Shimla: शिमला में रोपवे प्रोजैक्ट की राह हुई आसान, एफसीए स्टेज एक की मंजूरी मिली
punjabkesari.in Tuesday, Oct 14, 2025 - 10:28 PM (IST)
शिमला/धर्मशाला (सौरभ): राजधानी शिमला में प्रस्तावित विश्व का दूसरा और देश का सबसे बड़ा ट्रांसपोर्ट रोपवे बनाने की राह आसान हुई है। राजधानी को जाम से निजात दिलाने के मकसद से 13.79 किलोमीटर लंबी रोपवे लाइन का निर्माण होगा। इस महत्वाकांक्षी प्रोजैक्ट को स्वयं मॉनिटर कर रहे परिवहन विभाग के मुखिया व उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने मंगलवार को बताया कि 1734.70 करोड़ रुपए की लागत से बनाए जा रहे शिमला रोपवे और रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम डिवैल्पमैंट प्रोजैक्ट को केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 यानी एफसीए के तहत चरण-एक की स्वीकृति प्राप्त हो गई है।
उन्होंने कहा कि यह रोपवे परियोजना शिमला शहर के सभी प्रमुख स्थलों को आपस में जोड़ेगी। लगभग 14 किलोमीटर लम्बे रोपवे की स्थापना से राजधानी में न केवल ट्रैफिक जाम और प्रदूषण में कमी आएगी, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी यह रोपवे लाभदायक सिद्ध होगा, क्योंकि इससे इससे यातायात का दबाव कम होगा व कार्बन उत्सर्जन घटेगा। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी हिमाचल में बढ़ती आपदाओं को देखते हुए पर्यावरण को बचाने व विकास परियोजनाओं में संतुलन लाने के लिए पहले ही अधिक से अधिक रोपवे निर्मित करने की बात कह चुके हैं।
6.1909 हैक्टेयर वन भूमि पर बनेगा रोपवे
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि परियोजना के लिए 6.1909 हैक्टेयर वन भूमि के इस्तेमाल की सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है। रोपवे बनाने में सभी पर्यावरणीय और संवैधानिक प्रावधानों का पूरा पालन किया जाएगा। शिमला रोपवे परियोजना के निर्माण से स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और शिमला में जाखू रोपवे के बाद पर्यटकों को एक नया व शानदार अनुभव प्राप्त होगा। अग्निहोत्री ने केंद्र सरकार और पर्यावरण मंत्रालय का इस अहम परियोजना को जल्द स्वीकृति देने के लिए आभार व्यक्त किया है।
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री का कहना है कि शिमला रोपवे परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए निरंतर कदम उठाए जा रहे हैं। इस परियोजना को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से एफसीए स्टेज एक की सैद्धान्तिक मंजूरी मिलना अहम मोड़ है। इस अत्याधुनिक रोपवे नैटवर्क के निर्माण से शिमला शहर को पर्यावरण अनुकूल, आधुनिक और निर्बाध परिवहन सेवा मिलेगी व लोगों का यात्रा समय भी बचेगा।

