डल झील में 2000 श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी
punjabkesari.in Tuesday, Sep 14, 2021 - 05:03 PM (IST)

भरमौर (उत्तम ठाकुर): मणिमहेश की पवित्र डल झील में राधाष्टमी पर्व पर 2000 से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान किया। इसके साथ ही मणिमहेश यात्रा भी संपन्न हो गई। इससे पहले उतरी भारत की प्रसिद्ध श्रीमणिमहेश डल झील को सचुई गांव के त्रिलोचन महादेव के वंशजों एवं शिवजी के गुरों द्वारा आरपार करने यानी तोडऩे की परंपरा का निर्वहन किया। उसके बाद राधाष्टमी के पावन पर्व का स्नान शुरू हुआ। कोरोना की पाबन्दियों के बावजूद लगभग दो हजार श्रद्धालु यहां पहुंचे थे। उन्होंने पवित्र डल झील में आस्था की डुबकी लगाई। कोरोना काल से पहले लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते थे और स्नान करते थे। डल झील तोडऩे के उपरांत ही डल झील पर पहुंची सभी पवित्र छडिय़ों के भी स्नान हुए। डल तोडऩे की परम्परा के बाद चौबीस घण्टों तक ये सभी छडिय़ां वहीं पर स्थापित रहती है।
उसके बाद ही वे वापिस आती है। जब तक ये छडियां वहां रहती तब तक जितना भी चढ़ावा शिवजी भगवान की चौमुखी पिंडी पर चढ़ता है उसे यात्रा के प्रमुख चार भागीदारों में बांटने की परंपरा थी, जिसमे हड़सर गांव के शिवजी के पुजारी, दशनामी अखाड़ा चम्बा, सचुई के शिव गुर तथा चम्बा से चरपट नाथ यात्रा के मुख्य भागीदार होते थे, लेकिन बाद में प्रशासन इसका पांचवा हिस्सेदार बन गया। अब ये यात्रा श्री मणिमहेश यात्रा न्यास के तहत होने लगी है। पर्वी का स्नान शुरू होने के बाद डल झील से लाए गए पानी से छत राड़ी स्थित शिव शक्ति माता की प्रतिमा का स्नान करवाने के बाद तीन दिवसीय मेलों का भी शुभारंभ हो गया। इसके साथ ही इस वर्ष की सांकेतिक मणिमहेश यात्रा का आधिकारिक समापन हो गया। जो लगातार दूसरी बार कोरोना की भेंट चढ़ गई।