विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर घिरती नजर आई सरकार : राणा

punjabkesari.in Friday, Feb 28, 2020 - 04:24 PM (IST)

 

हमीरपुर : विधानसभा सत्र के बाद समर्थकों के निजी समारोह में हमीरपुर पहुंचे कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने बताया कि विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर सरकार पूरी तरह से घिरती नजर आई। उन्होंने कहा कि राजनीतिक इतिहास में यह पहली मर्तबा हुआ है कि राज्यपाल महोदय के अधिकारिक अभिभाषण की चर्चा के दौरान सरकार बगलें झांकने पर विवश रही। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता की गोली और गाली की भाषा पर जब बीजेपी से यह जानना चाहा कि केन्द्रीय स्तर पर होम मिनिस्टर अमित शाह इस मामले पर सपष्ट कर चुके हैं कि इस प्रकार की भाषा लोकतंत्र में राजनीतिक मर्यादाओं का हनन है तो समझ में यह नहीं आ रहा है कि प्रदेश की बीजेपी इस मामले पर रहस्यमयी चुप्पी क्यों साधे हुए है लेकिन विधानसभा सदन में चर्चा के दौरान इस पर भी बीजेपी ने कोई जवाब नहीं दिया।

उन्होंने कहा कि हिमुडा द्वारा सस्ती जमीनों को कर्जा लेकर महंगे दामों पर क्यों खरीदा। इस पर भी सरकार से कोई जवाब देते नहीं बना। हालांकि संबंधित मंत्री ने अपना पल्ला झाड़ते हुए इस पर इतना ही कहा कि इसकी प्रपोजल पिछली सरकार के समय आई थी लेकिन राणा ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि प्रपोजलें तो कई प्रकार की आती हैं लेकिन प्रपोजल सही है या नहीं यह देखना सरकार का काम होता है। उन्होंने कहा कि ऊना जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर खड्डों, नालों में हिमुडा द्वारा कर्जा लेकर सस्ती जमीनों को महंगे दामों पर खरीदने में क्या गोलमाल हुआ है। यह सरकार को बताना चाहिए था लेकिन सरकार इस मामले पर पूरी तरह बचती रही। इसी चर्चा के दौरान घटिया स्कूली वर्दी, जिसका रंग एक ही धुलाई के बाद बदरंग हो गया व घटिया स्कूली बैग जो हफ्ते भर में ही फट गए के खरीद के मामले पर भी सरकार से कोई जवाब देते नहीं बना।

उन्होंने कहा कि मुफ्त में दी जाने वाली वर्दी व बैग की योजना में भारी गोलमाल की आशंका है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण पर उनकी चर्चा के दौरान विधानसभा में खूब हंगामा बरपा। जबकि सरकार अपनी जिम्मेदारी व जवाबदेही से भागती रही। बदहाल सड़कों की स्थिति व बद से बदतर हो चुकी ग्रामीण सड़कों की स्थिति पर भी सरकार संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई है। विधानसभा इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि सरकार विपक्ष के किसी भी प्रश्न का जवाब देने की बजाय हंगामा करके चर्चा को भटकाने में लगी रही। ऐसे में अगर प्रचंड बहुमत से जीत कर बनी सरकार की कार्यशैली निरंतर सवालों के घेरे में है जिसकी जवाबदेही व जिम्मेदारी से सरकार अगर विधानसभा में जवाब नहीं दे पाई है तो आम जनता को कब और कैसे जवाब दे पाएगी।
 


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kirti

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