Himachal: बरसात के मौसम में बीमारियों से बचने के लिए इन ​चीजों का रखें ध्यान

punjabkesari.in Monday, Jun 30, 2025 - 09:55 PM (IST)

शिमला (संतोष कुमार): एक ओर बरसात का मौसम चला हुआ है, वहीं दूसरी ओर जलजनित रोग लोगों को बीमार कर जाते हैं, ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि इस मौसम में खासतौर पर खानपान का हमेशा ही ध्यान रखना चाहिए। बरसात के मौसम में विभिन्न प्रकार की बीमारियों के लक्षणों दस्त, उल्टी, पेट दर्द, और बुखार के अलावा हैजा, टायफाइड, हैपेटाइटिस ए, क्रिप्टोस्पोरिडियोसिस, दस्त, पेचिश, साल्मोनेला, शिगेलोसिस, अमीबियासिस जैसी बीमारी घर कर जाती है। ऐसे में विशेषज्ञों की सलाह है कि बरसात के मौसम में खानपान का खास ध्यान रखना चाहिए अन्यथा बीमारियां हो सकती हैं। इस मौसम में हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन करें और बाहर के खाने से बचना चाहिए। जानकारी के अनुसार मानसून में नमी अधिक होती है, जिसकी वजह से बैक्टीरिया जल्दी पनपते हैं।

बारिश के मौसम में सर्दी-जुकाम, बुखार, फूड प्वाइजनिंग, डेंगू, मलेरिया, टायफाइड और डायरिया जैसी बीमारियां होने का खतरा सबसे अधिक रहता है। मानसून के मौसम में वातावरण में नमी हमारे शरीर को कई संक्रमणों और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है। ऐसे में, शरीर को स्वस्थ रखने के लिए मौसम के हिसाब से खानपान का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। इसलिए, हमें इस मौसम में अपने आहार पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इस मौसम में पाचन शक्ति काफी कमजोर हो जाती है, इसलिए आपको गरिष्ठ भोजन नहीं करना चाहिए। इस मौसम में हल्का और जल्दी पचने वाला आहार लेना चाहिए।

इनका करें सेवन
-मौसमी फलों का सेवन करें: मौसमी फल विटामिन और खनिजों से भरपूर होते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। मानसून के दौरान सेब, नाशपाती, अनार, लीची और केले जैसे फलों का सेवन करें। इनमें पानी की मात्रा कम होती है और इसलिए ये पानी से होने वाली बीमारियों के जोखिम को कम करते हैं।

गर्म तरल पदार्थों से हाइड्रेटेड रहें: हाइड्रेटेड रहना स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर मानसून के दौरान मौसमी नमी निर्जलीकरण का कारण बन सकती है। अदरक, काली मिर्च, शहद, पुदीना और तुलसी के पत्तों वाली हर्बल टी जैसे गर्म तरल पदार्थ पिएं। यह न केवल हाइड्रेटेड रहने में सहायता करते हैं, बल्कि इसमें जीवाणुरोधी गुण भी होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को बढ़ावा देते हैं। हालांकि, कॉफी और चाय आपको निर्जलित कर सकती है, इसलिए कोशिश करें कि बहुत ज्यादा न पिएं।

-हल्का और ताजा खाना खाएं: भारी भोजन पचाने में मुश्किल हो सकता है, लेकिन ताजा भोजन संक्रमण के जोखिम को कम करता है। मानसून के दौरान अपने आहार में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे ब्राउन राइस, ओट्स, बार्ली आदि शामिल करें। सूप और करी में एक चुटकी लहसुन डालें क्योंकि यह एक नैचुरल इम्युनिटी बूस्टर है।

-उबली हुई सब्जियां खाएं: मानसून के मौसम में कच्ची सब्जियों में हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस मौजूद हो सकते हैं, जो कई तरह के संक्रमणों का कारण बन सकते हैं। कच्चे सलाद की जगह उबले हुए सलाद को शामिल करें क्योंकि उबली हुई सब्जियां पचने में आसान होती हैं और इन्हें पकाने की प्रक्रिया बैक्टीरिया को प्रभावी ढंग से मिटा सकती है।

-प्रोबायोटिक्स शामिल करें: दही और बादाम दूध जैसे प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थों को शामिल करने से न केवल पाचन में मदद मिलती है, अपितु इम्यून सिस्टम को भी बढ़ावा मिलता है। वह दूध का एक स्वस्थ विकल्प है, जो मानसून के दौरान ब्लोटिंग और बदहजमी का कारण बनता है।

-कड़वा बेहतर है: कड़वी सब्जियां जैसे करेला और जड़ी-बूटियां जैसे नीम, हल्दी पाऊडर और मैथी के बीजों का सेवन संक्रमणों को रोकने के लिए और हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करते हैं।

इनके सेवन से बचें
मानसून के दौरान वात कुपित करने वाले खट्टे, तेज मिर्च-मसाले वाले, तले हुए, बेसन के बने हुए और बासी पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे भोजन पेट में दर्द, कब्ज, एसिडिटी और अपच का कारण बन सकते हैं। रागी, बाजरा, मक्का, जौ जैसे भारी अनाज, मिठाई, फ्राइड फूड, श्रीखंड, ठंडा पानी, खट्टे फल, मटर, मसूर दाल और चना का सेवन नहीं करना चाहिए।

