हंसते-खेलते परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़, TB से हो गई मां की मौत...बिलखते रह गए 2 मासूम

punjabkesari.in Friday, Sep 29, 2023 - 11:17 PM (IST)

ऊना (विशाल स्याल): एक हंसते-खेलते परिवार पर कैसे दुखों का पहाड़ा टूट पड़ता है यह एक बार फिर से सामने आया है। अरनियाला गांव का एक परिवार इन परिस्थितियों में आ गया है कि 2 नन्हे बच्चों की मां बीमार हो गई। इसी वर्ष मई माह में पीजीआई में उसको पेट की टीबी बीमारी होने का पता चला, जिसके बाद उसका उपचार शुरू हुआ लेकिन शुक्रवार 29 सितम्बर को उसकी मौत हो गई। वीरवार को संस्था देवभूमि फाऊंडेशन की मदद से महिला को मोहाली के निजी अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती करवाया गया था।

अब रिश्तेदारों पर बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी
बच्चों का पिता विदेश में कार्यरत है और उसका कामधंधा भी मंदा चल रहा है। कुछ दिनों की छुट्टी पर विदेश से आकर पत्नी का उपचार करवाया लेकिन बात नहीं बनी। परिवार की जमापूंजी इलाज में लग गई। रिश्तेदारों और परिचितों से कर्जे लेकर इलाज करवाया लेकिन पूरा इलाज नहीं हो पाया। अपनी मां की स्थिति को देखकर बच्चे बुरी तरह से बिलखते रहे तो बच्चों के लिए कुछ न कर पाने की कसक में मां भी बिलखती रही। मां की मौत के बाद अब रिश्तेदारों पर बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी आ पहुंची है जबकि पिता अभी विदेश में है। अब दोनों बच्चे रोते-बिलखते रह गए हैं। 

हंसता-खेलता परिवार और मां हो गई बीमार
अरनियाला में रहने वाली जसविन्द्र कौर कुछ समय पहले तक अपने पति और बेटी व बेटे के साथ खुशी से जीवन यापन कर रही थी। जसविन्द्र पूरी तरह से स्वस्थ थी। उसके पति देसराज नीरू ने विदेश में कमाने की इच्छा व्यक्त की तो जसविन्द्र ने अपने गहने बेचकर उसको विदेश भेज दिया। बच्चे भी अच्छे निजी स्कूल में पढ़ते रहे। इसी बीच जसविन्द्र की सेहत खराब हो गई और उसको उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाया गया। 

लाखों रुपए हुए खर्च, कर्जे में डूबा परिवार
इसके बाद उपचार शुरू हुआ तो हालत बिगड़ने पर पीजीआई चंडीगढ़ का रुख किया गया। उसके चिकित्सीय परीक्षणों में उसको क्षय रोग (टीबी) निकला। यहां जसविन्द्र का उपचार शुरू हुआ तो इस अस्पताल पर मरीजों का भारी भरकम बोझ और चिकित्सीय सुविधाएं मिलने में लम्बी पड़ती तारीखों के बीच जसविन्द्र की हालत और खराब हो गई। 
ऐसे में उसको मोहाली के एक निजी अस्पताल में पहुंचाया गया जहां उसको एडमिट करने से पहले ही लाखों रुपए जमा करवा लिए गए। इसके बाद काफी इलाज चला और यह परिवार पूरी तरह से खाली हो गया। कर्जे में डूबे परिवार को जसविन्द्र को वापस लाना पड़ा। इस लम्बे उपचार के बीच जसविन्द्र का पति नीरू एक माह की छुट्टी लेकर आया लेकिन कमाई का और कोई जरिया न होना और कर्जे में परिवार के डूब जाने के चलते उसे वापस लौटना पड़ा। इस परिवार के पास उपचार करवाने के लिए पैसे तक नहीं बचे।

देवभूमि संस्था ने दिए डेढ़ लाख रुपए
इस परिवार की परेशानी की दास्तान पहुंचने के बाद देवतुल्य कार्यों में हमेशा अग्रणी रहने वाली संस्था देवभूमि फाऊंडेशन ने प्रयास शुरू किए। फाऊंडेशन के चेयरमैन प्रिंस ठाकुर ने स्वयं इस परिवार का हाल जाना और उन्होंने अपनी संस्था के सहयोगियों के माध्यम से डेढ़ लाख रुपए एकत्रित करके जसविन्द्र कौर को शुक्रवार को उपचार के लिए मोहाली के निजी अस्पताल भेजे लेकिन यहीं उसकी शुक्रवार को ही मौत हो गई जिसके चलते नन्हे बच्चों के सिर से उनकी मां का साया उठ गया। पिं्रस ठाकुर का कहना है कि जसविन्द्र कौर की हालत बारे अरनियाला गांव के ही मार्शल पाबला ने उन्हें जानकारी दी थी जिसके बाद जसविन्द्र के इलाज करवाने का कार्य शुरू किया गया था। डेढ़ लाख रुपए उसके उपचार पर खर्च किए गए हैं लेकिन दुर्भाग्यवश मोहाली में जसविन्द्र की मौत हो गई। 

स्कूल ने किया बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का ऐलान
जसविन्द्र कौर के बच्चे परिवार के अच्छे दौर में ऊना के बेहतरीन स्कूलों में से एक स्कॉलर्ज यूनिफाइड में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इस परिवार की दशा की सूचना पहले स्कूल के पास नहीं थी। जैसे ही पंजाब केसरी के माध्यम से उन्हें इस परिवार की मुसीबतों का पता चला तो स्कूल प्रबंधन ने दोनों बच्चों की पूरी स्कूल फीस सहित स्कूल वैन का शुल्क भी स्कूल द्वारा वहन करने की बात कही है। प्रिंसीपल धीरज शर्मा ने कहा कि दोनों बच्चे स्कूल के विद्यार्थी हैं और स्कूल की भी जिम्मेदारी है। परिवार की दशा सुधरने तक इन बच्चों से किसी भी तरह से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा बल्कि स्कूल भी इन बच्चों और परिवार की हरसंभव मदद करेगा। बच्चों की मां की मौत पर स्कूल स्टाफ भी शोक संतप्त है।

अस्पताल ने किया बकाया शुल्क माफ
शहर के एलाइट अस्पताल में भी जसविन्द्र कौर का इलाज चल रहा था जिसकी अभी तक हजारों रुपए की देनदारी पैंङ्क्षडग चल रही थी। जसविन्द्र के परिवार के हालात पता चलने पर अस्पताल ने भी उसका बकाया शुल्क माफ कर दिया है। अस्पताल संचालक डाॅ. शिवानी संधू का कहना है कि इस दुख की घड़ी में वह परिवार के साथ हैं। परिवार की हरसंभव मदद का प्रयास किया जाएगा और बकाया शुल्क भी माफ कर दिया गया है।

हिमाचल की खबरें Twitter पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here
अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Vijay

Related News

Recommended News