15वें वित्तायोग के समक्ष हिमाचल की पैरवी करने में नाकाम रहे पूर्व सीएम जयराम : मुकेश अग्निहोत्री
punjabkesari.in Sunday, Sep 24, 2023 - 09:41 PM (IST)

शिमला (संतोष): पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर 15वें वित्तायोग के समक्ष हिमाचल की पैरवी सही ढंग से करने में पूरी तरह से नाकाम रहे हैं, जिसकी वजह से प्रदेश की आज आर्थिक स्थिति बदहाल हो चुकी है। उपपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोनी और उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने पूर्व सरकार को जमकर घेरा और इसके लिए पूर्व सरकार को दोषी ठहराया है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि उनका सबसे बड़ा चार्ज पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष पर है कि 15वें वित्तायोग के समक्ष हिमाचल की पैरवी सही तरीके से नहीं की है। सरकार में आप संचालन कर रहे थे और वित्त मंत्री व मुख्यमंत्री वह थे। गैप्स, फंडिंग सीमा घटाने, एनपीएस का पैसा न मिलना, स्पैसिफिक ग्रांट नहीं मिली है।
कांग्रेस ने पूर्व सरकार के समय की फिजूलखर्ची को जनता के सामने रखा
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार पूर्व भाजपा सरकार के खिलाफ श्वेत पत्र लाई है और पूर्व सरकार के समय की फिजूलखर्ची को जनता के सामने रखा है। जो वित्तीय हालात बने हैं उसके लिए पूर्व की भाजपा सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार है। सबसे अहम मसला यह है कि जो 15वां वित्तायोग है, उसके समक्ष जयराम हिमाचल का पक्ष सही ढंग से नहीं रख सके। 14वें वित्तायोग के समय उसके समक्ष कांग्रेस सरकार ने पुरजोर ढंग से पक्ष रखा था। 13वें वित्तायोग की अपेक्षा 14वें वित्तायोग में 232 प्रतिशत की बढ़ौत्तरी हुई। 15वें वित्तायोग में जयराम सरकार के समय 14वें वित्तायोग की तुलना में 5 वर्षों में केवल 8 प्रतिशत की बढ़ौत्तरी हुई है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा की सरकार के समय वित्तायोग के समक्ष अपनी बात और हिमाचल का हक सही ढंग से नहीं रखा गया है। इससे बड़ा और कोई सुबूत नहीं हो सकता है कि जयराम सरकार वित्तीय मामले में पूरी तरह से नाकाम रही है।
हमारे सवालों का जवाब नहीं दे रहे जयराम
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि आज पूर्व मुख्यमंत्री पत्रकार वार्ता करके अपने आप को बेकसूर साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। यदि इन्होंने कुछ गलत नहीं किया होता तो जो सवाल हम पूछ रहे हैं उसका जवाब नहीं दे रहे हैं। हम पूछ रहे हैं कि आप बताएं जुलाई, 2020 जीएसटी क्षतिपूर्ति समाप्त होने के बाद राज्य सरकार के राजस्व में 2624 करोड़ रुपए कम हो गए। इसके लिए कौन जिम्मेदार है? वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में रैवेन्यू डैफिसिट ग्रांट 1319 करोड़ रुपए कम हो गई। इसके लिए भी जिम्मेदार कौन है? रैवेन्यू डैफिसिट ग्रांट को निरंतर चार्ट में देखें तो 2024-25 में यह घटकर 6258 करोड़ हो गई और 2025-26 में यह 3257 करोड़ हो जाएगी। 11 हजार करोड़ से चली यह रैवेन्यू डैफिसिट ग्रांट भाजपा के वित्तीय कुप्रबंधन की वजह से 3257 करोड़ पहुंच जाएगी। इनकी वजह से केंद्र सरकार ने कर्ज की सीमा 2022-23 की तुलना में घटाकर 2836 करोड़ रुपए कम कर दी है, जिसके लिए जयराम बताएं कि यह किसकी वजह से कम हुई है। एनपीएस का हमारा केंद्र के पास 9000 करोड़ पड़ा है, वह पैसा हमें नहीं दिया जा रहा है। कांग्रेस ने ओपीएस भी दे दी और शुरू भी हो गई है, लेकिन केंद्र की सरकार से यह राशि नहीं मिल रही है। ओ.पी.एस. देने के कारण कर्ज की सीमा घटा दी है। फोरन फंडिंग 2023-24 से लेकर 2025-26 के बीच 3 साल हैं, उसको गैप कर दिया और 2944 करोड़ से अधिक राशि नहीं ले सकेंगे। जो हमने वॉटर सैस लगाया था, उसके लिए कंपनियों को भड़का दिया। एसजेवीएनएल व बीबीएमबी को कोर्ट में जाने के लिए कहा और हिमाचल को पैसा न दो। 15वें वित्तायोग ने 3 स्पैसिफिक ग्रांट लिखीं, जिसमें मंडी का 1000 करोड़ का ड्रीम प्रौजेक्ट, 400 करोड़ कांगड़ा की हवाई पट्टी, 20 करोड़ ज्वालामुखी को मिलेगा लेकिन यह 1420 करोड़ नहीं आया है।
70 नैशनल हाईवे बनाने की कही थी बात, एक भी नहीं बना
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि जब भाजपा सत्ता में आई थी तो कहा था कि 70 नैशनल हाईवे बनाएंगे लेकिन कोई भी नैशनल हाईवे नहीं बना और किसी के लिए पैसा नहीं आया। रेल लाइन व हवाई पट्टी बढ़ाना केंद्र की जिम्मेदारी है और जो पैसा इसके लिए प्रदेश सरकार से मांगा जा रहा है और जो करीब 2000 करोड़ है, वह हिमाचल के बस की बात नहीं है। यह कार्य केंद्र सरकार का है। इनके पास कोई जवाब नहीं है और कह रहे हैं कि जाते-जाते 900 संस्थान खोले हैं लेकिन वित्त विभाग ने करीब 600 संस्थानों पर यह लिखा है कि यह खुल नहीं सकते हैं।
भाजपा सरकार के अंतिम वर्ष में 6336 करोड़ तक पहुंच गया था राजस्व घाटा
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि भाजपा सरकार के अंतिम वर्ष में राजस्व घाटा 6336 करोड़ तक पहुंच गया था। भाजपा ने अपनी रैलियों में 36 करोड़ की एचआरटीसी की बसें लगाई और आज भी साढ़े 8 करोड़ निगम का भुगतान करने को है। इन्वैस्टर मीट के नाम पर 26 करोड़, अमृत महोत्सव के नाम पर 7 करोड़ रुपए खर्च किया और केंद्र ने एक फूटी कौड़ी नहीं दी, जबकि यह केंद्र के प्रायोजित कार्यक्रम थे। जनमंच में खाने-पीने के लिए 6 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। सरकारी खर्च पर सत्ता में ये लोग आना चाहते थे। पावर प्रोजैक्ट्स में हिमाचल के हित पूर्व सरकार के समय बेचे गए और रॉयल्टी के नाम पर प्रदेश को साढ़े 10 हजार करोड़ का नुक्सान प्रदेश को होने जा रहा है।
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