जन्माष्टमी विशेष : हिमाचल में यहां है विश्व का सबसे ऊंचा श्रीकृष्ण मंदिर, पांडवों ने किया था निर्माण

punjabkesari.in Friday, Aug 19, 2022 - 08:47 PM (IST)

रिकांगपिओ (कुलभूषण): श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर बात दुनिया के सर्वाधिक ऊंचे श्रीकृष्ण मंदिर की, जोकि हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला किन्नौर के निचार खंड के दुर्गम क्षेत्र युला कांडा में स्थापित है। भारत-चीन अंतर्राष्ट्रीय सीमांत क्षेत्र में बसे युला गांव से 12 किलोमीटर की दूरी पर तथा लगभग 12778 फुट की ऊंचाई पर (भागवेन नामक स्थान पर) भगवान श्रीकृष्ण का यह मंदिर झील के बीचोंबीच बना हुआ है। यहां पहुंचने के लिए युला गांव से पैदल लगभग 6-7 घंटे का समय लगता है। समुद्र तल से करीब 12778 फुट की ऊंचाई पर बने इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि इस पवित्र झील में मंदिर का निर्माण महाभारत काल में पांडवों द्वारा वनवास एवं अज्ञातवास काल के दौरान किया गया था, जिससे गांवों की उत्पत्ति के कुछ वर्ष बाद यहां पर जन्माष्टमी पर हर वर्ष बड़ी आस्था व धूमधाम से मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि जब पांडव 12 वर्ष के वनवास पर गए थे तो कुछ वर्षों का वनवास पांडवों ने हिमालय की गोद में गुजारा था तथा कुछ समय युला कंडा में भी वास किया था। 
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श्रीकृष्ण के जयकारों से गूंजा युला कंडा, खूब चला नाटियों का दौर
युला कांडा में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी जिला स्तरीय जन्माष्टमी पर्व धूमधाम से मनाया गया। पर्व में रिकांगपिओ सहित कल्पा, निचार और पूह खंड के विभिन्न क्षेत्रों से भारी तादाद में श्रद्धालु सुबह ही भगवान श्री कृष्ण के दर्शन को उमडऩा शुरू हो गए थे। 12 किलोमीटर का कठिन सफर तय कर श्रद्धालुओं ने प्राकृतिक सुंदरता से सराबोर झील के बीचोंबीच स्थित पौराणिक एवं ऐतिहासिक मंदिर में श्रीकृष्ण के दर्शन कर पूजा-अर्चना की। इसके बाद बतौर मुख्य अतिथि वन निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी को किन्नौरी टोपी व खतक्स पहनाकर सम्मानित किया गया। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं को जन्माष्टमी की बधाई दी, वहीं इस मौके पर प्रधान युला अंजू नेगी, भागवैन मंदिर कमेटी अध्यक्ष दिवान नेगी, उपाध्यक्ष भीमसैन नेगी, महासचिव वांगडुप छेरिंग, सचिव रंजीत पालसर, वरिष्ठ सलाहकार छेरिंग नरबू और अश्वन देव नेगी, ग्राम विकास सोसायटी के प्रधान प्रीतम कुमार व सचिव राम कृष्ण सहित अन्य मौजूद रहे।

18 प्रकार के फूलों से की जाती है श्रीकृष्ण की पूजा
किन्नौर जिला के युला कंडा में झील के बीचोंबीच स्थित भगवान श्री कृष्ण का मंदिर क्षेत्रवासियों के लिए धार्मिक आस्था का प्रतीक है तथा युला कंडे में कई प्रकार की जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं। जन्माष्टमी के दिन लोगों द्वारा 18 प्रकार के फूलों से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है। यह भी मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन जो भी व्यक्ति यदि कंडे में विद्यमान फूलों व अन्य पूजा सामग्री से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।

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Content Writer

Kuldeep

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