Una: चिंतपूर्णी में मेलों के दौरान हांफी व्यवस्थाएं, 10 किलोमीटर लम्बे जाम ने छुड़ाए पसीने

punjabkesari.in Saturday, Aug 10, 2024 - 02:27 PM (IST)

चिंतपूर्णी (ऊना) (सुरेन्द्र): तमाम प्रकार के प्रशासनिक दावों की पोल शक्तिपीठ चिंतपूर्णी के मेलों ने खोल दी है। हर वर्ष होने वाले सावन माह के इन मेलों के बावजूद प्रशासन तमाम प्रकार की व्यवस्थाएं करने में विफल रहा है। शनिवार को माता चिंतपूर्णी जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा हुआ तो व्यवस्थाएं बदहाल हो गईं। चिंतपूर्णी मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं को कई घंटों तक जाम में फंसना पड़ा। यह जाम करीब 10 किलोमीटर तक पहुंच गया था। इस कारण धर्मशाला से जालंधर तथा चंडीगढ़ जाने वाला हाईवे महाजाम का शिकार हुआ। कई-कई घंटे श्रद्धालु जाम में फंसे रहे।

भरवाईं का मुख्य चौक तो अव्यवस्था का केंद्र बन गया। यहां चिंतपूर्णी मंदिर को जाने वाले तथा उधर धर्मशाला व पंजाब से आने वाले वाहनों की सुगम आवाजाही के लिए इतनी संख्या में पुलिस बल नहीं था, जितनी जरूरत थी। इससे बदइंतजामी बढ़ी और हालात बदतर बन गए। उधर, चिंतपूर्णी मंदिर से श्रद्धालुओं की लाइन काफी दूर तक पहुंच गई। खराब मौसम में भक्तों को बदहाल सुविधाओं से गुजरना पड़ा। उत्तर भारत के इस शक्तिपीठ में सुगम दर्शनों के लिए की जाने वाली सभी व्यवस्थाएं खराब हो गईं।PunjabKesari

दशकों के अनुभव के बावजूद हिमाचल सरकार व प्रशासन ऐसे प्रबंध नहीं कर पाया है, जिससे श्रद्धालुओं की बढ़ी हुई संख्या के मुताबिक प्रबंध हो सकें। पंजाब से पैदल आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खराब मौसम में रुकने की कोई व्यवस्था नहीं। भरवाईं से मुबारिकपुर के बीच रात्रि के समय पैदल चलने वालों के लिए कोई लाइट की व्यवस्था नहीं और न ही पैदल चलने वालों के लिए कोई वैकल्पिक पैदल पथ बन पाया है। लाखों की संख्या में श्रद्धालु हैं, ऐसे में सफाई की व्यवस्था चौपट हो चुकी है। कहीं इतनी संख्या में लोगों के लिए न टॉयलेट्स और न ही स्वच्छता का कहीं कारगर प्रबंध है।

विभिन्न राज्यों के स्वयंसेवी दिन-रात मानव सेवा में जुटे
सरकारी व्यवस्थाएं तो नगण्य हैं लेकिन श्रद्धालुओं को विभिन्न प्रकार के पकवान उनके बेहतर खानपान की व्यवस्थाओं में पंजाब सहित कई राज्यों की स्वैच्छिक संस्थाएं लगी हैं। जगह-जगह पर लंगर व भंडारों का आयोजन किया गया है। यहां ऐसे-ऐसे व्यंजन श्रद्धालुओं को उपलब्ध करवाए जा रहे हैं, जो शायद अच्छी जगहों पर भी उपलब्ध न हों। किसी ने चायपान, 3 समय के भोजन का लंगर तो गाड़ियों की नि:शुल्क रिपेयरिंग, पंक्चर लगाने, बाइक ठीक करने व श्रद्धालुओं के पांव की मसाज करने से लेकर नि:शुल्क दवाइयों के भंडारे भी लगाए हैं। श्रद्धा व आस्था की ऐसी झलक देखने को मिल रही है, जो आज भी सेवाभाव के सबसे बड़े प्रकल्प की मिसाल को पेश करता है। विभिन्न राज्यों के स्वयंसेवी दिन-रात मानव सेवा में जुटे हुए हैं। भक्तों के लिए जिससे जो कुछ बन पा रहा है, वह कर रहा है।

लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा को महज पौने 400 सुरक्षा कर्मी
एक तरफ जहां श्रद्धालुओं के खानपान, दवाइयों और दूसरी सुविधाएं हैं, वहीं प्रशासन के साथ मिलकर यदि स्वच्छता और श्रद्धालुओं के लिए पार्किंग व उन्हें रात्रि विश्राम के लिए कोई बेहतर व्यवस्थाएं हो पाएं तो निश्चित रूप से यह भी बड़ा सुगम कार्य हो सकता है। लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पूरे मेला क्षेत्र में महज पौने 400 सुरक्षा कर्मी ही तैनात किए गए हैं, जो दिन-रात ड्यूटी दे रहे हैं। यह संख्या श्रद्धालुओं के अनुपात में बेहद कम है।

बेहतर व्यवस्थाएं बनाने में लगी है पुलिस
ट्रैफिक जाम और अव्यवस्था को लेकर मेला सुरक्षा अधिकारी एएसपी संजीव भाटिया ने कहा कि पुलिस बेहतर व्यवस्थाएं बनाने में लगी हुई है। मुख्य हाईवे पर जाम न लगे, इसलिए पुलिस बल तैनात किया हुआ है।
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Content Writer

Vijay

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