Shimla: कर्मचारियों के बीच कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता : हाईकोर्ट
punjabkesari.in Wednesday, Apr 30, 2025 - 08:40 PM (IST)

शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए कहा है कि नियुक्ति की तारीखों के आधार पर समान स्थिति वाले कर्मचारियों के बीच कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता। न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ ने प्रदेश सरकार द्वारा नियुक्ति के आधार पर समान स्थिति वाले कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान का लाभ न देने को भेदभावपूर्ण ठहराया। कोर्ट ने कहा कि 3 जनवरी, 2022 और 6 सितम्बर 2022 की अधिसूचनाओं के तहत स्वीकार्य वित्तीय लाभ प्रदान करने के उद्देश्य से याचिकाकर्त्ताओं को उनके अपने बैचमेट्स और जूनियर्स से अलग करने की कार्रवाई को स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
सरकार ने याचिकाकर्त्ताओं के बैचमेट्स और जूनियर्स को 3 जनवरी, 2022 और 6 सितम्बर, 2022 की अधिसूचनाओं के तहत उच्च वेतनमान जारी किए थे। उन्होंने 30.12.2021 से 02.01.2022 के बीच नियुक्ति दी थी। याचिकाकर्त्ताओं को उच्च वेतनमान से वंचित कर दिया और तर्क दिया कि प्रार्थियों ने 03.01.2022 को नियमित कर्मचारी के रूप में नियुक्ति दी। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्त्ताओं सहित 151 पदाधिकारियों की सेवाओं को नियमित करने वाले 30.12.2021 के सामान्य आदेश के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि सभी कर्मियों को नियमित कर्मचारी के रूप में शामिल होने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया था।
याचिकाकर्त्ताओं ने 03.01.2022 को इस पद पर नियुक्ति दी। संशोधित वेतनमान से जुड़ी 06.09.2022 की अधिसूचना के तहत क्लर्क के पद को 2 साल की नियमित सेवा के बाद 30,500 रुपए का उच्च वेतन मिलना था। याचिकाकर्त्ताओं की शिकायत थी कि उनके जूनियर सहित उनके बैचमेट को 30,500 रुपए के उच्च वेतन ढांचे में रखा गया है, हालांकि 03.01.2022 की अधिसूचना के तहत याचिकाकर्त्ताओं का वेतनमान 20,200 रुपए तक सीमित है, जिसे केवल 21,400 रुपए तक बढ़ाया गया है, यानी उनके बैचमेट और जूनियर द्वारा प्राप्त वेतन से 9,100 रुपए कम है।
अदालत ने कहा कि प्रार्थियों की 30.12.2021 को जारी नियमितीकरण अधिसूचना के अनुसरण में दी गई 03.01.2022 को ज्वाइनिंग को गलत नहीं ठहराया जा सकता है। 03.01.2022 को उनकी ज्वाइनिंग नियमित कर्मचारी के रूप में ज्वाइन करने के लिए उन्हें दिए गए समय के भीतर थी।