ये हैं हिमाचल के 5 प्रसिद्ध शिव मंदिर, सावन के महीने में लगती है श्रद्धालुओं की भारी भीड़
punjabkesari.in Thursday, Jul 18, 2024 - 08:48 PM (IST)
हिमाचल डैस्क : सावन महीने में शिव भक्तों की भरमार देखने को मिलती है। इस मौके पर शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, जहां वे भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। उत्तर भारत में सावन का महीना 22 जुलाई से शुरू होकर 19 अगस्त 2024 को खत्म होगा, जिसे 'श्रावण मास' के रूप में भी जाना जाता है। हिमाचल प्रदेश, भारत की उत्तरी सीमा के करीब स्थित अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर हजारों मंदिर हैं, जिनमें से कई शिव मंदिर शिव भक्तों के ध्यान और पूजन का केंद्र हैं। इस लेख में हम पांच प्रमुख शिव मंदिरों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे जो हिमाचल प्रदेश में स्थित हैं-
किन्नर कैलाश (किन्नौर):
किन्नौर जिले में स्थित किन्नर कैलाश एक प्रसिद्ध पर्वत है जो तिब्बत की सीमा पर स्थित है। इस पर्वत की ऊचाई लगभग 6500 मीटर (21,325 फीट) है। इसे विशेष बनाता है उस पर स्थित एक विशाल शिवलिंग, जिसकी ऊंचाई 40 चालीस फीट और चौड़ाई 16 फीट है। किन्नर कैलाश की विशेषता यह है कि यह दिन में सात बार रंग बदलता है, जिसे देखने के लिए श्रद्धालु लोग दुनियाभर से यहां आते हैं।
भरमौरी कैलाश (चम्बा):
भरमौरी कैलाश, जिसे मणिमहेश-कैलाश भी कहा जाता है, धौलाधार और पांगी पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित है। यह शैव तीर्थ है और हजारों वर्षों से यहां की यात्रा करते आ रहे हैं। इस क्षेत्र में मणिमहेश नामक एक पवित्र सरोवर भी है, जो समुद्र तल से लगभग 13,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
श्रीखंड कैलाश (कुल्लू):
श्रीखंड कैलाश हिमाचल प्रदेश के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में स्थित है। इसकी ऊचाई लगभग 18,570 फीट (5676 मीटर) है और इसे भगवान शिव के वास स्थल के रूप में माना जाता है। श्रीखंड महादेव के प्रसिद्धता का कारण इस पर्वत पर स्थित विशाल शिवलिंग है, जिसकी ऊंचाई 72 फीट है।
बैजनाथ महादेव (कांगड़ा):
बैजनाथ महादेव कांगड़ा जिले में स्थित है और यहां प्राचीन शिव मंदिर है, जो 13वीं शताब्दी में बनाया गया था। इस मंदिर का नाम वैद्यनाथ भी है, क्योंकि यहां भगवान शिव को चिकित्सा और ओषधियों के स्वामी के रूप में पूजा जाता है।
काठगढ़ महादेव (कांगड़ा):
कांगड़ा जिले के इंदौरा उपमंडल में स्थित काठगढ़ महादेव एक अनोखा शिवलिंग है जिसमें दो भाग होते हैं और ग्रहों और नक्षत्रों के परिवर्तन के अनुसार इन भागों का अंतर बदलता रहता है। इस लिंग का विशेषता है कि शिवरात्रि के दिन यह दोनों भाग मिल जाते हैं, जिसे लोक में विशेष मान्यता है। शिव रूप में पूजे जाते शिवलिंग की ऊंचाई 7-8 फुट है जबकि पार्वती के रूप में अराध्य हिस्सा 5-6 फुट ऊंचा है।
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