Hamirpur: भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है एमएसएमई सैक्टर : अनुराग
punjabkesari.in Sunday, Dec 01, 2024 - 10:57 PM (IST)
हमीरपुर (राजीव): पूर्व केंद्रीय मंत्री व हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद अनुराग सिंह ठाकुर ने लघु उद्योग भारती के बैनर तले आयोजित स्वयंसिद्धा प्रदर्शनी का अवलोकन किया व इससे महिला सशक्तिकरण, स्थानीय उत्पादों की लोकप्रियता को बढ़ाने में मदद मिलने की बात कही। अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि भारत का एमएसएमई सैक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार महिलाओं को आगे बढ़ाने, मजबूत बनाने, आर्थिक रूप से संबल प्रदान करने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम कर रही है। लघु उद्योग भारती से आयोजित इस प्रदर्शनी में महिला हस्तशिल्पियों को मंच प्रदान कर उनकी प्रतिभा को सराहने व उन्हें काम का सही दाम उपलब्ध कराने का पुनीत कार्य किया जा रहा है।
स्वयंसिद्धा हस्तशिल्प प्रदर्शनी में देश भर के प्रसिद्ध शिल्पकारों, कुटीर उद्योग एवं महिला उद्योगों के उत्पादों को प्रदर्शित किया गया है। देश के जिस राज्य में निजी सैक्टर जितने अधिक रोजगार पैदा कर रहा है, वहां उतना ही अधिक सामाजिक सुख है। इसके लिए सभी राज्य सरकारें उद्योग जगत के लिए अनेक प्रकार की योजनाएं लेकर आती हैं। इसमें तमाम संगठनों के अपने प्रयास भी हैं जो सरकार, समाज और उद्योग जगत के बीच सेतु का कार्य करते हैं। लघु उद्योग भारती उत्पादन बढ़ाने, रोजगार पैदा करने और स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित है। भारत का एमएसएमई सैक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। यह उद्यम विविधता से भरे हुए हैं जो 11 करोड़ लोगों को रोजगार देकर देश की अर्थव्यवस्था को ताकत देते हैं। वित्त वर्ष 18 से वित्त वर्ष 22 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद में एमएसएमई क्षेत्र का योगदान लगभग 30 प्रतिशत रहा। कुल एमएसएमई में महिला एमएसएमई की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है।
अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यमों (आईएमई) की बात करें तो जनवरी 2024 तक, महिलाओं के स्वामित्व वाले आईएमई का कुल आईएमई में 71 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है। उद्यम पोर्टल पर महिलाओं के नेतृत्व वाले एमएसएमई का पंजीकरण भी सालाना दोगुना हो रहा है। वर्तमान में, 5 पंजीकृत एमएसएमई में से एक का नेतृत्व महिलाओं के पास है। हाल के वर्षों में एमएसएमई के लिए ऋण उपलब्धता बढ़ी है। इसमें गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसके साथ ही, एमएसएमई की बकाया दरों में कमी से यह भी पता चलता है कि वे अपने ऋण का पुनर्भुगतान जिम्मेदारी से कर रहे हैं।