ऊना में भेड़ पालकों के लिए लगाया विशेष प्रशिक्षण शिविर, समस्याएं सुनने के साथ प्रदान की पशु जीवन रक्षक दवाएं
punjabkesari.in Thursday, Feb 17, 2022 - 01:30 PM (IST)

ऊना (अमित शर्मा) : जिला ऊना मुख्यालय के पशुपालन उपनिदेशक कार्यालय परिसर में वीरवार को पशुपालन विभाग और वूल फेडरेशन के संयुक्त तत्वाधान में भेड़ पालकों के लिए विशेष प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस मौके पर वित्त आयोग के अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने बतौर मुख्य अतिथि और वूल फेडरेशन के चेयरमैन त्रिलोक कपूर ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की। कैंप के दौरान जहां पशु चिकित्सकों ने भेड़ पालकों को उनके पशुधन में होने वाली कई बीमारियों के प्रति जागरूक किया वहीं उन्हें पशुओं के जीवन का रक्षण करने वाली दवाएं भी वितरित की। इस मौके पर भेड़ पालकों की समस्याओं को भी सुना गया और उनके निदान के लिए अधिकारियों को भी दिशानिर्देश जारी किए गए।
भेड़ पालकों के लिए आयोजित किए गए शिविर में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे वित्त आयोग के अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने कहा कि हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन और पशुपालन विभाग के माध्यम से समय-समय पर ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसके माध्यम से पशुपालक और विशेष रूप से भेड़ पालकों को इसका लाभ मिल सके। इसी कड़ी में पहाड़ी क्षेत्रों से उतरकर निचले क्षेत्रों में पहुंचे भेड़ पालकों के लिए विशेष शिविर का आयोजन किया जा रहा है, ताकि उन्हें चिकित्सकों के माध्यम से अपने पशुधन के संरक्षण के लिए दिशानिर्देश और बचाव के लिए दवाओं की किट्स प्रदान की जा सकें।
उन्होंने कहा कि भेड़ पालन के व्यवसाय से जुड़े लोग पूरा वर्ष घूम फिर कर अपने व्यवसाय को चलाते हैं और इस परिस्थिति में भी उनके पशुधन को सुरक्षित रखा जा सके इसके लिए प्रदेश सरकार पूरी तरह से सजग है। सतपाल सिंह सत्ती ने कहा कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था में भेड़ पालकों का अहम रोल सदैव रहा है जिसके चलते इस कारोबार से जुड़े लोगों को प्रोत्साहित करना और उनकी मांगों को समय समय पर पूरा करना प्रदेश सरकार का कर्तव्य है। उसी कर्तव्य निर्वाह के तहत इस विशेष शिविर का आयोजन किया गया।
वूल फेडरेशन के अध्यक्ष त्रिलोक कपूर ने कहा कि प्रदेश की जयराम सरकार का सदैव प्रयास रहता है कि प्रत्येक वर्ग के लिए कल्याणकारी नीतियों को बनाकर उनका सफल क्रियान्वयन किया जाए। उन्होंने कहा कि इन शिविरों के आयोजन का उद्देश्य केवल मात्र भेड़ पालकों को दवाएं उपलब्ध करवाना नहीं होता बल्कि इन्हीं शिविरों के माध्यम से उनके समस्याओं को भी सुना जाता है और उनके निदान के लिए मौके पर ही प्रभावी कदम भी उठाए जाते हैं। यह वर्ग केवल मात्र अपने लिए ही नहीं बल्कि प्रदेश के लिए भी विकास के क्षेत्र में काफी योगदान देता है, जिसके चलते इनका संरक्षण को प्रोत्साहन देना बेहद आवश्यक है।