राहुल गांधी के मुद्दे पर सत्तारूढ़ दल की ओर से सदन स्थगित करना दुर्भाग्यपूर्ण : जयराम

punjabkesari.in Saturday, Mar 25, 2023 - 04:48 PM (IST)

शिमला (ब्यूरो): नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मुद्दे पर सत्तारूढ़ दल की ओर से गत शुक्रवार को सदन को स्थगित करना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की सदस्यता राजनीतिक कारणों से नहीं बल्कि न्यायालय के निर्णय के आधार पर हुई है। जयराम ठाकुर ने यहां जारी बयान में कहा कि उनके ऊपर सूरत कोर्ट में मानहानि का मामला चल रहा था, जिसके आधार पर उन्हें 2 साल की सजा सुनाई गई है। इसके उपरांत भारत के संविधान के अनुच्छेद 102 (1) रिप्रैजैंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट-1951 की धारा 8 के अंतर्गत स्पष्ट उल्लेख है कि किसी सांसद या विधायक को किसी अपराध में दोषी ठहराए जाने और 2 साल या इससे ज्यादा समय के लिए सजा सुनाए जाने पर उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी, ऐसे में कोर्ट के आदेशों के बाद संविधान की पालना करने के अनुरूप उनकी सदस्यता रद्द हुई है। 

जयराम ने कहा कि इस मुद्दे पर गत दिन जो विधानसभा में हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण था क्योंकि मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और मंत्री संवैधानिक पदों पर रहकर विधानसभा का बहिष्कार करते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए बाहर गए। इस तरह की अपेक्षा संवैधानिक पदों पर बैठे प्रतिनिधियों से नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि भाजपा विधायक दल ने प्वाइंट ऑफ ऑर्डर के अंतर्गत राहुल गांधी मामले पर चर्चा की मांग की थी, लेकिन सभी कांग्रेस सदस्य विधानसभा से उठकर बाहर चले गए, जिस कारण सदन को स्थगित कर दिया गया। 

जयराम ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और देश एवं विभिन्न सामाजिक समुदाय की भावनाओं को आहत करना उनकी आदत बन चुकी है। ऐसी घटनाएं देश तक सीमित नहीं रही हैं बल्कि विदेश में जाकर भी राहुल गांधी देश का अपमान करते हैं। इसी कारण उनके ऊपर मानहानि के अनेक मामले देश में चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने 11 जुलाई, 2013 को अपने फैसले में कहा था कि कोई भी सांसद या विधायक निचली अदालत से दोषी करार दिए जाने की तारीख से सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित हो जाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब किसी सांसद ने अपनी सदस्यता इस कानून के अंतर्गत खोई है। इससे पहले वर्ष, 1976 में सुब्रह्मण्यम स्वामी, 1978 में इंदिरा गांधी, 2005 में 11 सांसदों और 2013 में लालू प्रसाद यादव जैसे कई नेताओं ने अपनी सदस्यता को इस कानून के अंतर्गत गंवाया है।

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Content Writer

Vijay

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