ई-विधान साॅफ्टवेयर बनाने के नाम पर 67 लाख लेकर फरार हुई कंपनी का रिकार्ड तलब, ब्लैकलिस्ट करने की तैयारी

punjabkesari.in Friday, May 10, 2024 - 09:02 PM (IST)

शिमला (वंदना): नगर निगम सदन की कार्यवाही को ऑनलाइन करने के नाम पर एमसी को 67 लाख रुपए का चूना लगाकर फरार हुई आईट कंपनी का रिकार्ड नगर निगम ने डिपार्टमैंट ऑफ आईटी से तलब किया है। निगम इस कंपनी का पूरा रिकार्ड खंगालने में जुट गया है, ऐसे में अब निगम प्रशासन इस आईटी कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की तैयारी में जुट गया है, साथ ही एडवांस पेमैंट क्यों की गई थी, इसे लेकर भी विभिन्न पहलुओं की जांच-पड़ताल करने में लगा हुआ है। नगर निगम ने ई-विधान साॅफ्टवेयर तैयार करने के लिए चंडीगढ़ की एक आईटी कंपनी को 67 लाख रुपए की एडवांस पेमैंट की थी, लेकिन आज तक यह सॉफ्टवेयर तैयार नहीं हुआ है। यही नहीं, नगर निगम को न तो साॅफ्टवेयर मिल पाया है और न ही एडवांस की गई पेमैंट का वापस मिल पाई है। ऐसे में अब प्रशासन इसका रिकार्ड खंगाल कर इस कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की तैयारी कर रहा है। नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने कहा कि आईटी कंपनी के साथ साइन किए एमओयू के साथ-साथ अन्य डॉक्यूमैंट की भी जांच-पड़ताल की जा रही है। निगम जल्द ही कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में लाएगा।

यह है पूरा मामला
नगर निगम सदन की कार्यवाही को ऑनलाइन करने को लेकर ई-विधान प्रणाली शुरू करने जा रहा है। इसे लेकर 2 साल पहले एक आईटी कंपनी के साथ एमओयू साइन किया गया था। पूरे सिस्टम को पेपरलैस और ऑनलाइन करने को लेकर साॅफ्टवेयर तैयार किया जाना था। इसे लेकर नगर निगम व आईटी कंपनी के बीच एमओयू साइन हुआ था। निगम के कंपनी के साथ किए गए करार के नियमों के तहत कंपनी को एडवांस 67 लाख रुपए का भुगतान किया गया था, कुछ समय तक कंपनी के कर्मचारी नगर निगम कार्यालय में आकर रिकार्ड को अपडेट करने में जुटे रहे, लेकिन 2021 के बाद से कंपनी ने अपने कर्मचारियों को वापस बुला लिया। इसके बाद निगम प्रशासन ने तैयार किए गए साॅफ्टवेयर को निगम को देने को लेकर पत्राचार भी किया, लेकिन न तो कंपनी ने निगम को साॅफ्टवेयर सौंपा और न ही निगम से लिए गए एडवांस 67 लाख रुपए वापस किए। ऐसे में नगर निगम प्रशासन आईटी कंपनी के साथ साइन किए गए एम.ओ.यू. के दस्तावेजों को खंगालने में जुट गया है।

निगम आज तक शुरू नहीं कर पाया ई-विधान प्रणाली, पार्षदों की हो चुकी है ट्रेनिंग
ई-विधान प्रणाली को शुरू करने के लिए पूर्व भाजपा शासित निगम में बाकायदा पार्षदों की कंपनी ने ट्रेनिंग भी करवाई थी। इसमें कैसे पार्षद ऑनलाइन अपने सवालों को प्रशासन के समक्ष रख सकते हैं और कैसे प्रशासन उनका जवाब देगा। इसके अलावा वार्ड वाइज कहां कितना पैसा विकास कार्यों के लिए खर्च किया गया है, इसे लेकर भी पूरा रिकार्ड ऑनलाइन किया जाना था। इसके लिए पार्षदों को प्रशिक्षण भी दिया गया है। निगम की कार्यवाही को पेपरलैस करने को लेकर सभी पार्षदों को लैपटॉप खरीदे जाने थे, लेकिन अभी मामला पूरी तरह से ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। अब दोबारा से पार्षदों को ई-विधान को लेकर ट्रेनिंग इत्यादि देनी पड़ेगी।


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Content Writer

Kuldeep

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