काजा के गांवों में बाढ़ ने मचाई तबाही: पानी और मलबा घरों में घुसा, तेज बहाव में बही गाड़ी
punjabkesari.in Wednesday, Jul 23, 2025 - 09:54 AM (IST)

हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश में इन दिनों लगातार फ्लैश फ्लड यानी अचानक बाढ़ आने की घटनाएं बढ़ गई हैं। लाहौल-स्पीति जिले में भारी बारिश के बाद काजा उपमंडल के दो गांवों - रंगरिक और खुरिक में ऐसा ही भयावह मंजर देखने को मिला। अचानक आए सैलाब और मलबे से इन दोनों गांवों में अफरातफरी मच गई। पानी और मिट्टी का मलबा लोगों के घरों में घुस गया और देखते ही देखते एक गाड़ी भी पानी के तेज बहाव में बह गई। घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं और राहत व बचाव कार्य शुरू किया गया। मलबे को हटाने का काम तेजी से जारी है ताकि स्थिति को सामान्य किया जा सके।
स्पीति घाटी, जिसे अक्सर 'कोल्ड डेजर्ट' यानी ठंडा रेगिस्तान कहा जाता है, अपनी कम बारिश और भारी बर्फबारी के लिए जाना जाता है। हालांकि, छले कुछ समय से यहां मौसम के मिजाज में बदलाव देखने को मिल रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण अब लाहौल और स्पीति घाटी में भी फ्लैश फ्लड की घटनाएं बढ़ गई हैं, जो पहले नाममात्र ही होती थीं। इससे स्थानीय लोगों में चिंता बढ़ गई है। वायरल हुए वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे पानी और मलबा गांव में तेजी से घुस आया और लोगों में चीख-पुकार मच गई। यह दृश्य वाकई डरावना था।
लाहौल-स्पीति की विधायक अनुराधा राणा ने बताया कि उन्हें मंगलवार को खुरिक और रंगरिक गांवों के पास बाढ़ की घटनाओं की सूचना मिली थी। उन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए एसडीएम की अध्यक्षता में सभी संबंधित विभागों को मौके पर भेजा। सीमा सड़क संगठन (BRO) की मशीनों ने मलबे को हटाने का काम शुरू कर दिया है। विधायक ने प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि वे नुकसान का जल्द से जल्द जायजा लें और राहत व बचाव कार्यों में कोई देरी न करें। उन्होंने आश्वासन दिया कि प्रभावितों की हर संभव मदद की जाएगी और वे जल्द ही मौके का दौरा करेंगी।
इसी दौरान हरनाला क्षेत्र में भी बारिश के कारण बाढ़ आ गई, जिससे एक कार बह गई और सड़क किनारे अटक गई। मौसम विभाग ने बुधवार को भी हिमाचल प्रदेश में बारिश की संभावना जताई है। गुरुवार और शुक्रवार को भी अधिकांश क्षेत्रों में हल्की बारिश होने का अनुमान है। इन लगातार हो रही घटनाओं से यह साफ है कि हिमाचल प्रदेश, खासकर लाहौल-स्पीति जैसे ठंडे रेगिस्तानी इलाकों को भी अब जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों का सामना करना पड़ रहा है।