ऊना के पर्यावरण याेद्धा की याचिका पर NGT का बड़ा फैसला, मिलेगा 25 हजार का मुआवजा

punjabkesari.in Saturday, Jul 19, 2025 - 01:23 PM (IST)

हिमाचल डैस्क: ऊना जिले के एक पूर्व सैनिक मनोज कुमार कौशल की पर्यावरण सुरक्षा के लिए की गई मेहनत आखिर रंग लाई। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने न केवल उनकी चिंता को गंभीरता से लिया, बल्कि हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचपीपीसीबी) को यह भी निर्देश दिया कि उन्हें पर्यावरण क्षतिपूर्ति फंड से 25,000 रुपए की राशि मुकदमेबाजी व्यय के रूप में दी जाए।

वर्ष 2023 में डाक के जरिए भेजी थी याचिका 

यह मामला ऊना के कोटला कलां गांव के रहने वाले मनोज कुमार कौशल द्वारा वर्ष 2023 में डाक के जरिए भेजी गई एक याचिका से शुरू हुआ था। उन्होंने ऊपरी ऊना क्षेत्र की हरोली तहसील के पंडोगा गांव में बनाए जा रहे औद्योगिक क्षेत्र में बड़े स्तर पर हो रहे पर्यावरणीय उल्लंघनों की ओर ध्यान आकर्षित किया। उनकी चिट्ठी को एनजीटी ने एक नियमित याचिका मानते हुए उस पर कार्यवाही शुरू की। कौशल ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि पंडोगा औद्योगिक क्षेत्र के निर्माण के दौरान पहाड़ियों की अंधाधुंध कटाई की गई और लगभग 9,930 पेड़ काटे गए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जिस कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमैंट प्लांट ( सीईटीपी) की 5 एमएलडी क्षमता की योजना बनाई गई थी, वह अभी तक स्थापित नहीं किया गया है, जिससे प्रदूषित जल प्रबंधन को लेकर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।

एनजीटी ने वन विभाग काे दिए सख्त दिशा-निर्देश

इस मामले की सुनवाई न्यायिक सदस्य अरुण कुमार त्यागी और पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. अफरोज अहमद की पीठ ने की। 14 जुलाई को पारित आदेश को शुक्रवार को सार्वजनिक किया गया। सुनवाई के दौरान अधिकरण ने पर्यावरण मंत्रालय, राज्य वन विभाग, और परियोजना से जुड़े अन्य केंद्रीय एवं राज्य अधिकारियों को भी पक्षकार बनाया। राज्य वन विभाग ने जवाब में स्वीकार किया कि 7,781 पेड़ों की कटाई की गई थी।

हालांकि विभाग ने यह भी कहा कि प्रतिपूरक वनीकरण के तहत 60.99 हैक्टेयर क्षेत्र में 67,100 नए पेड़ लगाए गए हैं। लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया कि ये पेड़ औद्योगिक क्षेत्र के आसपास लगे हैं या कहीं और। एनजीटी ने इस पर असंतोष जताते हुए वन विभाग को निर्देश दिया कि वह वृक्षारोपण की सटीक जानकारी दे कि कहां पेड़ लगाए गए, किस स्थिति में हैं और क्या परियोजना क्षेत्र के पास हैं। साथ ही कौशल को औद्योगिक क्षेत्र और वृक्षारोपण स्थलों का निरीक्षण करने की अनुमति दी गई और अधिकारियों को उनके साथ पूर्ण सहयोग करने का आदेश भी दिया गया।

एनजीटी ने की पर्यावरण योद्धाओं की सराहना

एनजीटी ने अपने आदेश में कहा कि ऐसे नागरिक जो बिना किसी निजी स्वार्थ के पर्यावरण के हित में आवाज उठाते हैं, उन्हें प्रोत्साहन मिलना चाहिए। विशेष रूप से तब, जब संस्थागत निगरानी तंत्र विफल हो जाए। न्यायाधिकरण ने इस बात को दोहराया कि जनभागीदारी के बिना पर्यावरणीय शासन मजबूत नहीं हो सकता।

न्यायाधिकरण ने यह भी स्पष्ट किया कि हिमाचल प्रदेश राज्य वन विकास निगम लिमिटेड ने 7,781 पेड़ों की कटाई की थी और इसके बदले परियोजना एजेंसी से 8.24 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त की गई थी, जिसमें से लगभग 77 लाख रुपये वनीकरण कार्यों में खर्च किए गए।

एनजीटी का निर्णय हौसला बढ़ाने वाला :  मनोज कौशल

इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में मनोज कौशल ने कहा कि एनजीटी ने यह दिखा दिया कि अगर कोई आम नागरिक भी सही बात के लिए खड़ा होता है, तो उसकी आवाज सुनी जा सकती है। मुझे उम्मीद है कि यह फैसला औरों को भी प्रेरित करेगा कि वे पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे आएं। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायाधिकरण द्वारा उनके प्रयासों को सराहा जाना उनके लिए व्यक्तिगत रूप से एक बड़ी उपलब्धि है और यह उन्हें भविष्य में भी जनहित के मुद्दों को उठाने के लिए प्रेरित करेगा।


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Content Editor

Jyoti M

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