Himachal: विधानसभा में शुरू नहीं हो पाया शून्यकाल, जानिए क्या रही वजह
punjabkesari.in Wednesday, Sep 04, 2024 - 07:07 PM (IST)
शिमला (कुलदीप): हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बुधवार से शून्यकाल शुरू नहीं हो पाया। इसके लिए अभी थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रश्नकाल के बाद शून्यकाल शुरू करने को लेकर सामने आए विषय पर कहा कि सरकार अभी तैयार नहीं है। इसकी शुरूआत सरकारी स्तर पर मंत्रिमंडल सहयोगियों एवं अधिकारियों से चर्चा करने के बाद की जा सकती है। ऐसे में जब तक इसके लिए एसओपी तैयार नहीं की जाती, तब तक प्वाइंट ऑफ ऑर्डर से कार्य का संचालन किया जाए। इसको अगले सत्र या फिर बजट सत्र से शुरू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विधानसभा, न्यायपालिका और सरकार की अपनी गरिमा होती है। यदि संसद के अनुसार शून्यकाल शुरू होता है तो उठाए जाने वाले विषय का उत्तर 1 माह बाद मिलता है।
अध्यक्ष के साथ खड़ा है विपक्ष, सत्तापक्ष खुश नहीं : जयराम
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने इस दौरान कहा कि विपक्ष शून्यकाल शुरू करने के निर्णय पर अध्यक्ष के साथ खड़ा है, लेकिन सत्तापक्ष इससे खुश नहीं है। उन्होंने कहा कि अब यह तय किया जाना चाहिए कि शून्यकाल का क्या स्वरूप होगा तथा इसे जल्दी लागू किया जाना चाहिए। इससे पहले संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने भी शून्यकाल की व्यवस्था को लेकर अपना पक्ष रखा। विधायक रणधीर शर्मा ने संसदीय कार्य मंत्री के पक्ष पर आपत्ति जताई। उन्होंने शून्यकाल की अवधि संसद की तरह 1 घंटे करने की मांग की।
विधानसभा में सदस्य संख्या कम, आधे घंटे का समय उचित : जगत सिंह
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय को सराहनीय एवं ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह की व्यवस्था 10 प्रदेशों में भी है। उन्होंने कहा कि संसद में संदस्य संख्या अधिक है, जिस कारण वहां शून्यकाल 1 घंटे का है, ऐसे में विधानसभा में सदस्य संख्या कम होने के कारण इसे आधे घंटे का करना ही उचित है। इसके लिए संसद की तरफ से तैयार की गई एसओपी को आधार बनाया जा सकता है।
शून्यकाल शुरू होगा : पठानिया
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि विधानसभा में शून्यकाल शुरू होगा। इस दौरान अति महत्वपूर्ण उन विषयों को उठाया जा सकेगा, जिसकी अध्यक्ष की तरफ से विषय की गंभीरता के अनुसार अनुमति मिलेगी। इसके लिए सदस्यों को 2 से 3 मिनट में अपना पक्ष रखने का मौका मिलेगा। सदन में उठाए जाने वाले विषय पर मुख्यमंत्री या फिर उनके मंत्रिमंडल सहयोगी अगर चाहे तो उत्तर दे सकते हैं अन्यथा इसका बाद में उत्तर बाद में उपलब्ध करवा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ई-विधान के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश विधानसभा का उल्लेख राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होता है। ऐसे में हम नई व्यवस्था को शुरू करने में पीछे नहीं हट सकते। इसके लिए एसओपी बनेगी तथा उससे पहले प्वाइंट ऑफ ऑर्डर के तहत सदस्यों को विषय उठाने की अनुमति मिलती रहेगी।
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