अंतर्राष्ट्रीय शरदकालीन खेलों के लिए रोप-वे तथा अन्य सुविधाएं की जाएंगी विकसित : मारकंडा

punjabkesari.in Monday, Aug 23, 2021 - 09:40 PM (IST)

केलांग (संजीव जैन): अटल टनल रोहतांग के खुल जाने से जहां लाहौल घाटी पर्यटन के लिए शेष विश्व से जुड़ गई है वहीं साहसिक पर्यटन व शरदकालीन खेलों के लिए भी विश्व स्तरीय सुविधाएं विकसित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। यह जानकारी सोमवार को तकनीकी शिक्षा, जनजातीय विकास और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री डा. राम लाल मारकंडा ने माऊंटेनरिंग संस्थान मनाली तथा रोप-वे शिमला के अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक में दी। उन्होंने कहा कि अटल टनल रोहतांग के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा उसके पश्चात केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से भी यहां रोप-वे स्थापित कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर की स्की ढलानों को स्थापित करने के विषय में चर्चा की गई थी। माऊंटेनरिंग संस्थान मनाली तथा रोप-वे शिमला के अधिकारियों व विशेषज्ञों की एक टीम ने माऊंटेनरिंग संस्थान मनाली के ज्वाइंट डायरैक्टर सुरेंद्र कुमार की अगुवाई में टीलिंग की ढलानों पर एक ज्वाइंट इंस्पैक्शन करके यहां पर रोप-वे बनाने की संभावनाओं का जायजा लिया।

रोप-वे बनाने के लिए पर्यटन विभाग के अंतर्गत माऊंटेनरिंग संस्थान मनाली को कंसल्टैंसी एजैंसी के रूप में इसका अध्ययन करने के लिए तैनात किया गया है। उन्होंने जानकारी दी कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना के अंतर्गत स्की लिफ्ट बनाने तथा स्लोप विकसित करने पर 18.5 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा इस टीम ने वाटर स्पोटर््स तथा रिवर राङ्क्षफ्टग के स्थानों को विकसित करने के उद्देश्य से विभिन्न स्थानों का निरीक्षण किया। इन स्थानों को विभिन्न प्रकार की जल क्रीड़ाओं के लिए विकसित किया जाएगा। इस बैठक में डी.सी. नीरज कुमार, एस.डी.एम. प्रिया नागटा तथा रोप-वे शिमला के सी.जी.एम. व जी.एम. भी उपस्थित रहे।

PunjabKesari

त्रिलोकीनाथ में अवोधाव से बचाव के लिए सासे के विशेषज्ञों की राय से वैज्ञानिक आधार पर खोजेंगे समाधान
मारकंडा ने त्रिलोकनाथ में सासे के अधिकारियों तथा स्थानीय लोगों से बैठक की। इसमें त्रिलोकीनाथ गांव में अवोधाव के खतरे को देखते हुए वैज्ञानिक आधार पर इसका अध्ययन करके समाधान खोजने पर विचार किया गया। उन्होंने बताया कि त्रिलोकीनाथ सुंदर, धार्मिक स्थल है। पर्यटन विकास के लिए नए निर्माण करने से पहले इसके लिए विशेषज्ञों की राय आवश्यक है। साल 1991, 1996 व 2015 में यहां बर्फबारी के दौरान अवोधाव के कारण माल का काफी नुक्सान हुआ था। यह खतरा हर वर्ष बना रहता है। इससे बचने के लिए तथा भविष्य में इसका समाधान करने के लिए सासे के विशेषज्ञों की राय से यहां वैज्ञानिक अध्ययन किया जाएगा तथा उसी के अनुसार समाधान किया जाएगा।

 सासे के विभागाध्यक्ष नीरज शर्मा ने जानकारी दी कि  यहां के बारे में पहले आंकड़े जुटाने पड़ेंगे, अत: अवोधाव की सूचनाएं रिपोर्ट अवश्य करें, ताकि उसका डाटा उपलब्ध रहे। इस वर्ष सॢदयों में यहां बर्फबारी का पूरा डाटाबेस तैयार किया जाएगा। अगले वर्ष से यहां अवोधाव संबंधित फोरकास्ट शुरू कर दिया जाएगा। मॉडरेट व हाई वार्निंग की स्थिति में घर में सुरक्षित रहें। डा. मारकंडा ने कहा कि इसके अध्ययन के लिए कुछ समय लगेगा। उसके बाद ही स्थायी समाधान निकाला जा सकेगा। बैठक में नायब तहसीलदार राम चंद नेगी, एक्सियन लोक निर्माण विभाग बी.एस. नेगी तथा सासे के राजेश्वर डोगरा व राजेंद्र कुमार उपस्थित रहे।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Kuldeep

Recommended News

Related News