लाहौल-स्पीति में बर्फबारी से सेब की 80 फीसदी से ज्यादा फसल तबाह

punjabkesari.in Thursday, Oct 04, 2018 - 03:37 PM (IST)

शिमला : जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति में सेब की 80 फीसदी से ज्यादा फसल बर्फबारी से तबाह हो गई है। भारी हिमपात के कारण सेब के पौधे जमीन से ही उखड़ गए है। पौधे उखड़ जाने से आने वाले सालों में भी फसल लगने की संभावनाएं खत्म हो गई हैं। बगीचों में जो पौधे बचे हैं, उनकी टहनियां बीच से ही क्षतिग्रस्त हुई हैं। बागवानों को इससे सेब की तैयार फसल बेचने से पहले ही भारी नुक्सान उठाना पड़ा है। उल्लेखनीय है कि इन दिनों बगीचे सेब केदानों और पत्तियों से लकदक रहते हैं। सेब के दानों और पत्तियों पर बर्फ आसानी से टिक जाती है।

इस कारण जिला के ज्यादातर इलाकों में हुई बर्फबारी से सेब के पौधों पर बर्फ का भार बढ़ गया और बगीचों में 40 से 45 फीसदी पौधे जड़ों से ही उखड़ गए। जहां पौधे जड़ों से नहीं उखड़े, उन क्षेत्रों में टहनियां टूट गई हैं और सेब के दाने जमींदोज हुए हैं। जिला में सड़कें क्षतिग्रस्त होने की वजह से सेब की बची हुई फसल को मंडियों तक पहुंचाना कठिन हो गया है, क्योंकि लाहौल-स्पीति की ज्यादातर सड़कें बीते 23 सितम्बर से अवरुद्ध पड़ी हुई हैं। लाहौल-स्पीति में हर साल 15 से 20 हजार पेटी सेब होता है। इस बार जिला में सेब की अच्छी फसल बताई जा रही थी। जिला में सेब की फसल पूरी तरह से तैयार थी, लेकिन समय से पहले हुई भारी बर्फबारी ने जिलाभर के बागवानों की कमर तोड़ कर रख दी है। लाहौल-स्पीति के बागवान इससे मायूस हैं।

1.26 करोड़ पेटी सेब मंडियों को भेजा
किन्नौर जिला को छोड़कर प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में सेब सीजन अब समाप्ति की ओर है, लेकिन अभी तकमात्र 1 करोड़ 26 लाख पेटी सेब ही देश की मंडियों को भेजा गया है। इस बार सेब की फसल औसत उत्पादन से भी बहुत कम है। जिस गति से इन दिनों सेब मंडियों में आ रहा है, उसे देख लग रहा है कि इस बार डेढ़ करोड़ पेटी में ही सेब कारोबार सिमट जाएगा। प्रदेश में लगभग 11 साल बाद सेब की इतनी कम फसल बताई जा रही है, जोकि 4200 करोड़ के सेब उद्योग के लिए झटका माना जा रहा है।


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kirti

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