Shimla: सीमैंट पर GST दरें घटाने से हिमाचल को हुआ 1,000 करोड़ का नुक्सान : धर्माणी
punjabkesari.in Saturday, Sep 27, 2025 - 10:07 PM (IST)

शिमला (ब्यूरो): तकनीकी शिक्षा एवं नगर नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा है कि प्राकृतिक आपदाओं की मार झेल रहे हिमाचल प्रदेश को जीएसटी परिषद की तरफ से सीमैंट की दरें 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी करने से लगभग 1,000 करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष नुक्सान हुआ है। इस स्थिति में राज्य सरकार की तरफ से सीमैंट की कीमत 5 रुपए प्रति बैग करने का निर्णय सही है। राजेश धर्माणी ने यहां जारी बयान में कहा कि मूल्य वर्धित कर (वैट) व्यवस्था के दौरान जीएसटी से पहले राज्य का राजस्व लगभग 16 फीसदी की दर से बढ़ रहा था। जून, 2017 के बाद उपभोग आधारित कराधान प्रणाली जीएसटी के युक्तिकरण के बाद राजस्व घटकर मात्र 7 से 8 फीसदी रह गया।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के निर्णय से हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर तथा उत्तराखंड जैसे राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद ने आश्वासन दिया था कि हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों को नुक्सान की भरपाई की जाएगी और राजस्व वृद्धि वैट व्यवस्था के दौरान 16 फीसदी तक पहुंचने तक क्षतिपूर्ति उपकर प्रदान किया जाएगा। आश्वासन के बावजूद जून, 2022 में यह क्षतिपूर्ति उप-कर बंद कर दिया गया। नतीजन राज्य के पास राजस्व सृजित करने के संसाधन कम हो गए, जिसका विपरीत प्रभाव वित्तीय स्थिति पर पड़ा। उन्होंने कहा कि राज्य के पास जो संसाधन उपलब्ध हैं, उनमें संसाधन सृजन के अधिक विकल्प नहीं हैं। प्रदेश को वर्ष, 2023 से लगातार मानसून की तबाही झेलने के कारण लगभग 16,000 करोड़ रुपए के नुक्सान के साथ आपदाओं का खमियाजा भुगतना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी मुआवजे के अभाव में राज्य को जुलाई, 2025 तक 17,000 करोड़ रुपए का राजस्व घाटा हुआ है। उन्होंने विपक्ष के बयान का खंडन करते हुए कहा कि अगर वे वित्तीय ढांचे को बेहतर ढंग से समझ पाते तो सीमैंट के एक बैग पर 5 रुपए की बढ़ौतरी पर इतना हंगामा नहीं करते। उन्हें समझना चाहिए कि जीएसटी को तर्कसंगत बनाने से राज्य को 1,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुक्सान हुआ है। सिर्फ सीमैंट पर जीएसटी कम करने से ही राजस्व में 150 से 200 करोड़ रुपए की कमी आएगी, जिससे राज्य के खजाने पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी के युक्तिकरण से हिमाचल प्रदेश को कुल मिलाकर लगभग 1,000 करोड़ रुपए का नुक्सान हुआ है, जबकि युक्तिकरण से पहले लगभग 5,300 करोड़ रुपए मिल रहे थे।