सशर्त जारी अपंगता प्रमाण पत्र को वैधानिक मान्यता नहीं, माना जाएगा जाली प्रमाण पत्र : हाईकोर्ट

punjabkesari.in Friday, Jul 17, 2020 - 09:59 PM (IST)

शिमला (ब्यूरो): हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने चिकित्सा अधिकारियों द्वारा सशर्त जारी किए गए अपंगता प्रमाण पत्रों पर तलख टिप्पणी करते हुए यह स्पष्ट किया कि जिन मेडिकल प्रमाण पत्रों की वैधानिक तौर पर किसी भी तरह की मान्यता नहीं है। इस तरह के मेडिकल सर्टीफिकेट झूठे व जाली समझे जाएंगे। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने यह स्पष्ट किया कि जिन अपंगता संबंधी प्रमाण पत्रों पर चिकित्सा अधिकारी द्वारा यह लिखा जाता है कि इस तरह के प्रमाण पत्र न्यायालय या क्षतिपूर्ण हर्जाने के लिए मान्य नहीं हैं वास्तव में ऐसे प्रमाण पत्र जारी करने वाले चिकित्सा अधिकारियों की इस मंशा को उजागर करते हैं कि प्रमाण पत्र झूठे पाए जाने की स्थिति में उन्हें न्यायालय या प्राधिकरण के समक्ष न घसीटा जा सके। कोर्ट ने कहा कि कोई भी कोर्ट इस तरह के प्रमाण पत्रों को मान्यता नहीं दे सकता।

न्यायालय ने सरकार को आदेश दिए कि अब समय आ गया है कि इस तरह के प्रमाण पत्र जारी करने की प्रथा पर अंकुश लगाया जाए, जिनकी वैधानिक मान्यता न होने के बावजूद दुरुपयोग हो रहा है।  न्यायालय ने स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को आदेश जारी किए कि वह 6 सप्ताह के भीतर इस मामले पर गहनता से गौर करने के पश्चात संबंधित सरकारी व निजी डाक्टरों को जरूरी दिशा-निर्देश जारी करें।

न्यायालय ने ट्रांसफर से जुड़े मामले के रिकॉर्ड का अवलोकन करने के पश्चात यह पाया कि प्रार्थी को हालांकि चिकित्सा अधिकारी ने 45 फीसदी अपंगता का प्रमाण पत्र जारी किया था परंतु साथ में यह भी नोट लिखा था कि यह प्रमाण पत्र न्यायालय को दिखाने या क्षतिपूर्ति हर्जाना लेने के लिए मान्य नहीं होगा। मामले में स्वास्थ्य सचिव को दिए निर्देशों की अनुपालना रिपोर्ट 19 अगस्त के लिए तलब की गई है।


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Vijay

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