Shimla: धारा 118 के सरलीकरण के बहाने प्रदेश हितों को बेचना चाहती है सरकार : जयराम
punjabkesari.in Friday, Oct 24, 2025 - 07:49 PM (IST)
शिमला (ब्यूरो): पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि धारा 118 में सरलीकरण के नाम पर किसी प्रकार की छेड़छाड़ भाजपा बर्दाश्त नहीं करेगी। सुक्खू सरकार धारा 118 के नियमों में ढील देकर अपने खास लोगों को फायदा पहुंचाना चाहती है। यह किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा। व्यवस्था परिवर्तन वाली सुख की सरकार सत्ता संभालने के पहले दिन से ही प्रदेश की संपत्तियों और हितों को अपने व्यापारी मित्रों को देने के लिए तत्पर दिख रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा के तमाम विरोधों के बावजूद सरकार ने सबसे पहले धार्मिक संगठनों को हिमाचल प्रदेश काश्तकारी एवं भूमि सुधार अधिनियम 1972 की धारा 118 में छूट दे दी कि वह जमीन बेच सकते हैं। हमने विधानसभा में भी इसका विरोध किया साथ ही सरकार को आगाह किया कि जिस रास्ते पर वह चल रही है वह कहीं से भी प्रदेश के लिए हितकारी नहीं है।
अब फिर मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि हम धारा 118 के नियमों का सरलीकरण करेंगे। लेकिन अपने मित्र मंडली और व्यापारी मित्रों के हितों के लिए मुख्यमंत्री ने हमेशा प्रदेश के हितों की अनदेखी की है। धारा 118 की बंदिशों में सरलीकरण को लेकर उनका रुख हमेशा प्रदेश के हितों के खिलाफ रहा है। उन्होंने कहा कि इसके पहले वह पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय 40 हैक्टेयर से ज्यादा भूमि अपने व्यापारी मित्रों को बेच चुके हैं। सरकार के इस कृत्य का भी हमने विरोध किया था। न्यायालय के दखल के बाद सरकार की इस डील पर फिलहाल विराम लगा है। प्रदेश के 20 से ज्यादा होटल इसी तरह से सरकार ने अपने मित्रों को बेचने की प्लानिंग की है।
प्रदेश के संसाधनों का विदोहन हिमाचल प्रदेश को लोगों के हितों के लिए पर्यावरण की सुरक्षा करते हुए होना चाहिए। हम सरकार और मुख्यमंत्री को यह बताना चाहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी हिमाचल और हिमाचलियत की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हम धारा 118 में लेस मात्र की छेड़छाड़ भी बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि बड़सर पीडब्ल्यूडी रैस्ट हाऊस में मुख्यमंत्री ने जाने का कार्यक्रम पहले से रखा था।
उनके नेताओं ने स्थानीय लोगों को सीएम से मिलवाने के लिए सैंकड़ों लोगों को बुला रखा था। लेकिन लोगों की भारी संख्या देखकर मुख्यमंत्री उनसे मिलने की बजाय सीधे शिमला निकल गए। वहां उनका इंतजार दिव्यांग भी कर रहे थे लेकिन सीएम साहब को उनकी न तो फरियाद सुननी थी और न ही उनके किसी सवाल का जवाब देना था। वहां जो भी बुजुर्ग और दिव्यांग आए थे उनका सरकार से यही सवाल था कि उनकी पैंशन क्यों बंद है?, क्यों नहीं आ रही है?, उनकी सहारा पैंशन क्यों नहीं आ रही है? मुख्यमंत्री भले ही उनसे मिले बिना चले गए लेकिन उनके सवाल सरकार का पीछा नहीं छोड़ेंगे।
मुख्यमंत्री बताएं कि लोगों को वृद्धा पैंशन क्यों नहीं मिल रही समय से? उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री तीन वर्ष में तीन बार बड़सर सिविल अस्पताल को 100 बैड का अस्पताल बनाने की घोषणा कर चुके हैं। सड़क से लेकर सदन और भाषण से लेकर बजट में भी ऐलान किया है लेकिन तीन साल में उस अस्पताल में एक नई ईंट भी नहीं रखवा पाए हैं? तीन साल में उन्होंने बड़सर में संस्थाओं को बंद करने का शतक लगाया है।

