अपने वादों से फिसली हिमाचल सरकार, मुफ्त वाली योजनाओं से हटने लगी पीछे

punjabkesari.in Tuesday, Aug 06, 2024 - 11:01 AM (IST)

शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में जिन मुफ्त की रेवड़ियां बांटने के लोकलुभावन वादों के दम पर कांग्रेस सत्ता में आई अब वही वादे सरकार को चुभने लगे हैं। आर्थिक संकट के कांटे इतने बढ़ गए हैं कि इस दर्द को दूर करने के लिए कई कड़वे घूंट पीकर इलाज करने की तैयारी है। हजारों करोड़ रुपये का ऋण और कर्मचारियों की लंबित वित्तीय देनदारी हमेशा सरकार की चिंता का कारण रहे हैं। इसी से सबक लेकर अब गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहे राज्य ने फ्रीबीज यानी मुफ्त बांटने की आदत से बाहर लाने के लिए प्रयास शुरू दिए हैं। पहला कदम उठाते हुए मंत्रिमंडल की बैठक में प्रत्येक घरेलू उपभोक्ता को प्राप्त 125 यूनिट निश्शुल्क बिजली का दायरा सीमित करने का निर्णय लिया।

अब आयकर देने वालों को निश्शुल्क बिजली नहीं मिलेगी। इसकी औपचारिक अधिसूचना होना शेष है। कांग्रेस ने ही विधानसभा चुनाव में सभी को 300 यूनिट निश्शुल्क बिजली देने की गारंटी भी दी थी किंतु उसके लिए जयराम सरकार के समय से जारी 125 यूनिट की छूट को निभाना भी गले तक आ गया। इसके अतिरिक्त हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के रियायती बस पास और यात्रा कार्ड की राशि में वृद्धि की है। इसमें 50 रुपये तक की वृद्धि के साथ अवधि घटा कर एक वर्ष की गई है। महिलाओं को 1500 रुपये मासिक देने की योजना मतदाताओं को लुभाने के लिए विस चुनाव में कांग्रेस ने 10 गारंटियां दी थीं। इसमें महिलाओं को मासिक 1500 रुपये देने की भी गारंटी थी। यह योजना जनजातीय लाहुल स्पीति जिला से शुरू हो चुकी है।

निजी स्कूलों के लिए चल रही सरकारी बसों का शुल्क बढ़ाया

जो व्यक्ति बच्चों को निजी व कान्वेंट स्कूलों में पढ़ा सकता है, वह स्कूल बस का शुल्क भी उठाने में सक्षम है। एचआरटीसी शिमला के निजी स्कूलों के बच्चों के लिए 60 बसें चलाता है। वर्ष 2016 में इनका शुल्क निर्धारित किया गया था। अब नौ वर्ष बाद निगम ने शुल्क में वृद्धि की है। पांच किलोमीटर के दायरे में बस का प्रति छात्र शुल्क 900 रुपये रहेगा (20 किमी दूरी के लिए प्रति छात्र शुल्क 1800 रुपये मासिक निर्धारित किया है। प्रदेश सरकार ने निगम प्रबंधन के साथ समीक्षा बैठक कर पाया है कि ऐसी 37 सेवाएं निगम की ओर से प्रदान की जा रही हैं, जिनके लिए रियायती या निश्शुल्क यात्रा सुविधा दी जाती हैं।

स्कूलों में निश्शुल्क वर्दी अब गरीब परिवार के बच्चों को ही

सरकारी स्कूलों में पहली से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए निश्शुल्क वर्दी देने की व्यवस्था की थी। एक दशक पहले की व्यवस्था को वर्तमान सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले और आर्थिक तौर पर कमजोर परिवारों तक सीमित किया है। केंद्रीय योजना के तहत 10वीं कक्षा तक के बच्चों के लिए वर्दी क़ी सुविधा थी। सर्दी व गर्मी की दो वर्दियों के लिए करीब 400 करोड़ रुपये का बजट खर्च होता था।

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हिमाचल पर 87,589 करोड़ रुपये का ऋण

हिमाचल का ऋण 87,589 हजार करोड़ रुपये पहुंच चुका है। नौ हजार करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी नए वेतन आयोग के एरियर व डीए की देनदारी है। यदि कर्मचारियों की देनदारी को अलग रखा जाए तो 31 मार्च, 2025 तक हिमाचल पर 94,992 करोड़ रुपये के ऋण का भार हो जाएगा। मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार अब तक 4400 करोड़ का ऋण ले चुकी है।

 


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News Editor

Rahul Singh

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