Cyber ठगी का शिकार होने से बचें, प्रदेश की Police ने जारी किया नंबर

punjabkesari.in Wednesday, Jul 31, 2024 - 03:35 PM (IST)

हमीरपुर : ऑनलाइन ठगी एवं अन्य साईबर अपराध के मामलों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए हिमाचल प्रदेश पुलिस की साईबर क्राइम विंग ने सभी लोगों से ऐहतियात बरतने और किसी भी तरह के साईबर अपराध या ऑनलाइन ठगी का शिकार होने पर तुरंत साईबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर या साईबर क्राइम पुलिस थाना मंडी के लैंडलाइन नम्बर 01905-226900 पर अथवा ईमेल pscyber-cr@hp.gov.in पीएससाईबर-सीआर एट द रेट एचपी.जीओवी.इन पर शिकायत दर्ज करवाने तथा नजदीकी थाने में संपर्क करने की अपील की है।

हिमाचल प्रदेश पुलिस की मध्य रेंज मंडी की साईबर क्राइम शाखा के एएसपी मनमोहन सिंह ने बताया कि साईबर अपराध एवं ऑनलाइन ठगी में संलिप्त लोग बड़ी चालाकी से लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। ये ठग कई बार व्हॉट्सऐप कॉल के माध्यम से लोगों को अपने जाल में फंसाकर अश्लील वीडियो बना देते हैं और फिर ब्लैकमेल करके पैसे उगाहने का प्रयास करते हैं।

एएसपी ने बताया कि हिमाचल प्रदेश पुलिस की सीआईडी विंग के साईबर क्राइम पुलिस स्टेशन मंडी में 27 जुलाई को इसी तरह का एक मामला दर्ज हुआ है। इस मामले में महिला ठग ने अनजान नंबर से व्हॉट्सऐप कॉल की तथा तथा धीरे-धीरे शिकायतकर्ता से दोस्ती कर ली तथा शिकायतकर्ता को अपने जाल में फंसा कर धोखे से अश्लील वीडियो बना ली। इसके बाद महिला ठग ने ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया और लगभग 27 लाख रुपये की वसूल लिए। एएसपी ने बताया कि पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।

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साइबर ठगी क्या है?

साइबर ठगी वह धोखाधड़ी है जो इंटरनेट और कंप्यूटर के जरिए की जाती है। इसमें ठग ऑनलाइन या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल कर लोगों को धोखा देते हैं। साइबर ठगी के कई प्रकार होते हैं, जैसे:

साइबर ठगी के प्रकार:

फिशिंग (Phishing):

ठग ईमेल, संदेश, या वेबसाइट के जरिए आपकी निजी जानकारी जैसे पासवर्ड या क्रेडिट कार्ड नंबर चुराने की कोशिश करते हैं। ये आमतौर पर किसी भरोसेमंद संस्था का फर्जी संदेश होता है।

स्पूफिंग (Spoofing):
अपराधी किसी और की पहचान का नकल कर धोखाधड़ी करते हैं। इसमें किसी के ईमेल या वेबसाइट का नकली रूप बनाना शामिल हो सकता है।

मैलवेयर (Malware):
यह एक खतरनाक सॉफ़्टवेयर है जो आपके कंप्यूटर या स्मार्टफोन को नुकसान पहुंचाता है। इसमें वायरस, वर्म्स, और ट्रोजन हॉर्स शामिल होते हैं।

रैनसमवेयर (Ransomware):
इस ठगी में अपराधी आपके कंप्यूटर या डाटा को लॉक कर देते हैं और उसे वापस पाने के लिए पैसे मांगते हैं।

ऑनलाइन शॉपिंग स्कैम (Online Shopping Scam):
धोखेबाज नकली ऑनलाइन स्टोर्स बनाते हैं और लोगों से पैसे लेकर सामान नहीं भेजते।

क्लोनिंग (Cloning):
ठग किसी की पहचान का नकली रूप बनाते हैं और उनके नाम से धोखाधड़ी करते हैं। इसमें फोन नंबर, ईमेल, या वेबसाइट का नकली रूप बनाना शामिल हो सकता है।

सामाजिक इंजीनियरिंग (Social Engineering):
ठग लोगों से उनकी व्यक्तिगत जानकारी जैसे पासवर्ड या बैंक डिटेल्स हासिल करने के लिए उन्हें बहलाते हैं या भरोसा जीतते हैं।

ऑनलाइन डेटिंग स्कैम (Online Dating Scam):
ठग डेटिंग साइट्स पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर लोगों से पैसे की मांग करते हैं।

साइबर ठगी से कैसे बचें:
मजबूत पासवर्ड का इस्तेमाल करें: अपने पासवर्ड को मजबूत और अलग रखें, और समय-समय पर बदलते रहें।

संदिग्ध ईमेल और लिंक से दूर रहें: केवल भरोसेमंद स्रोतों से ईमेल खोलें और लिंक पर क्लिक करें।

सुरक्षित नेटवर्क का उपयोग करें: सार्वजनिक Wi-Fi का उपयोग करते समय सतर्क रहें और वीपीएन (VPN) का उपयोग करें।

सॉफ़्टवेयर को अपडेट रखें: अपने कंप्यूटर और स्मार्टफोन के सॉफ़्टवेयर को हमेशा अपडेट रखें।

दो-चरणीय प्रमाणीकरण (Two-Factor Authentication) सक्षम करें: इससे आपके खातों की सुरक्षा बढ़ जाती है।

व्यक्तिगत जानकारी साझा करने में सावधानी बरतें: अपनी निजी जानकारी केवल विश्वसनीय साइट्स या सेवाओं पर ही साझा करें।

धोखाधड़ी की रिपोर्ट करें: अगर आप ठगी का शिकार होते हैं, तो तुरंत पुलिस या साइबर क्राइम विभाग को सूचित करें।

साइबर ठगी से बचाव के लिए सतर्क रहना और डिजिटल सुरक्षा का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
 


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News Editor

Rahul Singh

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