Shimla: रोपा वैली में लोसर पर्व शुरू, खूब चलेगा नाटियों का दौर
punjabkesari.in Sunday, Dec 15, 2024 - 10:45 PM (IST)
रिकांगपिओ (कुलभूषण नेगी): जनजातीय जिला किन्नौर में यूं तो हर मौसम में अलग-अलग पर्व मनाए जाते हैं। इन पर्वों में लोसर (नव वर्ष) को मनाने का तरीका कुछ अलग ही है। किन्नौर जिले में नए साल का आगाज लोसर पर्व के साथ होता है। रोपा वैली की 3 पंचायतों में लोसर पर्व शुरू हो गया है। बौद्ध कैलेंडर के मुताबिक इस पर्व के जरिये ग्रामीण नए साल का स्वागत करते हैं। रोपा पंचायत में 3 दिन जबकि ज्ञाबुंग और सुन्नम पंचायत में यह पर्व दो दिन तक मनाया जाएगा। पर्व को लेकर ग्रामीणों में भी खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। लोसर पर्व से एक दिन पहले ग्रामीण अपने घरों से बाहर पुराने झंडों को निकाल कर बौद्ध मंत्रोचारण के साथ नए झंडे लगाते हैं। पर्व की सुबह सबसे पहले चूल्हे की पूजा की जाती है।
इसके बाद हलवा, पूरा, हद, किन्नौरी व्यंजन, सत्तू के विशेष व्यंजन ब्रंगज्ञस बनाकर उसे सजाया जाता है। इससे लोसर पर्व की शुरूआत होती है। तीसरे दिन शू लोसर होता है। इस दिन मां दुर्गा के रोपा मंदिर प्रांगण में दोपहर के बाद ग्रामीण एकत्रित होकर नाचते और गाते हैं। बौद्ध धर्म के मुताबिक ऐतिहासिक एवं पारंपरिक परंपरा का निर्वहन करते हुए ग्रामीणों ने हर्षोल्लास के साथ नए साल का आगाज किया। इसके साथ ही वैली में लोसर पर्व शुरू हो गया। बौद्ध कैलेंडर के मुताबिक लोसर पर्व यानि नया वर्ष मनाने का अंदाज कुछ अलग है। यह पर्व 13 दिसम्बर से शुरू होता है, जबकि गोनयूल घाटी में 14, 15 दिसम्बर, शुमछो में 13 जनवरी, जगरम के इलाकों में 23 दिसम्बर को मनाया जाता है।
सारी रात कई तरह के पकवान, चिलगोजे की माला बनाने का सिलसिला जारी रहता है। दूसरे दिन सब परिवार नए वस्त्र और आभूषणों के साथ सजधज कर सुबह तीन बजे उठते हैं। घर का मुखिया विशेष प्रकार का ब्रंगज्ञस बनाकर इसे वी से सजाकर विभिन्न व्यंजनों के साथ रसोई के कोने में रखता है, जबकि घर का सबसे छोटा सदस्य परिवार के सभी सदस्यों को चिलगोजे की माला पहनाता है। इस दौरान लो सोमा टाशी कहकर नए साल की शुभकामनाएं देता है।