देश के पहले ''कोल्ड डैजर्ट बायोस्फीयर रिजर्व'' का दर्जा मिलने से वैश्विक मानचित्र पर चमकेगा हिमाचल का स्पीति : सीएम

punjabkesari.in Sunday, Sep 28, 2025 - 04:49 PM (IST)

शिमला (ब्यूरो): मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि लाहौल-स्पीति जिले की स्पीति घाटी को यूनेस्को के प्रतिष्ठित मानव और बायोस्फीयर (एमएबी) कार्यक्रम के तहत देश के पहले शीत मरुस्थल बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में मान्यता प्राप्त होने के पश्चात हिमाचल के ठंडे रेगिस्तान वैश्विक संरक्षण मानचित्र पर मजबूती से उभरेंगे। इससे अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान सहयोग बढ़ेगा, स्थानीय आजीविका को और सुदृढ़ करने के लिए जिम्मेदार ईको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा और नाजुक हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रति भारत के सकारात्मक प्रयासों को बल मिलेगा। 

शिमला से जारी बयान में उन्होंने कहा कि यह मान्यता औपचारिक रूप से 26 से 28 सितम्बर तक चीन के हांगझोउ में आयोजित 37वीं अंतर्राष्ट्रीय समन्वय परिषद (एमएबी-आईसीसी) की बैठक के दौरान प्रदान की गई। इस समावेशन के साथ, भारत के अब एमएबी नैटवर्क में कुल 13 बायोस्फीयर रिजर्व हो गए हैं। वन विभाग और वन्यजीव विंग को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि स्पीति कोल्ड डैजर्ट बायोस्फीयर रिजर्व 7770 वर्ग किलोमीटर के भौगोलिक क्षेत्र में फैला है, जिसमें संपूर्ण स्पीति वन्यजीव प्रभाग 7591 वर्ग किलोमीटर और लाहौल वन प्रभाग के आसपास के हिस्से शामिल हैं, जिनमें बारालाचा दर्रा, भरतपुर और सरचू (179 वर्ग किलोमीटर) शामिल हैं। उन्होंने बताया कि रिजर्व को तीन क्षेत्रों में संरचित किया गया है (2665 वर्ग किलोमीटर कोर जोन, 3977 वर्ग किलोमीटर बफर जोन और 1128 वर्ग किलोमीटर ट्रांजिशन जोन)।

यह पिन वैली राष्ट्रीय उद्यान, किब्बर वन्यजीव अभ्यारण्य, चंद्रताल आर्द्रभूमि और सरचू मैदानों को एकीकृत करता है। यह क्षेत्र पारिस्थितिक रूप से समृद्ध है, जिसमें 655 जड़ी-बूटियाें, 41 झाड़ियाें और 17 वृक्षों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें 14 स्थानिक और 47 औषधीय पौधे शामिल हैं। यह सोवारिग्पा/आमची चिकित्सा परंपरा के लिए उपयोग में लाए जाते हैं। यहां के वन्यजीवों में 17 स्तनपायी प्रजातियां और 119 पक्षी प्रजातियां शामिल हैं। यह 800 से अधिक नीली भेड़ों का आश्रय स्थल है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Vijay

Related News