हिमाचल सरकार की अनोखी पहल: बाढ़ ने तबाह किया परिवार.. 10 माह की नीतिका बनी ''राज्य की बेटी''
punjabkesari.in Monday, Jul 28, 2025 - 01:24 PM (IST)

हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में 30 जून और 1 जुलाई की दरमियानी रात को बादल फटने से आई भीषण बाढ़ ने तलवारा गांव में जबरदस्त तबाही मचाई। इस प्राकृतिक आपदा ने 10 महीने की एक मासूम बच्ची, नीतिका, के सिर से उसके माता-पिता और दादी का साया हमेशा के लिए छीन लिया। यह हृदय विदारक घटना पूरे प्रदेश को झकझोर गई, जिसके बाद हिमाचल सरकार ने बच्ची की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है।
त्रासदी का भयानक मंजर
उस रात, नीतिका के पिता रमेश घर में घुस रहे पानी को रोकने की कोशिश कर रहे थे। उनकी पत्नी राधा देवी और मां पूर्ण देवी उनकी मदद के लिए बाहर निकलीं। दुर्भाग्यवश, बाढ़ का पानी इतना प्रचंड था कि वे तीनों उसकी चपेट में आ गए और फिर कभी वापस नहीं लौटे। नीतिका अपने घर में अकेली रह गई, पूरी तरह से असहाय और अनजान कि उसके ऊपर कितना बड़ा दुख टूट पड़ा है।
पड़ोसी बने देवदूत
जब हर तरफ हाहाकार मचा हुआ था, नीतिका को अकेला रोते हुए उसके पड़ोसी प्रेम सिंह ने देखा। उन्होंने तुरंत बच्ची की जानकारी उसके रिश्तेदार बलवंत को दी।
हिमाचल सरकार की अनूठी पहल: 'चाइल्ड ऑफ स्टेट'
इस मार्मिक घटना के बाद हिमाचल सरकार ने नीतिका को 'मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना' के तहत 'राज्य की बेटी' यानी चाइल्ड ऑफ स्टेट घोषित किया है। यह एक असाधारण कदम है, जिसके तहत सरकार ने नीतिका के पालन-पोषण, शिक्षा और उसके पूरे भविष्य की जिम्मेदारी उठा ली है। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने इस घोषणा के दौरान कहा, "यह नन्ही बच्ची भविष्य में डॉक्टर, इंजीनियर या अधिकारी जो भी बनना चाहेगी, सरकार उसका हर खर्च उठाएगी। हम उसका भविष्य संवारने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।" यह दर्शाता है कि सरकार इस बच्ची के साथ खड़ी है और उसे एक उज्ज्वल भविष्य देने के लिए संकल्पबद्ध है।
मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना: एक जीवनदान
2023 में शुरू की गई 'मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना' हिमाचल प्रदेश सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसे विशेष रूप से अनाथ बच्चों के कल्याण के लिए बनाया गया है। यह योजना उन बच्चों के लिए एक वरदान साबित हो रही है, जिन्हें सहारे की जरूरत है। इसके तहत, 18 से 27 वर्ष की आयु के अविवाहित अनाथों को comprehensive सहायता प्रदान की जाती है। इसमें भोजन, आश्रय, कपड़े जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के साथ-साथ उच्च शिक्षा और कौशल विकास जैसी सुविधाएं शामिल हैं, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।
इसके अतिरिक्त, योजना के तहत बच्चों को कपड़ों और त्योहारों के लिए भत्ता, सालाना शैक्षिक यात्राएं, व्यक्तिगत खर्चों के लिए स्टाइपेंड, अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता और यहां तक कि घर बनाने के लिए अनुदान भी दिया जाता है। इस योजना का उद्देश्य अनाथ बच्चों को समाज की मुख्य धारा में शामिल करना और उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर देना है।
फिलहाल, नीतिका अपनी बुआ किरना देवी के साथ शिकौरी गांव में रह रही है, जो तलवारा से लगभग 20 किलोमीटर दूर है। सरकार की इस पहल से नीतिका को न केवल एक नया जीवन मिला है, बल्कि यह देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल पेश करती है कि आपदा में अनाथ हुए बच्चों का भविष्य कैसे सुरक्षित किया जा सकता है।