हिमाचल को रोजगार, 40 मैगावाट बिजली और पर्यटन को बढ़ावा देगी रेणुका बांध परियोजना

punjabkesari.in Saturday, Dec 25, 2021 - 10:36 AM (IST)

नाहन (एसआर पुण्डीर) : आखिर 1966 से लटक रही रेणुका बांध परियोजना को हरी झंडी मिल ही गई। 6946 करोड़ लागत की इस बहुप्रतीक्षित परियोजना के निर्माण का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 27 दिसम्बर को अपनी हिमाचल यात्रा के दौरान शुभारम्भ करेंगे। हिमाचल प्रदेश को प्रधानमंत्री द्वारा यह सौगात ऐेसे समय में दी जा रही है जब विधानसभा चुनावों में एक वर्ष से भी कम समय रह गया है। ऐसे माहौल में ऐसी परियोजनाएं न केवल भाजपा कार्यकर्त्ताओं का मनोबल बढ़ाने वाली साबित होंगी अपितु मतदाताओं में भी इसका बहुत साकारात्मक संदेश जाएगा। भाजपा दोनों हाथों से इस प्रोजैक्ट का श्रेय बटोरने के प्रयास कर रही है। दूसरी तरफ  भाजपा दिल्ली में इस मुद्दे का राजनीतिक लाभ उठाने का अवश्य प्रयास करेगी जहां दिसम्बर, 2013 से केजरीवाल की ‘मुफ्त मुफ्त’ की राजनीतिक बयार बह रही है। राजनीतिक दृष्टि से प्रधानमंत्री ने इस प्रोजैक्ट के माध्यम से एक तीर से दो निशाने साधे हैं। एक ओर हिमाचल के लोगों को बांध निर्माण से रोजगार के अवसर मिलेंगे, क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा व प्रदेश को 40 मैगावाट बिजली मिलेगी, वहीं दूसरी ओर दिल्ली में आम लोगों के लिए दशकों से पेयजल की किल्लत सबसे बड़ी समस्या और ज्वलंत राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है जिसका निवारण भाजपा के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी।

किस राज्य को कितना खर्चा

परियोजना से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अब तक जो कार्य हुआ है उसके अनुसार कम से कम हिमाचल, हरियाणा तथा दिल्ली सरकारों को एक पैसा भी देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हिमाचल सरकार लगातार परियोजना पर लगभग 5 दशक से धन खर्च कर रही है। दिल्ली सरकार 200 करोड़ व हरियाणा सरकार 30 करोड़ रुपए पहले ही दे चुकी है। यूं भी 6 राज्यों में यदि परियोजना की 10 प्रतिशत लागत को विभाजित किया जाए तो एक राज्य के हिस्से में 10 प्रतिशत का मात्र सवा 2 प्रतिशत ही बैठता है।

ऐसे खुला डैम बनने का मार्ग, गडकरी लाए 6 राज्यों को एक साथ

देश के 6 राज्यों हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान तथा दिल्ली की भगीदारी वाली इस योजना में लगातार राजनीतिक अड़ंगे लगते रहे। आधी सदी तक राजनीतिक कारणों से इस परियोजना पर ये राज्य कभी भी एकमत नहीं हो पाए। जैसे ही केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय का जिम्मा नितिन गडकरी के पास आया उन्होंने रेणुका बांध की फाइल निकलवाई और इस पर जबरदस्त ढंग से काम करना शुरू किया। बांध से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि नितिन गडकरी ने व्यक्तिगत रुचि लेकर विभिन्न राज्यों से संयुक्त तथा अलग अनेक बैठकें कीं और अन्ततः 6 राज्यों को समझौते की मेज पर लाकर डैम परियोजना पर सबके हस्ताक्षर करवा दिए। यहीं से डैम के बनने का वास्तविक मार्ग खुला।

शीला दीक्षित का स्वप्न होगा साकार

आज तक के रेणुका बांध के इतिहास पर एक नजर दौड़ाने से पता चलता है कि यह परियोजना जो मूलतः दिल्ली सरकार की ही परियोजना को आगे बढ़ाने में वास्तव में सबसे अधिक रुचि दिल्ली की 15 वर्ष तक मुख्यमंत्री रही स्व. शीला दीक्षित ने ली। उन्होंने इस परियोजना के लिए 200 करोड़ की राशि दी थी तथा 2009 में केन्द्र की मनमोहन सिंह सरकार द्वारा इस योजना को ’राष्ट्रीय महत्व की योजना’ घोषित करवा दिया था।
 


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Content Writer

prashant sharma

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