Shimla: नंबरों और ग्रेड की टैंशन खत्म! अब हिमाचल के स्कूलों में इस ''नए कार्ड'' से तय होगा बच्चों का भविष्य
punjabkesari.in Thursday, Oct 23, 2025 - 06:58 PM (IST)
शिमला (ब्यूरो): प्रदेश के स्कूलों में अब विद्यार्थियों के पढ़ाई और विकास को होलिस्टिक प्रोग्रैस कार्ड के माध्यम से मापा जाएगा। प्रदेश में इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसको लेकर शिक्षा विभाग और स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा कई कार्यशालाएं भी करवाई जा चुकी हैं, जहां शिक्षकों को इस बारे जानकारी दी गई और उन्हें प्रशिक्षित किया गया। बताया जा रहा है कि देश के 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश ने स्कूलों में विद्यार्थियों की पढ़ाई और विकास को मापने के लिए यह नया तरीका अपना लिया है। इनमें हिमाचल भी शामिल है। जल्द ही यहां भी इसे लागूू किया जा रहा है। अभी इसे 9वीं से 12वीं कक्षा के लिए शुरू किया जा सकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत प्रस्तावित इस प्रगति कार्ड को परख की ओर से ही विकसित किया है। परफॉर्मैंस असैसमैंट, रिव्यू एंड एनालिसिस ऑफ नॉलेज फॉर होलिस्टिक डिवैल्पमैंट) राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र है, जो राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के अंतर्गत आता है।
क्या है होलिस्टिक प्रोग्रैस कार्ड
होलिस्टिक प्रोग्रैस कार्ड विद्यार्थियों की पढ़ाई का एक नया रिपोर्ट कार्ड है, जो केवल नंबरों या ग्रेड पर ध्यान नहीं देता। इसके माध्यम से विद्यार्थियों के पूरे विकास को मापा जाता है, उनके सोचने का तरीका, भावनात्मक समझ और शारीरिक गतिविधियों में भागीदारी आदि शामिल है। यह कार्ड यह भी बताता है कि बच्चे के अंदर कौन सी स्किल डिवैल्प हो रही या भविष्य में कौन सी स्किल डिवैल्प होगी। इसके अलावा इस कार्ड से यह भी पता चल जाता है कि बच्चा किस स्किल में अभी शुरूआती स्तर पर है या दक्ष हो चुका है। इससे शिक्षक और माता-पिता को यह समझने में मदद मिलती है कि बच्चे को और क्या मदद दी जा सकती है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की सिफारिशों के अनुरूप तैयार किया कार्ड : राजेश
समग्र शिक्षा के निदेशक राजेश शर्मा ने कहा कि परख द्वारा विकसित यह प्रगति कार्ड राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की सिफारिशों के अनुरूप तैयार किया गया है। यह केवल छात्रों की अकादमिक उपलब्धियों पर आधारित नहीं है, बल्कि उनके संज्ञानात्मक, सामाजिक-भावनात्मक, शारीरिक और रचनात्मक विकास को भी समान रूप से महत्व देता है। इसका उद्देश्य छात्रों के मूल्यांकन में एक संतुलित और समग्र दृष्टिकोण अपनाना है, अब जल्द ही स्कूलों में इसे लागू किया जाएगा।

