Shimla: उद्योग विभाग के अतिरिक्त निदेशक हुए आरोपमुक्त, CBI कोर्ट ने सुनाया फैसला

punjabkesari.in Wednesday, Nov 27, 2024 - 10:27 PM (IST)

शिमला (ब्यूरो): हिमाचल सरकार में अतिरिक्त उद्योग निदेशक के पद पर तैनात तिलकराज शर्मा को बड़ी राहत मिली है। सीबीआई कोर्ट चंडीगढ़ ने बुधवार को उन्हें आरोपमुक्त कर दिया है। वर्ष 2017 में सीबीआई ने ट्रैप लगाकर चंडीगढ़ से उद्योग विभाग के बीबीएनडीए के तत्कालीन संयुक्त निदेशक के पद पर तैनात तिलकराज शर्मा और एक अन्य व्यक्ति को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने इस अधिकारी के चंडीगढ़ स्थित घर की तलाशी ली लेकिन वहां से पैसे की कोई रिकवरी नहीं हुई थी। सैंट्रल फोरैंसिक लैब की रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई कि उक्त अधिकारी ने पैसे की कोई मांग नहीं की थी।

बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं बीएस डोगरा और साक्षी शर्मा ने बताया कि सीबीआई ने चार्जशीट बनाकर 2017 में अभियोजन मंजूरी के लिए प्रदेश की तत्कालीन सरकार को भेजी। सरकार ने चार्जशीट में लगाए गए सभी आरोपों की सभी पहलुओं से जांच की। जांच में पैसे लेने की बात निराधार पाई गई। सीबीआई ने वर्ष 2022 में नए दस्तावेजों के साथ अतिरिक्त चार्जशीट बनाकर अभियोजन मंजूरी के लिए प्रदेश सरकार को दोबारा भेजी। प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने भी अतिरिक्त चार्जशीट में लगाए सारे आरोपों की गहराई से जांच करवाई और इस नतीजे पर पहुंची कि उक्त अधिकारी पर लगाए गए सारे आरोप निराधार हैं।

चार्जशीट और अतिरिक्त चार्जशीट के आरोपों की जांच करवाने के बाद सरकार ने पाया कि कैपिटल सबसिडी देने के लिए उक्त अधिकारी अधिकृत नहीं थे। कैपिटल सबसिडी जारी करने के लिए प्रदेश स्तरीय कमेटी ही अधिकृत थी जबकि आरोप यह था कि कैपिटल सबसिडी जारी करने की एवज में पैसे मांगे गए थे। जांच में यह भी पाया गया कि शिकायतकर्त्ता उक्त कैपिटल सबसिडी को लेने के लिए कंपनी की तरफ से अधिकृत ही नहीं था। कंपनी के मालिकों ने लिखित में स्वीकार किया कि उन्होंने शिकायतकर्त्ता को कोई भी पैसे रिश्वत के लिए नहीं दिए।

उठाए थे कड़े कदम, हाशिए पर थे तिलकराज
बद्दी में उद्योग विभाग के संयुक्त निदेशक रहते तिलकराज शर्मा ने यह पाया था कि बिचौलिए सरकार की इन्वैस्टर फ्रैंडली छवि को धूमिल कर रहे हैं, जिसके लिए उन्होंने 27 नवम्बर 2015 को स्टैंडिंग ऑर्डर निकाल कर बिचौलियों के रोल को पूर्णतया प्रतिबंधित कर दिया था। उस दौरान प्रदेश में फार्मा के कुछ उत्पादों के उत्पादन की स्वीकृति नहीं दी जा रही थी, जबकि उत्तराखंड में उन्हीं उत्पादों को बनाने की अनुमति दी जा रही थी, जिसके चलते बहुत सा बिजनैस उत्तराखंड को शिफ्ट हो रहा था जिसके चलते प्रदेश सरकार को भारी नुक्सान हो रहा था।

फार्मा एसोसिएशन के निवेदन पर उक्त अधिकारी ने प्रदेश सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था, जिसमें एक कमेटी गठित करने की सिफारिश की गई थी। प्रस्ताव में यह भी सिफारिश की गई थी कि प्रदेश फार्मा हब के रूप में उभर रहा है, जिसके लिए चार-पांच अलग-अलग लाइसैंसिंग अथॉरिटी बनाई जाएं। उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय ड्रग कंट्रोलिंग अथॉरिटी में व्याप्त भ्रष्टाचार और ड्रग्स कंट्रोलिंग अथॉरिटी के एकाधिकार को खत्म करने के लिए अलग से लाइसैंसिंग अथॉरिटी बनाने की सिफारिश की थी, जिस पर कैबिनेट में भी चर्चा हुई थी। इन कारणों से उक्त अधिकारी दलालों के निशाने पर थे।

न्यायपालिका पर था पूरा विश्वास : तिलकराज
उद्योग विभाग के संयुक्त निदेशक तिलकराज शर्मा ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा विश्वास था। उन्होंने इस फैसले को सत्य की जीत बताया है।


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Kuldeep

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