कोविड पाबंदियों ने बॉर्डर पर रोके श्रद्धालुओं के कदम, ट्रांसजैंडर ने विरोध स्वरूप उतारे कपड़े

punjabkesari.in Monday, Aug 09, 2021 - 06:05 PM (IST)

ऊना (सुरेन्द्र): पड़ोसी राज्यों से जय-जयकार करते आ रहे श्रद्धालुओं को बिना माथा टेके बॉर्डर से निराश होकर वापस लौटना पड़ रहा है। पड़ोसी राज्य पंजाब में लंगर भी लगे हैं, श्रद्धालुओं के आने पर रोक नहीं, कोई कोविड पाबंदियां नहीं, लेकिन बॉर्डर पहुंचते ही शर्तों के साथ एंट्री मिल रही है। 5-5 दिन से अपने घर से पैदल चले श्रद्धालुओं को निराश होकर वापस लौटना पड़ रहा है। पुलिस का सख्त पहरा बॉर्डर पर लग चुका है। यहां 72 घंटे पहले की नैगेटिव रिपोर्ट या वैक्सीन की दोनों डोज के बाद ही किसी को बॉर्डर पार करने और मंदिर में दर्शन करने की इजाजत दी जा रही है।

PunjabKesari

जिले में 5 स्थानों पर पुलिस ने नाकाबंदी की हुई है। अलग-अलग बटालियन से 3 रिजर्व सहित 350 से अधिक पुलिस कर्मियों को विभिन्न बॉर्डरों पर तैनाती दी गई है। इसके अतिरिक्त शिक्षक और राजस्व विभाग के कर्मचारी अलग से तैनात किए गए हैं। एस.पी. अर्जित सेन ठाकुर खुद मौके पर स्थिति का जायजा ले रहे हैं। बॉर्डर के नाकों पर पुलिस जवानों के साथ-साथ दूसरे विभागों के कर्मियों को श्रद्धालुओं के साथ खूब माथापच्ची करनी पड़ रही है। आस्था का सैलाब रुकने को तैयार नहीं है तो कायदे-कानून उन्हें आगे जाने से रोक रहे हैं। गगरेट बॉर्डर पर तो गुस्साए श्रद्धालुओं ने प्रदर्शन भी किया और नारेबाजी के बीच अपनी नाराजगी का इजहार भी किया। काफी मुश्किल से डी.एस.पी. हरोली अनिल मेहता और एस.एच.ओ. दर्शन सिंह पर आधारित पुलिस बलों ने स्थिति पर काबू पाया।

PunjabKesari

बॉर्डर पर स्थिति रही तनावपूर्ण
बॉर्डर पर सख्त पहरे के बाद पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को रोके जाने से स्थिति काफी तनावपूर्ण रही। जिले भर के तमाम बॉर्डरों पर श्रद्धालुओं की लंबी लाइनें देखने को मिलीं। हजारों श्रद्धालुओं को निराश वापस लौटा दिया गया। चिंतपूर्णी मंदिर जहां श्रावण अष्टमी के पहले नवरात्रे पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती रही है, वहां आज गिने-चुने श्रद्धालु ही देखने को मिले।

नवरात्रों के दौरान ऐसी पाबंदियां जायज नहीं
अमृतसर से अपनी पत्नी अनीता व बहनों धनवती व माया के साथ अपने बच्चों का मुंडन करवाने जा रहे परमानंद ने बताया कि वे 3 दिन से पैदल चले हैं। आस्था के साथ माता रानी के झंडे उठाए गगरेट बॉर्डर पर पहुंचे परमानंद सहित सैंकड़ों अन्य श्रद्धालुओं ने इस बात पर नाराजगी जताई कि नवरात्रों के दौरान ऐसी पाबंदियां जायज नहीं हैं। जब पंजाब में कोई रोक नहीं तो हिमाचल में एकाएक ऐसी व्यवस्था क्यों की गई। मन में बेहद निराशा और नाराजगी के साथ ये श्रद्धालु वापस लौटे। हालांकि उनके कदम अभी भी पीछे जाने को तैयार नहीं थे।

PunjabKesari

1 माह पहले देनी चाहिए थी पाबंदियों की सूचना
पंजाब के लुधियाना, फिरोजपुर, जालंधर, होशियारपुर व अमृृतसर सहित कई अन्य हिस्सों से आ रहे श्रद्धालुओं की नाराजगी इस बात पर थी कि जब एक माह के इस मेले के दौरान पहले कोई रोक नहीं थी तो इन 9 दिनों के लिए क्यों उनके कदम रोके गए हैं। कई श्रद्धालुओं का कहना था कि वे पिछले 4 दशकों से आ रहे हैं। ऐसी व्यवस्था पहली बार देखने को मिली है। बेहतर होता एक माह पहले ही ऐसी पाबंदियों की सूचना दे दी जाती। उनकी आस्था पर चोट तो नहीं पहुंचती।

बसों में आ रहे श्रद्धालु नहीं रोके जा रहे
बॉर्डर से न केवल पैदल चल रहे श्रद्धालु, बल्कि टैम्पो, ट्रॉलियों व निजी गाडिय़ों में आ रहे श्रद्धालुओं को बैरंग लौटाया जा रहा है। केवल उन्हीं बसों को बॉर्डर क्रॉस करने की अनुमति दी जा रही है, जिनके रूट पहले से निर्धारित हैं। इनमें आ रहे श्रद्धालुओं व अन्य लोगों को बॉर्डर पर नहीं रोका जा रहा है।

जिले में देर रात्रि ही सरकार की नई गाइडलाइंस के तहत नाके लगा दिए गए। जिले में प्रवेश कर रहे उन श्रद्धालुओं को रोक दिया गया, जिनके पास कोविड नैगेटिव की रिपोर्ट या वैक्सीन की दोनों डोज का सर्टीफिकेट नहीं था। जिले के एक बॉर्डर पर स्थिति उस समय और भी खराब हो गई जब पड़ोसी राज्य से आ रहे ट्रांसजैंडरों ने हंगामा कर दिया। रोष स्वरूप ट्रांसजैंडरों ने कपड़े उतार दिए। पुलिस की यहां संख्या कम थी और हंगामा देख पुलिस कर्मियों के मुखिया ने बड़ी मुश्किल से स्थिति को काबू किया। काफी देर बाद समझा-बुझाकर उन्हें नियमों का हवाला देते हुए शांत किया। तब जाकर उन्हें वापस किया।

एस.पी. ऊना अर्जित सेन ठाकुर का कहना है कि केवल वही श्रद्धालु मंदिरों में दर्शनों के लिए जा पाएंगे, जिनके पास या तो 72 घंटे पहले की नैगेटिव रिपोर्ट है या फिर वैक्सीन की दोनों डोज लगी हुई हों। पुलिस नियमों के तहत व्यवस्था बनाने में जुटी है।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Kuldeep

Related News