मौसम के कारण गिर गया लहसून का उत्पादन, फिर भी खुश हो रहे किसान

punjabkesari.in Friday, May 14, 2021 - 03:20 PM (IST)

कुल्लू (दिलीप) : कुल्लू जिला में इस वर्ष लहसुन की फसल पर दोहरी मार पड़ी जिसके चलते एक तरफ बारिश समय पर नहीं हुई और दूसरी कोरोना महामारी के चलते किसानों को आर्थिक नुकसान की चिंता रही है। कुल्लू जिला में बारिश समय पर न होने से इस वर्ष 25 प्रतिशत उत्पाद कम हुआ है। जिससे किसानों को लहसुन की फसल के अच्छे दाम मिलने की आस जगी है। कुल्लू जिला में 11 सौ हैक्टेयर भूमि पर लहसुन की फसल लगाई हुई है और सबसे ज्यादा लहसुन लगघाटी में हजारों किसानों ने लगाया है। ऐसे में इस बर्ष लहसुन की फसल मे बीमारी के कारण ऊंचे क्षेत्रों में फसल खराब हुई है लेकिन निचले क्षेत्रों में सिचांई की पर्याप्त सुविधा होने से लहसुन का साईज अच्छा हुआ है। ऐसे में इस वर्ष किसानों को लहसुन के दाम सौ रूपये से अधिक मिलने की उम्मीद है। कुल्लू घाटी के निचले क्षेत्रों में किसानों ने लहसुन की फसल निकालना शुरू किया।कुल्लू जिला से हर बर्ष तमिलनाडू, आंध्राप्रदेश, केरल, गुजरात के लिए हजारों मिट्रिक टन लहसुन की सप्लाई होती है प्रदेश में लहसुन उत्पाद के लिए कुल्लू जिला दूसरे स्थान पर आता है। जहां लहसुन की करीब 20 हजार मिट्रिक टन लहसुन का उत्पादन होता है। 

कोलीबेहड़ के किसान विवेक सिंह ने बताया कि पिछले बर्ष  भी कोरोना कॉल में लहसुन के अच्छे दाम मिले थे और इस वर्ष भी उम्मीद है कि लहसुन के अच्छे दाम मिलेंगे। उन्होंने कहा कि लहसुन की फसल के सौ रूपये से अधिक दाम मिलने चाहिए। उन्होंने कहा कि लहसुन की फसल 9 माह के बाद निकलती है ऐसे में लहसुन का दाम अच्छा मिलना चाहिए इस वर्ष बीमारी के कारण 25 प्रतिशत लहसुन का उत्पादन कम हुआ है। ऐसे में अच्छा दाम न मिलने से किसानों का आर्थिक नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि व्यापारियों को किसानों को लहसुन के अच्छा दाम देने चाहिए ताकि किसानों की आय का साधान बड़े जिससे किसानों अगले वर्ष भी लहसुन ज्यादा लगाए। 

स्थानीय किसान वीरेंद्र ठाकुर ने बताया कि इस वर्ष ऊंचे में बारिश कम होने से लहसुन की फसल कम है लेकिन निचले क्षेत्रों में लहसुन का साईज  और उत्पादन अच्छा है। उन्होंने कहा कि कुल्लू जिला में लहसुन की फसल कम है। जिससे किसानों को लहसुन के दाम सौ रूपये प्रति किलो तक मिलने चाहिए। उन्होंने कहाकि लहसुन की फसल पर लॉक डाऊन का कोई असर नहीं है ऐसे में कुल्लू का लहसुन तमिलनाडू, आंध्राप्रदेश, केरला को सप्लाई जाती है। उन्होंने कहाकि लहसुन की फसल को जितना ज्यादा सूकाएगें उतना ज्यादा टिकेगा। जिससे किसानों को अच्छे दाम मिलेगे। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष भी डेढ सौ रूपये किलो तक दाम मिले थे। इस वर्ष भी अच्छा दाम मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहाकि लहसुन अच्छे से ड्राई होगा तो 8,9 माह तक किसान अपने घरों में स्टोर कर सकते है।ऐसे में किसान जल्दबाजी न करें। 

स्थानीय किसान कर्म चंद ने बताया कि किसानों पर इस वर्ष दोहरी मार है एक तरह मौसम की मार से कम उत्पाद हुआ है, दूसरी तरह कोरोना महामारी से भी किसान ग्रासित है। प्रदेश सरकार से विनती है कि किसानों को लहसुन के अच्छे दाम मिलने चाहिए जिससे हजारों किसानो की आर्थिकी का मुख्या साधन लहसुन पर ही है। ऐसे में किसानों का जीवन निर्वाह इसी पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि इस बर्ष कई क्षेत्रों में ओलावृष्टि से सेब, नाशपती प्लम की फसल खराब हुई है। जिसमें कई क्षेत्रों में लहसुन पर भी ओलावृष्टि की मार पड़ी है। उन्होंने कहा कि किसानों को लहसुन के दाम अच्छे मिलने चाहिए।
 


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Content Writer

prashant sharma

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