Shimla: कांग्रेस प्रदेश प्रभारी रजनी पाटिल ने साधा निशाना, कहा-केंद्र सरकार ने आरटीआई कानून काे किया कमजोर

punjabkesari.in Sunday, Oct 12, 2025 - 06:30 PM (IST)

शिमला (राक्टा): केंद्र सरकार ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून काे कमजोर करने का काम किया है। कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी रजनी पाटिल ने रविवार को पार्टी मुख्यालय राजीव भवन शिमला में आयोजित पत्रकार वार्ता में यह आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि डाॅ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने सोनिया गांधी के नेतृत्व में 12 अक्तूबर 2005 को देश के नागरिकों को आरटीआई की सौगात दी थी। यह यूपीए सरकार की देश के प्रति अधिकार आधारित एजैंडे की पहली कड़ी थी, जिसमें मनरेगा 2005, वन अधिकार अधिनियम 2006, शिक्षा का अधिकार 2009, भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा का अधिकार अधिनियम 2013 व राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 शामिल हैं।

रजनी पाटिल ने कहा कि इन सब अधिनियमों का मुख्य उद्देश्य देश के नागरिकों को सार्वजनिक प्राधिकरणों के पास मौजूद जानकारी तक पहुंच प्रदान कर उन्हें सशक्त बनाना था, ताकि शासन व्यवस्था अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बन सके। उन्होंने कहा कि आरटीआई समाज के सबसे हाशिए पर बस लोगों के लिए जीवन रेखा साबित हुई है। इससे नागरिकों को उनके हक जैसे राशन, समय पर पैंशन, बकाया मजदूरी और छात्रवृत्तियां दिलाने में मदद की है। इसने सुनिश्चित किया कि सबसे गरीब व्यक्ति को जीवन की बुनियादी जरूरतों से वंचित न किया जाए। रजनी पाटिल ने कहा कि वर्ष 2014 के बाद आरटीआई को लगातार कमजोर करने का काम किया है, जिससे देश की पारदर्शिता और लोकतांत्रिक ढांचे को आघात हुआ है। उन्होंने कहा कि आरटीआई की 20वीं वर्षगांठ पर आज अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस कानून की रक्षा और सशक्तिकरण के अपने संकल्प को दोहराह रही है, जिससे हर नागरिक निडर होकर सरकार से सवाल पूछ सके और समयबद्ध व प्रभावी उत्तर प्राप्त कर सकें।

स्वायत्तता को कमजोर कर दिया: प्रतिभा सिंह
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने संयुक्त पत्रकार वार्ता में कहा कि केंद्र सरकार संशोधन कर आरटीआई को कमजोर कर रही है। 2019 के संशोधन ने सचूना आयोग की स्वायत्तता को कमजोर कर दिया। पहले आयुक्तों का कार्यकाल 5 वर्ष केे लिए तय था और उनकी सेवा शर्तें भी सुरक्षित थी, लेकिन संशोधन के बाद केंद्र सरकार को कार्यकाल और सेवा शर्तें तय करने का अधिकार दे दिया गया, जिससे स्वतंत्रता प्रभावित हुई और कार्यपालिका प्रभाव बढ़ा।

चलाया जाएगा विशेष अभियान: राठौर
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एवं ठियोग के विधायक कुलदीप सिंह राठौर ने पत्रकार वार्ता में कहा कि केंद्र सरकार ने समय समय पर इसमें संशोधन कर इसके उद्देश्य को कमजोर किया है। केंद्र सरकार मुख्य सूचना आयुक्त के पद और इसमें कई अन्य पदों को भी नहीं भर रही हैं। उन्होंने कहा कि आज सूचना आयोग के पास सूचना के लाखों आवेदन लंबित पड़े हैं। राठौर ने कहा कि कांग्रेस किसी भी कीमत पर आरटीआई को कमजोर नहीं होने देगी और इसके लिए लोगों को जागरूक करने का विशेष अभियान चलाया जाएगा।

कांग्रेस की ये हैं मुख्य मांगें
2019 के संशोधनों को निरस्त कर सूचना आयोगों की स्वतंत्रता बहाल की जाए और आयुक्तों के लिए 5 वर्ष का निश्चित कार्यकाल व सुरक्षित सेवा शर्तें सुनिश्चित की जाएं। डीपीडीपी अधिनियम की उन धाराओं (धारा 44(3)) की समीक्षा व संशोधन किया जाए, जो आरटीआई के जनहित उद्देश्य को कमजोर करती हैं। केंद्र और राज्य आयोगों में सभी रिक्तियां पारदर्शी व समयबद्ध प्रक्रिया के माध्यम से तुरंत भरी जाएं। आयोगों के लिए कार्य निष्पादन मानक तय किए जाएं और निपटान दर की सार्वजनिक रिपोर्टिंग अनिवार्य की जाए। व्हिसल ब्लोअर प्रोटैक्शन अधिनियम को पूर्ण रूप से लागू कर आरटीआई उपयोगकर्ताओं और व्हिसल ब्लोअर को सशक्त सुरक्षा प्रदान की जाए। आयोगों में विविधता सुनिश्चित की जाए पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और महिला प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए।


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Vijay

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