एक ही मुद्दे पर बार-बार पुनर्विचार याचिकाएं दायर करने पर शिक्षा विभाग को जुर्माना

punjabkesari.in Friday, Dec 08, 2023 - 10:53 PM (IST)

शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने एक ही मुद्दे पर बार-बार पुनर्विचार याचिकाएं दायर करने पर शिक्षा विभाग पर 50000 रुपए का जुर्माना लगाया। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने जुर्माने की राशि मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में जमा करने के आदेश दिए। कोर्ट ने कहा कि कोई वादी असंगत रुख अपनाते हुए पहले छोड़े गए मुद्दे को बार-बार उठाकर पुनर्विचार याचिका दायर करने के प्रावधान का दुरुपयोग नहीं कर सकता है। मामले के अनुसार हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 4 नवम्बर, 2011 को एक फैसला पारित कर राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि वह प्रार्थी चमन लाल बाली और अन्यों की सेवाओं को 14 सितम्बर, 2006 से कॉलेज कैडर के प्रवक्ता के रूप में अपने अधीन ले। सरकार ने इसकी अपील खंडपीठ के समक्ष की। खंडपीठ ने 30 अक्तूबर, 2018 को एकल पीठ के फैसले में कुछ संशोधन किए। सरकार फिर भी फैसले से संतुष्ट नहीं हुई तो एक पुनर्विचार याचिका दायर कर दी। 

शिक्षा विभाग का कहना था कि प्रार्थी शैक्षणिक योग्यता पूरी नहीं करते हैं इसलिए उनकी सेवाएं अपने अधीन नहीं ली जा सकतीं। सरकार की इस पुनर्विचार याचिका को स्वीकार करते हुए खंडपीठ ने फिर से सरकार की अपील को पुनर्जीवित करते हुए 17 दिसम्बर, 2022 को सुनवाई के लिए रखा। उस दिन सरकार ने सुनवाई के दिन कोर्ट को बताया कि वास्तव में प्रार्थी शैक्षणिक योग्यता पूरी करते हैं इसलिए शिक्षा विभाग ने इस मुद्दे को छोड़ दिया। इसके बाद कोर्ट ने अपने पुराने फैसले को बरकरार रखते हुए फैसले पर अमल करने के आदेश दिए। उस समय भी शिक्षा विभाग पर 20 हजार रुपए का हर्जाना ठोका गया था। फैसले पर अमल की बात आई तो शिक्षा विभाग ने फिर से प्रार्थी की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाते हुए फैसले के 207 दिनों बाद दूसरी पुनर्विचार याचिका दायर कर दी। 

कोर्ट ने इस देरी को अनुचित पाते हुए पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने शिक्षा विभाग द्वारा एक ही मुद्दे को कभी खोलने और कभी बंद करने और फिर दोबारा से खोलने को गैर जिम्मेदाराना बताया। कोर्ट ने कहा कि किसी वादी को अपनी इच्छानुसार एक ही मामले में असंगत, विरोधाभासी और बदलते रुख अपनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। किसी वादी के लिए यह अनुमति नहीं है कि वह फैसला सुनाए जाने के बाद बार-बार उस पर दोबारा विचार करता रहे ताकि एक ही आधार पर उसकी कई बार समीक्षा की जा सके।
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Content Writer

Vijay

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