ITI ने ईजाद की तकनीक, अब कोहरे से निकलेगा पानी

punjabkesari.in Tuesday, Oct 09, 2018 - 03:37 PM (IST)

मंडी (कुलभूषण): भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने एक कुदरती मैटीरियल का विकास किया है, जो कोहरे से पानी हासिल करने में सक्षम हैं। शोधकर्ताओं ने ड्रैगन्स लिली हैड नामक के सजावटी पौधे (ग्लैडियस डलेंजी) की पत्तियों की सतह की संरचना पर आधारित वाटर हार्वेस्टिंग सर्फेस का प्रारूप तैयार किया है। आई.आई.टी. मंडी के स्कूल ऑफ बेसिक साइंसिज में रसायन विभाग के एसोसिएट प्रो. डा. वैंकट कृष्णन ने हवा से पानी प्राप्त करने वाले पौधों के शरीर की बारीक संरचनाओं का अध्ययन किया और समरूप संरचना तैयार कर ऐसे मैटीरियल का विकास किया जो पानी हासिल कर सकते हैं। इनके शोध अब फ्लोरा ए.सी.एस. सस्टेनेबल कैमिस्ट्री और इंजीनियरिंग एंड बायोमैट्रिक्स जैसे जरनल में प्रकाशित हुए हैं।

पूरी दुनिया में शोध में जुटी हैं टीमें
आज अप्रत्याशित स्रोतों (जैसे कोहरा और धुंध) से पानी प्राप्त करने के लिए पूरी दुनिया में शोध की टीमें कार्यरत हैं ताकि पानी की बढ़ती मांग पूरी हो। इनमें कई शोधकर्ता नए विचारों के लिए प्रकृति से प्रेरणा लेते हैं। बायोमैट्रिक्स ने हमें सामान्य वेल्क्रो से लेकर बड़े हवाई जहाजों तक हर क्षेत्र में इनोवेशन की प्रेरणा दी है। डा. वेंकट कृष्णन ने कहा कि दुनिया के सूखे और अद्र्ध-सूखे क्षेत्रों में भी ऐसे कई पौधे हैं, जिनकी पत्तियां ओस और कोहरे से पानी प्राप्त करने में सक्षम हैं। यदि वे कर सकती हैं तो हम क्यों नहीं।

बर्मुडा ग्रास द्वारा कोहरे से पानी प्राप्त करने की प्रक्रिया का अध्ययन
आई.आई.टी. मंडी की टीम ने बर्मुडा ग्रास द्वारा कोहरे से पानी प्राप्त करने की प्रक्रिया का अध्ययन किया। शोधकर्ताओं को 2 दिलचस्प संरचनात्मक लक्षण दिखे सुनियोजित कोनिकल स्पाइन्स जिनमें पैने कोर हैं, जिनमें कोहरे की बूंदें जमा होती हैं और हायरार्किकल संरचना वाले सीडहैड जिनकी फ्लैट सतहों के साथ ग्रैडिएंट ग्रुव्स होते हैं, जो एकत्र पानी की बूंदों को किसी एक दिशा में ले जाते हैं। इस टीम ने ड्रायप्टेरिस मार्जिनाटा नामक हर्बेशस फर्न में मौजूद कोहरा एकत्र करने और पानी को सही दिशा देने के गुणों का भी अध्ययन किया है।

प्राचीन समय में मुमकिन था कोहरे से पानी हासिल करना
उल्लेखनीय है कि प्राचीन इजराईल में पेड़ों और लताओं को कम ऊंचाई के गोलाकार दीवारों से घेर दिया जाता था ताकि पौधों के ट्रांस्पिरेशन से निकली नमी एकत्र की जा सके। वास्तु की ऐसी संरचनाएं दक्षिण अमरीका के अटकामा डैंजर्ट और मिस्र में भी हैं, जहां पत्थरों के इस तरह ढेर लगाए जाते कि पानी संघनित होकर नीचे गिरता और एकत्र कर लिया जाता था। यदि पहले कभी कोहरे से पानी हासिल करना मुमकिन था तो आज भी होगा जैसा कि डा. वैंकट के शोध से आप देख सकते हैं। इस तकनीक के बेहतर उपयोग से पेयजल प्राप्त कर हम पेयजल से वंचित देश की 12 प्रतिशत आबादी की प्यास बुझाना चाहते हैं तो वैज्ञानिकों के साथ उद्योग जगत और नीति निर्माताओं को भी एकजुट प्रयास करने होंगे।

फाइबर-समान हैंगिंग फेनोमेनन की वजह से ग्रास के लिए कोहरा जमा करना आसान हो जाता है
आई.आई.टी. मंडी रसायन विभाग एसोसिएट प्रोफैसर डा. वैंकट कृष्णन का कहना है कि बूंदों के लैपलैस प्रैशर और फाइबर-समान हैंगिंग फेनोमेनन की वजह से ग्रास के लिए कोहरा जमा करना आसान हो जाता है। ग्रास के संरचनात्मक लक्षणों की समझ विकसित होने से वाटर हार्वेस्टिंग में सक्षम मैटीरियल का प्रारूप तैयार करने का नया नजरिया मिलता है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Kuldeep

Recommended News

Related News