Shimla: प्रदेश के बेहतर पुस्तकालयों को किया जाएगा पुरस्कृत, मिलेगी स्पैशल ग्रांट

punjabkesari.in Friday, Apr 18, 2025 - 06:36 PM (IST)

शिमला (प्रीति): शिक्षा विभाग ने हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में जीवंत पुस्तकालयों की स्थापना, विकास, रखरखाव और उपयोग के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत स्कूलों में बेहतर और अपग्रेड पुस्तकालय बनाने को कहा है। इस दौरान विभाग ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश की सर्वश्रेष्ठ पुस्तकालयों को स्पैशल ग्रांट से पुरस्कृत किया जाएगा और इस ओर बेहतर कार्य करने वाले सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों और सर्वश्रेष्ठ छात्रों को हर वर्ष कलस्टर, ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर सम्मानित किया जाएगा तथा उनके अनुभवों का दस्तावेजीकरण कर उन्हें भी सांझा किया जाएगा। पुरस्कार योजना के तहत स्कूल पुरस्कार के लिए आवेदन करेंगे, डाईट की एक टीम द्वारा मूल्यांकन किया जाएगा।

इस योजना का उद्देश्य पुस्तकालयों को सक्रिय करना और उन्हें जीवंत संस्थान बनाना है। इस दौरान स्कूलों को एक्टिव बुक क्लब बनाने को कहा गया है, जहां छात्र अपनी पसंदीदा किताबों के बारे में बात करें। इस दौरान स्कूलों को लेखन दिवस, भाषण दिवस, प्रश्नोत्तरी का आयोजन करने के साथ पुस्तकालय के प्रबंधन में छात्रों को शामिल करने को कहा है। इस दौरान बुक क्लब के सदस्यों को सप्ताह में कम से कम एक गतिविधि करवानी होगी।

सेवानिवृत्त शिक्षक या एसएमसी के सदस्य को बनाया जा सकता है नोडल अधिकारी
इस दौरान पुस्तकालय के नोडल व्यक्ति या प्रभारी के रूप में कार्य करने के लिए एक प्रेरित शिक्षक की नियुक्ति करने को कहा गया है। यह प्रभारी विद्यालय में पदस्थापित कोई भी शिक्षक या गैर-शिक्षण स्टाफ का कोई सदस्य या स्कूल के निकट रहने वाला सेवानिवृत्त शिक्षक भी हो सकता है। इस दौरान एसएमसी का सदस्य भी हो सकता है। एसएमसी की सहमति से ऐसे सेवानिवृत्त शिक्षक या समुदाय के सदस्य को विद्यालय पुस्तकालय का प्रभारी बना सकता है।

संसाधन व्यक्तियों के क्षेत्रीय दौरों और शिक्षकों द्वारा ली गई फीडबैक
विभाग की मानें तो संसाधन व्यक्तियों के क्षेत्रीय दौरों और शिक्षकों द्वारा ली गई फीडबैक से इस संबंध में बेहतर रिपोर्ट नहीं मिली है। इसके मुताबिक पुस्तकालयों में कई पुस्तकें तो उपलब्ध हैं, लेकिन विद्यार्थी उन्हें पढ़ नहीं पाते, क्योंकि प्रभारी शिक्षक (या पुस्तकालयाध्यक्ष) को डर रहता है कि पुस्तकें खो जाने की स्थिति में उन्हें अपनी जेब से भुगतान करना पड़ेगा। जब छात्र पुस्तकों को नुक्सान पहुंचाते हैं या खराब करते हैं तो शिक्षक पुस्तकें जारी करने पर रोक लगा देते हैं और धीरे-धीरे पुस्तकों का उपयोग बंद हो जाता है। विभाग ने स्कूलों में ऐसी प्रथा को समाप्त करने के निर्देश और उक्त दिशा-निर्देशों की अनुपालना करने को कहा है।


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Content Writer

Kuldeep

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