बाबा के घमासान पर सत्तापक्ष-विपक्ष खामोश, दोनों दलों की नजदीकियां कार्रवाई में बन रहीं रोड़ा

punjabkesari.in Wednesday, May 17, 2017 - 09:15 AM (IST)

शिमला: सोलन जिला स्थित श्री रामलोक मंदिर के संस्थापक बाबा अमरदेव पर मचे घमासान को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष की खामोशी ग्रामीणों को अखरने लगी है। आरोप लगने लगे हैं कि दोनों दलों के शीर्ष नेताओं की नजदीकियों बाबा के खिलाफ कार्रवाई में रोड़ा बन रहीं है। ऐसे में यह मामला विधानसभा चुनाव में भारी पड़ सकता है। मुख्य रुप से सोलन विधानसभा क्षेत्र से विधायक एवं प्रदेश सरकार में मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल को इसका नुक्सान हो सकता है। इसके साथ ही भाजपा को भी पूरे मामले में खोमोशी बनाए रखने के चलते जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।
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22 पंचायतों के लोग यहां बाबा के खिलाफ लामबंद
सोलन विस क्षेत्र की 22 पंचायतों के लोग यहां बाबा के खिलाफ लामबंद हैं। इसके तहत महापंचायत हो चुकी है और मामला मुख्यमंत्री वीरभद्र के दरबार तक भी पहुंच चुका है। अपने रुख पर कायम स्थानीय ग्रामीण पहले ही दो टूक कह चुके कि यदि मंदिर और आसपास के क्षेत्रों में बाबा की एंट्री पर रोक नहीं लगती और उससे जुड़ेे मामलों पर जांच आगे नहीं बढ़ती है तो 22 पंचायत के प्रधान जहां सामूहिक इस्तीफा देंगे वहीं विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। बाबा के खिलाफ जिन पंचायतों के प्रधानों ने ग्रामीणों के साथ मोर्चों खोला रखा है, उनमें अधिकतर कांग्रेस सर्मिथत हैं। इसके साथ ही देखा जाए तो अपने एक पदाधिकारी की गिरफ्तारी होने के बाद भी भाजपा ने पूरे मामले पर चुप्पी साध रखी है। इसको लेकर संबधित नेता ने अपनी नाराजगी भी जाहिर की थी।


सरकार बाबा को सरंक्षण दे रही
उधर, कांग्रेस और भाजपा जहां अभी तक बाबा से जुड़े मामले में खुलकर सामने नहीं आई है वहीं माकपा शुरु से ही ग्रामीणों के सर्मथन में है। ऐसे में देखना होगा कि आगामी दिनों में इस मामले को लेकर सियासी दलों के नेता सामने आते हैं या फिर अपने वरिष्ठ नेताओं की बाबा के साथ नजदीकियों के चलते चुप्पी साध रखना ही बेहतर समझते हैं। सूत्र बताते हैं कि आधा दर्जन से अधिक मंत्रिमंडल के सदस्य, नेता, पुलिस अधिकारी व कर्मचारी बाबा के अनुयाई हैं। इतना नहीं बाबा एक मंत्री की मौजूदगी में मीडिया को भी डरा धमका चुके हैं। इसको लेकर भी उस समय शिकायत हुई थी। ग्रामीण आरोप लगाने लगे हैं कि सरकार बाबा को सरंक्षण दे रही है। उनके कब्जे से खालें और तलवारें बरामद होती हैं लेकिन एक साल तक चालान तैयार नहीं हो पाता है। इसी तरह एक महिला पर तेजधार हथियार से हमला होता है लेकिन बाबा पर कोई कार्रवाई के बदले कंडाघाट थाने के पूरे स्टाफ को लाइन हाजिर किया जाता है, जो साफ तौर पर दर्शाता है कि उनको कहीं न कहीं राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। 


करेंगे शनिवार तक का इंतजार
ग्राम पंचायत कोट के प्रधान हीरानंद शांडिल ने कहा कि बाबा से जुड़े मुद्दे पर ग्रामीणों को स्टैंड स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के समक्ष भी गुहार लगाई जा चुकी है। मुख्यमंत्री ने शनिवार तक जांच रिपोर्ट आने का आश्वासन दिया है। ऐसे में शानिवार तक का इतजार करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि यदि उचित कार्रवाई नहीं हुई तो पुन: महापंचायत बुलाकर आंदोलन की आगामी रुपरेखा तैयार की जाएगी।
 


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