Health Alert : ठीक होने के बाद न बरतें असावधानी, फिर से हो सकता है कैंसर

punjabkesari.in Wednesday, Jun 11, 2025 - 09:11 PM (IST)

शिमला (संतोष कुमार): जानलेवा कैंसर बीमारी से ठीक होने वाले मरीजों को बहुत अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है, अन्यथा यह बीमारी फिर से घर कर सकती है। कैंसर अस्पताल शिमला में इस रोग से उबरने की प्रतिशतता 60 से 80 फीसदी है, लेकिन यदि असावधानी बरती गई तो यह बीमारी फिर से रोगियों को जकड़ सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार समय पर अस्पताल जाने पर दवाई और उपचार लेते रहने से इस रोग पर काबू पाया जा सकता है और यदि सावधानी नहीं बरती तो यह फिर से हो सकता है। कैंसर अस्पताल शिमला में ऐसे कई मरीज आते हैं, जो कहते हैं कि उनका कैंसर एक जगह से ठीक हो गया है, लेकिन अब दूसरी जगह कैंसर होने लगा है।

कैसे दोबारा होता है कैंसर
बची हुई कैंसर कोशिकाएं: कभी-कभी उपचार के दौरान सभी कैंसर कोशिकाएं नष्ट नहीं हो पाती हैं और कुछ कोशिकाएं बच जाती हैं और बाद में फिर से बढ़ने लगती हैं।
कैंसर का प्रतिरोध: कुछ कैंसर कोशिकाएं उपचार के प्रति प्रतिरोध विकसित कर सकती हैं, जिससे वे उपचार से बच जाती हैं और फिर से बढ़ती हैं।
नई कैंसर कोशिकाओं का विकास: उपचार के बाद भी कुछ कैंसर कोशिकाएं नई कैंसर कोशिकाओं में बदल सकती हैं।

कैसे होती है कैंसर की पुनरावृत्ति
स्थानीय पुनरावृत्ति: यह तब होता है जब कैंसर उसी स्थान पर फिर से बढ़ता है, जहां पहले ट्यूमर था।
क्षेत्रीय पुनरावृत्ति: यह तब होता है जब कैंसर मूल कैंसर क्षेत्र के आसपास के ऊतकों या लिम्फ नोड्स में फैलता है।
दूरस्थ पुनरावृत्ति: यह तब होता है जब कैंसर शरीर के किसी अन्य हिस्से में फैलता है।

कैसे लगाए कैंसर की पुनरावृत्ति का पता
कैंसर की पुनरावृत्ति का पता लगाने के लिए आपको नियमित जांच और निगरानी की आवश्यकता हो सकती है। इसमें रक्त परीक्षण, इमेजिंग स्कैन (जैसे कि एक्स-रे, सी.टी. स्कैन, एम.आर.आई) और बायोप्सी शामिल हो सकती है।

कैसे होता है कैंसर की पुनरावृत्ति का उपचार
कैंसर की पुनरावृत्ति का इलाज कैंसर के प्रकार, स्टेज और उपचार के इतिहास पर निर्भर करता है। इसमें सर्जरी, कीमोथैरेपी, रैडिएशन थैरेपी या अन्य उपचार शामिल हो सकते हैं।

धूम्रपान, शराब से रहें कोसों दूर, शारीरिक गतिविधियां बढ़ाएं: डा. मनीष
रैडिएशन आन्कोलॉजी विभागाध्यक्ष एवं कैंसर अस्पताल प्रमुख डा. मनीष गुप्ता ने कहा कि इसके लिए सबसे जरूरी है कि इस बीमारी से ठीक हो चुके रोगियों को धूम्रपान व शराब के सेवन से कोसों दूर रहना चाहिए। धूम्रपान करने से इसका रिस्क अधिक रहता है, क्योंकि ठीक होने वाला व्यक्ति धूम्रपान या तंबाकू के सेवन करने से फिर से इस रोग की जकड़ में आ जाता है। इसलिए धूम्रपान, शराब से दूर रहकर शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहिए। जो लोग मांस खाते हैं, उन्हें मटन खाने से परहेज करना चाहिए। सबसे जरूरी बात, ठीक होने वाले मरीज को जब भी डाक्टर फॉलोअप के लिए 1 से 2 माह बाद बुलाता है तो उसे अवश्य डाक्टर के पास आकर जांच करवानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कैंसर से ठीक होने वाले लोगों को अपने डाक्टर से संपर्क में रहना चाहिए।

आई.जी.एम.सी. के कैंसर अस्पताल में 3 वर्षों के ये रहे कैंसर के आंकड़े
कैंसर के मामलों में पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं भी तेजी से प्रभावित हो रही हैं। वर्ष 2023 में कुल 846 मरीज आए हैं, जिनमें लंग्स कैंसर 261 पुरुषों और 85 महिलाओं में पाया गया। मुंह के कैंसर के 69 मामलों में 65 पुरुष व 4 महिलाएं, पेट के कैंसर के 102 मामलों में 67 पुरुष व 35 महिलाएं, ब्रैस्ट कैंसर के 153 मामलों में 141 महिलाएं व 12 पुरुष, बच्चेदानी के कैंसर से 208 महिलाएं आई हैं। वर्ष 2024 में मामूली गिरावट आई, लेकिन ब्रैस्ट व सर्वाइकल के मामले अधिक आए।

2024 में 592 मरीजों में से 295 पुरुष व और 97 महिलाएं, मुंह के कैंसर के 60 में से 56 पुरुष व 4 महिलाएं, पेट के कैंसर के 95 मामलों में 85 पुरुष व 10 महिलाएं, ब्रैस्ट कैंसर की 160 महिलाएं व बच्चेदानी के कैंसर की 210 महिलाएं सामने आई हैं। वर्ष 2025 में 5 माह में 250 मामले सामने आ चुके हैं। सबसे ज्यादा 118 मरीज लंग्स कैंसर से ग्रसित पाए गए, जिनमें 86 पुरुष व 32 महिलाएं, मुंह के कैंसर के 19 व पेट के कैंसर का 1, ब्रैस्ट कैंसर की 45 महिलाएं तथा बच्चेदानी के कैंसर की 67 महिलाएं पीड़ित हो चुकी हैं।

 


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Content Writer

Kuldeep

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