सरकार खनन नीति में आवश्यक संशोधन को तैयार, खनन से कमाएंगे 1 हजार करोड़ : मुख्यमंत्री

punjabkesari.in Thursday, Mar 27, 2025 - 11:52 PM (IST)

शिमला (भूपिन्द्र): मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में खनन से 1000 करोड़ रुपए कमाएंगे। अभी तक सरकार को खनन से 400 करोड़ रुपए शुल्क आ रहा है। इसमें 600 करोड़ की और बढ़ौतरी की जाएगी तथा इसे बढ़ाकर 1000 करोड़ रुपए तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश की आर्थिक संपदा को लुटने नहीं दिया जाएगा। यह बात उन्होंने वीरवार को विधानसभा में प्रश्नकाल में विधायक डा. जनक राज के शाॅर्ट सवाल के जवाब में हस्तक्षेप करते हुए कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार खनन नीति में आवश्यक संशोधन करने के लिए तैयार है। इसकेे लिए संबंधित मंत्री से बात की जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि माइनिंग पॉलिसी लाते हैं तो सभी के सुझाव लेकर इसमें आगे बढ़ेंगे। यदि पिछले मामलों में कोई गलती हुई होगी तो उसे भी सुधारा जाएगा और कैसे वापस लाया जाए, इस पर कार्य करेंगे। 

5 बीघा से अधिक सरकारी जमीन बिना नीलामी के नहीं दी जा सकती : जनक राज
इससे पूर्व डाॅ. जनक राज ने सवाल करते हुए कहा कि जिला चम्बा में पॉलिसी को दरकिनार कर 165 बीघा जमीन देने की योजना है। माइनिंग पॉलिसी के अनुसार 5 बीघा से अधिक सरकारी जमीन बिना नीलामी के नहीं दी जा सकती, लेकिन यह जमीन बिना नीलामी के लीज पर दी जा रही है। इस पर उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि सरकारी भूमि को लीज पर देने का नियम वर्ष 2018 तक था। यह मामला इससे पुराना वर्ष 2015 का है। उन्होंने कहा कि इस लीज के लिए वर्ष 2015 में आवेदन आया था और पर्यावरण मंजूरी मिलने के बाद वर्ष 2016 में एलओआई जारी किया गया और वर्ष 2017 में लीज डीड को लेकर एग्रीमैंट हुआ तथा इस पर 3 माह काम चला। उन्होंने कहा कि सत्ता परिवर्तन के बाद इस लीज को कैंसल किया गया था। उन्होंने कहा कि संबंधित व्यक्ति ने नियमों के अनुसार इसके लिए आवेदन किया है। वर्ष 2021 में भारत सरकार ने इसकी फोरैस्ट काे एनओसी दी और 58 लाख रुपए से अधिक इसके लिए जमा करवाए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह मामला कैबिनेट में भी आया था और फिर विधि और उद्योग विभाग से क्लीयरैंस के बाद मंजूर किया गया। संबंधित व्यक्ति ने एनएचपीसी से भी एनओसी ली है। 

सरकार ने 2018 के बाद कोई सरकारी जमीन माइनिंग के लिए लीज पर नहीं दी
उद्योग मंत्री ने कहा कि सरकार ने 2018 के बाद कोई सरकारी जमीन माइनिंग के लिए लीज पर नहीं दी, बल्कि ऑक्शन करके दे रही है। वर्ष 2018 के बाद 5 बीघा से अधिक जमीन खनन के लिए लीज पर नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि यह मामला वर्ष 2018 से पहले का था और इसलिए इसे मंजूरी दी गई। एनएचपीसी के बांध में सिल्ट व पत्थर आ रहे थे। इस मामले में कोई भी अनियमितता नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि 2016 से 2019 तक 322 खनन पट्टे दिए गए। इनमें से अभी तक 2 मामलों में ही एफसीए मिला है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहती, जिससे कोर्ट में उनकी किरकिरी हो। इस संबंध में विधायक संजय अवस्थी और नीरज नैय्यर ने भी अनुपूरक सवाल किए थे। इनके जवाब में सीएम ने कहा कि प्रदेश में बड़ी खनन साइट्स को छोटे प्लाट बनाकर आबंटित किया जाएगा, ताकि खनन धारकों को ज्यादा अपफ्रंट मनी न देनी पड़े। माइनर मिनरल में 5 हैक्टेयर की भूमि की शर्त को कम किया जाएगा।

बंदोबस्त के कार्य को फास्ट ट्रैक पर डालने का किया जाएगा प्रयास : जगत सिंह नेगी
विधायक केवल सिंह पठानिया के सवाल के जवाब में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश में बंदोबस्त का कार्य आधुनिक तकनीक से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस कार्य को फास्ट ट्रैक पर डालने का कार्य भी सरकार कर रही है। उन्होंने कहा कि बंदोबस्त में 10 से 15 वर्ष लग रहे हैं। इसे कम करने का प्रयास किया जाएगा। राजस्व मंत्री ने कहा कि शाहपुर उपमंडल के राजस्व अभिलेख का कार्य का निर्वहन उपमंडलाधिकारी धर्मशाला के अभिलेख कक्ष द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शाहपुर में अभिलेख कक्ष स्थापित होने के बाद उसे वहां शिफ्ट किया जाएगा। उन्होंने बताया कि गत वर्ष भू-राजस्व अधिनियम, 1954 के तहत राज्य को 2.80 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है।

तपोवन में बनेगा बड़ा व भव्य कन्वैंशन सैंटर
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधायक सुधीर शर्मा के सवाल के जवाब में कहा कि राज्य सरकार धर्मशाला के तपोवन में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बड़ा व भव्य कन्वैंशन सैंटर बनाएगी। इसके लिए 4.50 हैक्टेयर जमीन चिन्हित की गई है। सरकार का प्रयास है कि यह देश का सबसे बड़ा कन्वैंशन सैंटर बने। उन्होंने कहा कि पहले दाड़ी मैदान में इसको बनाने का प्रस्ताव था, लेकिन सरकार यदि यहां पर इस केंद्र को बनाती तो बच्चों के खेलने की सुविधा खत्म हो जाती। इसलिए इसे तपोवन में बनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 2 वर्षों में 1 जनवरी, 2023 से 20 फरवरी, 2025 तक एडीबी के तहत प्रदेश सरकार द्वारा 844.15 करोड़ रुपए की धनराशि व्यय की गई तथा एडीबी के पास दायर 709.90 करोड़ रुपए के प्रतिपूर्ति दावों के विरुद्ध 677.69 की करोड़ रुपए की धनराशि प्रदेश को प्राप्त हो चुकी है। उन्होंने कहा कि एडीबी की परियोजनाओं के उपयोगिता प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं और उपयोगिता प्रमाण जारी होने के उपरान्त ही भारत सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति दावों के विरुद्ध प्रदेश सरकार को धनराशि जारी की जाती है।
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Content Writer

Vijay

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