अब गोबिंदसागर में भी होगी ट्राऊट मछली की पैदावार : वीरेंद्र कंवर

punjabkesari.in Saturday, Jul 03, 2021 - 04:27 PM (IST)

बड़ूही (अनिल): मत्स्य विभाग हिमाचल प्रदेश के वैज्ञानिकों ने बर्फीले क्षेत्रों में पैदा की जाने वाली ट्राऊट मछली की प्रजाति को पहली बार गोबिंदसागर जलाश्य के गर्म पानी में विकसित करने में सफलता हासिल की है। मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि अब तक वर्तमान में बाजार में काफी महंगी बिकने वाली ट्राऊट प्रजाति की मछली को ठंडे बर्फीले पहाड़ी क्षेत्रों में ब्यास, सतलुज तथा रावी नदी के 600 किलोमीटर लंबे नदी तट क्षेत्र में ही पैदा किया जाता है।

मत्स्य विभाग ने वर्ष 2019 में किया प्रयोग

वर्ष 2019 में मत्स्य विभाग हिमाचल प्रदेश ने प्रयोग के तौर पर ठंडे बर्फीले पानी में पैदा होने वाली ट्राऊट प्रजाति की 500 फिंगरलिंग्स को शिमला जिला के धमवारी ट्राऊट फार्म से गोबिंदसागर जलाश्य से लाकर परोईयां में पालन पोषण के लिए पिंजरों में रखा तथा इसके सफल परीक्षण के बाद मत्स्य विभाग ने सितम्बर-अक्तूबर, 2020 कोलडैम जलाश्य के कसोल में 24 पिंजरों में लगभग 30,000 फिंगरलिंग्स को ट्राऊट फार्म हमनी जिला कुल्लू से पालन पोषण के लिए स्थानांतरित किया। कौलडैम जलाश्य में पालन पोषण के लिए स्थानांतरित फिंगरलिंग्स का वजन मात्र 8 माह में 10-12 ग्राम से बढ़कर 1 किलोग्राम तक पहुंच गया जबकि ठंडे क्षेत्रों में इतना वजन बढऩे में 2 से अढ़ाई वर्ष तक का समय लग जाता है, जिससे इस प्रयोग की सफलता को आंका जा सकता है।

कोलडैम जलाश्य में 8 मीट्रिक टन ट्राऊट मछलियां विकसित कीं

मंत्री ने बताया कि बिलासपुर जिले के कोलडैम जलाश्य में विभाग ने 300 ग्राम से लेकर एक किलोग्राम तक वजन की लगभग 8 मीट्रिक टन ट्राऊट मछलियां विकसित कीं, जिनमें से 224 किलोग्राम वजन की 490 मछलियां बाजार में बिक गईं। मत्स्य विभाग ने ट्राऊट मछलियों की बिक्री को प्रोत्साहित करने के लिए 550 रुपए प्रति किलोग्राम बाजार भाव की बजाय 350 रुपए प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर ट्राऊट मछलियां बेचने का निर्णय लिया है। मंत्री ने कहा कि राज्य में आगामी वर्षों में 850 मीट्रिक टन ट्राऊट मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है तथा इसमें से 100 मीट्रिक टन नए विकसित रेसबेज में किया जाएगा। इस समय राज्य के 5574 घरों के 12,347 पंजीकृत मछुआरे 300 मछली नौकाओं के माध्यम से सम्मानजनक आजीविका कमा रहे हैं।

मछुआरों को दी जा रही आधुनिक सुविधाएं

मत्स्य पालन मंत्री ने कहा कि नीली क्रांति के अंतर्गत राज्य में एक आईस प्लांट तथा 3 लैंङ्क्षडग सैंटर विकसित किए गए हैं जबकि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत मछुआरों को कई नई आधुनिक सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। वर्ष 2020-2021 में राज्य में 3096.22 लाख रुपए की कीमत की 688.85 मीट्रिक टन ट्राऊट मछली का उत्पादन किया गया जबकि वर्ष 2021-2022 में 4673.35 लाख रुपए कीमत की 849.70 मीट्रिक ट्राऊट मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि राज्य में मछली उत्पादन के ढांचागत विकास के लिए 29 हैचरी, 13 फीड मिल, 3 रिटेल आऊटलेट व ट्राऊट केज कल्चर विकसित किए जा रहे हैं। राज्य में 3000 किलोमीटर नदीय तट पर मछली उत्पादन किया जाता है जिसमें से 600 किलोमीटर लंबे नदीय तट पर ट्राऊट मछली का उत्पादन किया जाता है।

सस्ती दरों पर दिए जा रहे गुणवत्ता वाले बीज

उन्होंने कहा कि राज्य में ट्राऊट मछली उत्पादकों को मत्स्य विभाग के 8 विभागीय ट्राऊट फार्म के माध्यम से सस्ती दरों पर गुणवत्ता वाले बीज प्रदान किए जाते हैं। वीरेंद्र कंवर ने बताया कि इस समय राज्य में 606 परिवार 1198 रेसबेज के माध्यम से ट्राऊट मछली का उत्पादन कर अपनी आजीविका कमा रहे हैं। राज्य में इस समय ट्राऊट मछली का उत्पादन कुल्लू, मंडी, कांगड़ा, किन्नौर, चम्बा, सिरमौर तथा शिमला जिलों के ऊंचे पर्वतीय स्थलों में किया जा रहा है तथा इस सफल परीक्षण से बिलासपुर, ऊना व हमीरपुर जिलों में भी ट्राऊट मछली का उत्पादन किया जा सकेगा।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Vijay

Recommended News

Related News