Sirmour: छत्रधारी चालदा महासू महाराज मंदिर में युवती में आई देव शक्ति, श्रद्धालु हुए हैरान

punjabkesari.in Tuesday, Dec 16, 2025 - 06:33 PM (IST)

पांवटा साहिब (कपिल): छत्रधारी चालदा महासू महाराज के पश्मी गांव में तैयार भव्य मंदिर में एक साल के लिए विराजमान होने के बाद मंगलवार को मकर संक्रांति के अगले दिन पड़ने वाली मक्रांति के कारण मंदिर में श्रद्धालुओं की आवाजाही अपेक्षाकृत सामान्य रही। स्थानीय परम्परा के अनुसार इस दिन कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। आगामी दिनों में मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।

बता दें कि छत्रधारी चालदा महासू महाराज सोमवार प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में विधिवत रूप से पश्मी मंदिर में विराजमान हुए। इससे पूर्व महाराज की पारंपरिक देव यात्रा द्राबिल में रात्रि विश्राम के उपरांत शिलाई बाजार की ओर रवाना हुई। जैसे ही यात्रा शिलाई के समीप पहुंची, पूरे क्षेत्र में आस्था, श्रद्धा और देव परम्परा से जुड़ा एक अद्भुत और विलक्षण दृश्य देखने को मिला।

महाराज के दर्शन के लिए शिलाई बाजार के दोनों तरफ भारी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हो गए। श्रद्धालुओं की आस्था इतनी प्रबल थी कि कई लोग दुकानों और मकानों की छतों पर चढ़ गए, ताकि वे महासू महाराज के दर्शन कर सकें। जबकि देव परम्परा के अनुसार देवता से ऊंचे स्थान पर खड़ा होना वर्जित माना जाता है। मान्यता है कि महाराज के कालिंदे किसी को भी इस मर्यादा के उल्लंघन की अनुमति नहीं देते।

इसी दौरान एक युवती में अचानक देव शक्ति का आवेश उत्पन्न हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार वह तत्काल एक छत पर पहुंची और कुछ ही सैकेंडों में वहां मौजूद लोगों को नीचे उतरने के लिए बाध्य कर दिया। यह घटनाक्रम इतना तीव्र और प्रभावशाली था कि उपस्थित श्रद्धालु स्तब्ध रह गए। इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसे देख कर सुरक्षा व्यवस्था में तैनात पुलिस अधिकारियों सहित अन्य पुलिसकर्मी भी हैरान रह गए। जिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है, वही भीड़ देव शक्ति के प्रभाव से स्वतः ही अनुशासित हो गई।

इस दौरान किसी भी प्रकार की अफरा-तफरी या दुर्घटना की कोई सूचना नहीं मिली, जिससे प्रशासन ने भी राहत की सांस ली। उपस्थित श्रद्धालुओं ने इस घटना को महासू महाराज की लीला और देव चेतावनी के रूप में देखा। यह घटना न केवल क्षेत्र की गहरी धार्मिक आस्था और देव परम्पराओं को दर्शाती है, बल्कि यह भी प्रमाणित करती है कि आधुनिक समय में भी लोक आस्थाएं और सांस्कृतिक मान्यताएं जनमानस में पूरी तरह जीवित हैं।

 


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Content Writer

Kuldeep

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