-पानी वाले खाद्य पदार्थों से बचें: मानसून के मौसम में तरबूज और खीरे जैसे पानी वाले खाद्य पदार्थों से बचें। यह खाद्य पदार्थ वर्षा जल प्रदूषण के कारण जलजनित रोगों के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। यह पानी युक्त खाद्य पदार्थ ब्लोटिंग और बदहजमी का कारण बन सकते हैं, क्योंकि इस समय पाचन तंत्र अधिक संवेदनशील हो जाता है।

-स्ट्रीट फूड से बचें: स्ट्रीट फूड कई लोगों के लिए मुख्य भोजन है, लेकिन मानसून के दौरान यह विशेष रूप से खतरनाक होता है। मौसमी नमी और बारिश के पानी के संपर्क में आने से बैक्टीरिया और अन्य रोग जनकों के लिए उन्हें दूषित करना आसान हो जाता है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण और फूड प्वाइजनिंग से बचने के लिए, स्ट्रीट फूड से बचना और इसके बजाय घर का बना खाना खाना सबसे अच्छा है।

-मसालेदार भोजन से बचें: मसालेदार भोजन पाचन संबंधी समस्याओं को और भी बदतर बना सकता है, जो मानसून के मौसम में सबसे आम स्थिति है। मसालेदार भोजन खाने से एसिडिटी, अपच और बेचैनी हो सकती है।

-तले हुए खाद्य पदार्थों से बचें: हालांकि बरसात के मौसम में तले हुए खाद्य पदार्थ आकर्षक लग सकते हैं, लेकिन ये पाचन को भी प्रभावित कर सकते हैं। तले हुए खाद्य पदार्थों में फैट की उच्च मात्रा पाचन को धीमा कर देती है और यह ब्लोटिंग और बेचैनी का कारण बन सकती है।

-नमक से बचें: अत्यधिक नमक से पानी की कमी और ब्लोटिंग हो सकती है और उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों को बढ़ा सकती है। मानसून डाइट के हिस्से के रूप में, नमक का सेवन कम करने से द्रव संतुलन बनाए रखने और इस अवधि के दौरान अनावश्यक स्वास्थ्य जटिलताओं से बचने में मदद मिलती है।

-सीफूड सीमित करें: मानसून आमतौर पर कई प्रकार की मछलियों और अन्य समुद्री खाद्य पदार्थों के प्रजनन का मौसम होता है, जो संक्रमण के लिए अधिक संवेदनशील बनाता है। इस मौसम में समुद्री भोजन का सेवन करने से खाद्य जनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

-कच्ची पत्तेदार सब्जियों से परहेज करें: कच्ची पत्तेदार सब्जियों में गंदगी, बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्मजीव हो सकते हैं जिन्हें पूरी तरह से निकालना मुश्किल होता है, इस समस्या से बचने के लिए, हानिकारक सूक्ष्मजीवों को मारने और उन्हें सुरक्षित बनाने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियों को अच्छी तरह से पकाएं।

क्या खाएं
अनाज: लाल चावल, गेहूं, ज्वार
सब्जी: लौकी, तोरई, भिन्डी, परवल
फलियां: अरहर दाल, हरी मूंग दाल, कुल्थी दाल
लहसुन, प्याज, अदरक
फल: खजूर, जामुन, अंगूर, नारियल, शहतूत
गाय का दूध और दूध के उत्पाद जैसे छाछ, घी
सेंधा नमक, धनिया, जीरा, गुड़, पुदीना, हींग, काली मिर्च, पिप्पली

डाइट प्लान
सुबह उठने के बाद: कोई भी हर्बल पेय, जैसे नींबू पानी, दालचीनी का पानी, गुनगुने पानी के साथ हल्दी।
सुबह का नाश्ता: एक बाउल मौसमी फल और छोटी कटोरी वैजिटेबल दलिया।
मिड मॉर्निंग स्नैक: (12 बजे) नारियल पानी।
दोपहर का भोजन: 1 कटोरी मौसमी सब्जी/अंकुरित अनाज, एक रोटी छाछ।
स्नैक: हर्बल टी के साथ भुना हुआ मखाना
रात का भोजन: सॉटेड सब्जियां/मूंग दाल खिचड़ी

बढ़ जाता है बीमारियों का खतरा, इसलिए खानपान का रखें ध्यान: डा. याचना
आईजीएमसी शिमला की डायटिशियन डा. याचना शर्मा ने कहा कि बरसात के मौसम में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है और खासकर मच्छर जनित बीमारियों और पेट से जुड़ी बीमारियों का। उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में नमी और पानी जमा होने के कारण मच्छरों की संख्या बढ़ जाती है, जिससे डेंगू, मलेरिया, और चिकनगुनिया जैसी बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाता है।

इसके अलावा, दूषित पानी और भोजन के सेवन से टायफाइड, हैजा और दस्त जैसी पेट की बीमारियां भी हो सकती हैं। इसलिए खानपान का विशेष ध्यान रखें और डाइट प्लान को अपनाएं। उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में हल्का, सुपाच्य और आसानी से पचने वाला भोजन करना चाहिए। इस मौसम में, शरीर की पाचन शक्ति थोड़ी धीमी हो जाती है, इसलिए मसालेदार और भारी भोजन से बचना चाहिए।


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Content Writer

Kuldeep

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