दिवाली के दूसरे दिन यहां खेला जाता है खूनी खेल, तस्वीरें कर देंगी हैरान (Video)

punjabkesari.in Thursday, Nov 08, 2018 - 05:49 PM (IST)

शिमला (राजीव): तस्वीरों को देखकर आप सोच रहे होंगे कि लोग एक-दूसरे पर इतने पत्थर क्यों बरसा रहे है। क्या यंहां कोई झगड़ा हुआ है? जी नहीं, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। दरअसल हिमाचल की राजधानी शिमला से करीब 30 किलोमीटर दूर धामी के हलोग में पत्थरों का एक अनोखा मेला होता है। सदियों से मनाए जा रहे इस मेले को पत्थर का मेला कहा जाता है।
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दिवाली से दूसरे दिन मनाए जाने वाले इस मेले में दो समुदायों के बीच पत्थरों की जमकर बरसात होती है। ये तब तक जारी रहती है जब तक कि कोई एक पक्ष लहूलुहान न हो जाए। जिसे देखकर हर कोई हैरान रह जाता है। जब किसी व्यक्ति को पत्थर लग जाता है तो उसका खून माता काली के मंदिर में चढ़ा कर मेले की परंपरा को सम्पन्न किया जाता है। माता को खून का तिलक लगाया गया। उसके बाद मां काली का आशीर्वाद लिया गया।
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इस मेले में कहीं किसी को चोट न लगे, यह नहीं सोचा जाता है, बल्कि मेले में शामिल लोग पत्थर लगने से खून निकले, इसे अपना सौभाग्य समझते है। इसलिए लोग मेले में पीछे रहने की बजाय आगे बढ़कर दूसरी तरफ के लोगों पर पत्थर फेंकने के लिए जुटे रहते हैं। कहा जाता है कि सैकड़ों वर्षों पहले यहां मानव बलि की प्रथा थी। फिर बाद में जब एक राजा की मृत्यु हुई तो उनकी रानी ने सती होने का निर्णय लिया।
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यह रानी मानव बलि पर रोक लगाना चाहती थी इसलिए इस रानी ने सती होने के बाद माता काली से बात की और गुर के माध्यम से लोगों को बताया कि मानव बलि को बंद करके अन्य व्यवस्था की जाए। फिर थोड़ा समय तक पशु बलि का प्रावधान किया गया लेकिन कहा जाता है कि माता काली ने इसे स्वीकार नहीं किया। बिना बलि के माता को मानव रक्त चढ़ाने के लिए पत्थर के युद्ध की शुरूआत की गई। इसके लिए दीपावली का अगला दिन निर्धारित किया गया और आज सैकड़ों वर्षों से यह परंपरा निरंतर चलती आ रही है। इस परंपरा के लिए गांव के लोगों को 2 समूहों में बांटा गया है जोकि एक-दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं और फिर इस खेल का आनंद लेते हैं।  
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Ekta

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