बजट अनुमानों की चर्चा पर मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष का वाकआउट

punjabkesari.in Saturday, Mar 14, 2020 - 06:13 PM (IST)

शिमला (योगराज) : चार दिन तक चली बजट अनुमान 2020-21 की चर्चा में 50 विधायकों में भाग लिया। चर्चा में 30 सत्तापक्ष के विधायक, 18 विपक्ष के विधायक ,एक सीपीआईएम और एक अन्य निर्दलीय विधायक ने बजट अनुमान की चर्चा में भाग लिया। बजट अनुमान की चर्चा चार दिन में 15 घंटे 30 मिनट तक चली। जिसके बाद मुख्यमंत्री ने चर्चा के जवाब दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए बजट का प्रावधान किया गया है। लेकिन फिर भी यह कहना कि कुछ नहीं हुआ है, प्रदेश कर्ज में डूब गया यह गलत है। सरकार ने जो योजनाएं जो शुरू की है जनता ने उन्हें दिल से स्वीकारा है। 

2 लाख 76 लोगों के घर मे गैस चूल्हा पहुंचाया गया है। बेरोजगारी को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि समस्या देश भर में है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने बेरोजगारी को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना शुरू किया है और कौशल विकास भत्ता के माध्यम से भी बेरोजगारो को प्रशिक्षित किये जा रहे हैं। लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा दी जा रही है। हिमकेयर योजना के 68,222 लोगों को लाभ पहुंचाया गया है और 65 करोड़ इसके लिए खर्च किया गया है। जबकि आयुष्मान और सहारा योजना अलग से है। जबकि कांग्रेस सरकार के समय में केवल 20 से 25 करोड़ रुपये खर्च किये जाते थे। 

जनमंच के माध्यम से लोगों की शिकायतें हल हो रही है। 189 जनमंच प्रदेश में अबतक हो चुके हैं जिसमें 47 हजार शिकायतों में से 43 हजार शिकायतें का हल किया जा चुका है और विपक्ष कह रहा है कि जनमंच सरकार का प्रायोजित कार्यक्रम है। 25 नई योजनाओं को इस बजट में शुरू करने का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीब परिवार को आवास देने की संख्या को सरकार ने इस बार 5 हजार से 10 हजार किया गया है। 

शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए स्वर्ण जयंती के मौके पर ज्ञानोदय और उत्कृष्ट विद्यालय योजना शुरू करने का सोचा है। नेशनल हाईवे को लेकर विपक्ष सवाल उठा रहा है। प्रदेश में 69 हाई वे में से 25 नेशनल हाई वे जल्द शुरू हो जाएंगे। 55 की डीपीआर सरकार ने तैयार कर दी है। प्रदेश में एयर कनेक्टिविटी को बढ़ाने के एयरपोर्ट और हेलीपोर्ट को बनाने का सरकार ने प्रस्ताव रखा है। कोरोना को लेकर आर्थिकी पर दुनिया भर में बुरा असर पड़ा है।
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47,906 करोड़ का कर्ज कांग्रेस ने विरासत में बीजेपी सरकार पर छोड़ा है। 2018-19 में तय सीमा से 1617 करोड़ का कम कर्ज सरकार ने उठाया। कुशल वितीय प्रबंधन के तहत ही केंद्र और प्रदेश की बीजेपी सरकार ने कर्ज उठाया है। प्रदेश में 6,442 करोड़ के कर्ज वापिस देना वांछित है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रेम कुमार धूमल की सरकार के समय 2007 से 12 तक 7,465 करोड़ रुपये कर्ज लिया गया जबकि कांग्रेस सरकार ने 2012 से 17 तक 19,195 करोड़ का कर्ज लिया गया। 6,793 करोड़ रुपये का सरकार पर कर्ज लेने का विपक्ष का आरोप गलत आंकड़ा है। 11 मार्च 2020 तक 30,524 करोड़ का वितीय सहायता प्रदेश को केंद्र से मिल चुकी है। 

इस बीच विपक्ष ने सरकार पर गलत और अधूरे आंकड़े देने के आरोप लगाए और सदन के अंदर ही सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर वाकआउट कर दिया। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार कर्ज को लेकर सदन में आंकड़े नहीं दे रहा है जबकि पिछले सरकार के आंकड़ों को ही बताया जा रहा है। सरकार के पास न तो पैसा है और न ही संसाधन विकसित करने को लेकर कोई योजना है। डबल इंजन की सरकार कर्ज में डूब गई है केंद्र से कोई पैसा प्रदेश सरकार को नहीं मिल रहा है। वित्त आयोग से कर्जा माफ करवाने की बात भी पूरी नहीं है। 

वहीं कांग्रेस के साथ सीपीआईएम के विधायक राकेश सिंघा ने भी कांग्रेस के विधायकों के साथ वाकआउट किया और सरकार के वितीय प्रबंधन पर सवाल उठाए। राकेश सिंघा में कहा कि सरकार ने जिन योजनाओं का जिक्र बजट में किया है, उससे प्रदेश में आर्थिक बोझ बढ़ेगा और प्रदेश में कृषि संकट पैदा होगा। सरकार के पास बेरोजगारी और किसानों की आय को बढ़ाने का कोई प्लान नहीं है इसलिए मुख्यमंत्री के बजट की चर्चा के जवाब से असंतुष्ट होकर वाकआउट किया है।
 


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kirti

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