआ है। कंपनी का निदेशक देश छोड़कर दुबई में जा बैठा है। उन्होंने कहा कि यदि कंपनी को बख्श देंगे तो भविष्य में इस तरह के और घोटाले सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि मामले में सी.बी.आई. की जांच की बात हो रही है। उन्होंने कहा कि सी.बी.आई. कोई खुदा की टांग नहीं है। गुडिय़ा मामले में अभी तक किसी तथ्य को सामने नहीं ला पाई।


आरोपियों को भारत लाने के होंगे प्रयास
उद्योग मंत्री ने कहा कि इस मामले में जो भी आरोपी विदेश भाग गए हैं, उन्हें भारत सरकार के हस्तक्षेप से वापस लाने के प्रयास होंगे। उन्होंने कहा कि इस मामले में अभी तक 2 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और उनसे पूछताछ चल रही है। उनका कहना था कि इस मामले में अकेला राकेश शर्मा आरोपी नहीं है। कंपनी के 4 अन्य निदेशक भी हैं। उनका कहना था कि इन आरोपियों से सरकार ने नियमों के तहत वसूली के लिए इनकी चल-अचल संपत्ति को कुर्क करके उनके मूल पंजीकरण प्रमाण पत्र को जब्त कर लिया है। उन्होंने माना कि मामले की जांच में विलंब हुआ है।


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